आप की रणनीति: दावेदारी 100 सीटों पर, 25 जीतने के लिए लगाएंगे जोर

आम आदमी पार्टी (आप) लोकसभा चुनावों में बेशक 100 सीटों पर लड़ने का दावा कर रही है, लेकिन पार्टी का फोकस 25 सीटों पर रहेगा। आप इन्हें जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाएगी। पार्टी की रणनीति है कि इनमें से ज्यादा से ज्यादा सीटें आप के खाते में लाई जाए। इससे अगर गठबंधन की सरकार बनती है तो उसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित की जा सकेगी।आप की रणनीति: दावेदारी 100 सीटों पर, 25 जीतने के लिए लगाएंगे जोरपार्टी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली के लिए माहौल आप के हक में है, लेकिन लोकसभा चुनाव की उम्मीदवारी का दावा ज्यादा रंग नहीं दिखा रहा है। मतदाताओं के एक हिस्से में धारणा बन रही है कि चूंकि आप केंद्र में सरकार बनाने की हालत में नहीं है। लिहाजा, उसे वोट देना फायदेमंद नहीं होगा। पार्टी इसी धारणा को अपनी चुनौती भी मान रही है।            

पार्टी रणनीतिकार इसकी काट निकालने की माथा पच्ची कर रहे हैं। फिलहाल आप की रणनीति है कि जिन 100 लोकसभा सीटों पर आप को चुनाव लड़ना है, उन पर पार्टी की मजबूती पता करने के लिए गहन सर्वे कराया जाए। इस दौरान बूथ लेवल तक संगठन की मजबूती, नेतृत्व, पार्टी मेंबर व कार्यकर्ताओं का विस्तार और जमीनी मसलों को देखा जाए। इसके आधार पर सबसे मजबूत 25 सीटों का चयन होगा। इन्हीं सीटों पर आप अपना पूरा जोर लगाएगी। पार्टी रणनीतिकार अभी के लिए इसे सबसे बेहतर व व्यावहारिक विकल्प मान रहे हैं।             
         
गठबंधन की सरकार से सौदेबाजी संभव
रणनीतिकार मान रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद अगर गठबंधन की सरकार बनती है तो आप दिल्ली सरकार के हक में सौदेबाजी कर सकती है। खासतौर से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के संबंध में।  दिलचस्प यह कि केंद्र में नई सरकार आने के बाद मौजूदा दिल्ली सरकार को उसके साथ करीब एक साल तक काम करना होगा। ऐसे में अगर आप गठबंधन की साझीदार बनती है तो उसका सकारात्मक असर दिल्ली सरकार के कामकाज पर भी पड़ेगा। 

लोगों की धारणा बदलने का प्रयास

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सभाओं में अभी से बोल रहे हैं कि अगर आप के दिल्ली से सात सांसद होते तो दिल्ली में सीलिंग नहीं होने पाती। उनके सांसद इस मसले पर संसद को ठप कर देते। इस दौरान वह अगले चुनाव में सातों सीट आप को देने की मतदाताओं से गुजारिश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि केजरीवाल लोगों की इसी धारणा को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें केंद्र के लिए वोट किसी दूसरे दल को और दिल्ली के लिए आप को देने की बात होती है।            
         
पंजाब व हरियाणा पर भी रहेगा खास फोकस
आप रणनीतिकार बताते हैं कि पार्टी दिल्ली की सात सीटों के अलावा पंजाब व हरियाणा की लोक सभा सीटों पर अपने लिए स्पेस तलाश कर रही है। बीते चुनाव में पंजाब की 13 सीटों में चार पर आप ने विजय भी हासिल की थी। वहीं, प्रदेश में आप फिलहाल वहां मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। 

पंजाब में पार्टी के भीतर चल रहे विवाद को दूर करने की पहल भी केजरीवाल ने बीते दिनों की है। पार्टी सभी नाराज नेताओं को सुलह-समझौते की मेज पर ला रही है। दूसरी तरफ हरियाणा की 10 सीटों के लिये केजरीवाल लगातार दौरा कर रहे हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ की कुछ सीटें भी आप की नजर में है। 

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