वाह…अब क्या करे सरकार: शादी, बाइक पर खर्च कर रहे लोग PM आवास योजना का पैसा

पीएम मोदी 2022 तक सबको मकान देने का बार-बार भरोसा देते हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जरूरतमंद लोगों की आर्थि‍क मदद की जाती है ताकि 2022 तक देश में सबके पास मकान हो. लेकिन कुछ लोग इस योजना से मिले पैसे को जिस तरह से बर्बाद कर रहे हैं, उससे सरकार के लिए काफी मुश्किल खड़ी हो रही है. आजतक-इंडिया टुडे टीवी की पड़ताल से पता चला कि राजस्थान में कुछ लोगों ने इस मद के तहत मिले पैसे को तमाम दूसरे कामों जैसे बाइक खरीदने और यहां तक कि दूसरी शादी करने में खर्च कर दिया.

वाह...अब क्या करे सरकार: शादी, बाइक पर खर्च कर रहे लोग PM आवास योजना का पैसाइस पड़ताल से पता चलता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में भी लोग अनियमितता और घपला करने से बाज नहीं आ रहे. जांच से यह पता चला कि सरकार इस योजना के तहत पैसा सीधे लाभार्थ‍ियों के बैंक अकाउंट में डाल देती है, लेकिन कुछ लोग इस पैसे को मकान बनाने की जगह दूसरे काम में लगा दे रहे हैं. मकान के नाम पर कहीं पत्थरों का टीला है तो कहीं झोपड़ियां. परेशान सरकार अब लोगों पर मुकदमा दर्ज करवाने की धमकी दे रही है. अब तक 80 गरीबों के खिलाफ मुकदमा दर्ज भी किया गया है.

योजना के अनुसार किसी लाभार्थी को मकान बनाने के लिए 1.48 लाख रुपये दिए जाते हैं. इस पैसे से एक कमरा, स्टोर, किचेन और बरामदा बनाने की उम्मीद की जाती है. फागी में रहने वाले 45 साल के एहसान का उदाहरण लें. उसके तीन बच्चे हैं और चारों लोग मजदूरी करते हैं. वे पहले की तरह अब भी एक अस्थायी मकान में रहते हैं. यह अलग बात है कि उसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए दो किस्त राशि मिल चुकी है. मकान बनाने के लिए

मार्च, 2017 में उसे 30,000 रुपये की पहली किस्त मिली और नवंबर, 2017 में 90,000 रुपये की दूसरी किस्त. उसने यह सारा पैसा कहीं और खर्च कर दिया.

 फागी के ही अशोक ब्रह्मबहात को मकान बनाने के लिए दो किस्त राशि मिल चुकी है, लेकिन उसने क्षत पक्का बनाने की जगह बस टीन लगा लिया है. इसी इलाके में रहने वाले फरियाद की कहानी लें. उसे नवंबर, 2017 में पहली किस्त मिली. लेकिन अभी तक उसने एक पैसा मकान बनाने में खर्च नहीं किया है. जब सरकारी अधिकारियों ने चेतावनी दी तो उसने यह बहाना बनाया कि बजरी पर रोक की वजह से वह मकान नहीं बना सका.

पैसे की बर्बादी के ऐसे कई और उदाहरण हैं. जयपुर जिले के पाटन इलाके में रहने वाले भीमा राम सैनी का भी मामला ऐसा ही है. उसे पीएम आवास योजना के तहत पैसा मिल चुका है, लेकिन वह अब भी किराए के मकान में रहता है.

एक और व्यक्ति नवीन को भी मकान बनाने की पहली किस्त 22,500 रुपये की मिल चुकी है, लेकिन उसने उसका कहना है कि उसका पैसा उपचार में खर्च हो गया. अब अधिकारियों ने उससे कहा कि उसे आगे पैसा तब ही मिलेगा, जब वह पहली किस्त से मिले पैसे से हुए काम का सबूत देगा.

लेकिन राज्य सरकार ने तो जैसे इन सबसे आंख ही मूंद ली है. राजस्थान के ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र राठौर तो बड़े भरोसे से कहते हैं, ‘कई जगहों पर ऐसी समस्याएं देखी गई हैं, लेकिन राजस्थान में ऐसी चीजें सामने नहीं आई हैं.’

यही नहीं, जहां पैसों से मकान बने हैं, वहां भी कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं. कई जगह सिर्फ दीवारें खड़ी कर दी गई हैं, तो कई जगह किसी अमीर आदमी को पैसा मिला, जिसने अपना बड़ा सा मकान बना रखा है.

आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में साल 2016-17 में 2,58,058 मकान बनाने का लक्ष्य था. आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 2,50,015 मकानों के निर्माण के लिए पैसा दिया जा चुका है. लेकिन सच यह है कि सिर्फ 1,59,102 लोगों को ही योजना की तीसरी किस्त मिल पाई है. इसका मतलब यह है कि 30 फीसदी मकानों का क्या हुआ, कुछ पता नहीं. जबकि नियम के मुताबिकपैसा मिलने के एक साल के भीतर मकान बन जाने चाहिए.

साल 2017-18 के आंकड़े तो और भी चौंकाने वाले हैं. इस दौरान 2,23,629 मकान बनाने का लक्ष्य था और इसमें से 2,15,347 लोगों को पहली किस्त मिल चुकी है. लेकिन सिर्फ 36,786 लोगों ने तीसरी किस्त ली है. यानी अंतिम किस्त 20 फीसदी से भी कम लोगों ने ली है.

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