बड़ीखबर: पाकिस्तान में बैलेट पेपर से होगी वोटिंग, आज ही आएंगे नतीजे

पाकिस्तान में आज आम चुनाव हो रहे है, जिसमें मतदाता देश के वजीर-ए-आजम का फैसला करेंगे। आतंकी खतरे की आशंका के चलते ऐतिहासिक रूप से देशभर में 3.71 लाख सैन्य टुकड़ियां व 16 लाख पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। 

कुल 85 हजार पोलिंग बूथों पर 10.59 करोड़ पंजीकृत मतदाता मतदान करेंगे। नेशनल असेंबली के लिए 3,459 प्रत्याशी और प्रांतीय विधानसभाओं में 8,396 उम्मीदवार उतर रहे हैं।

पाकिस्तान में आम चुनाव, बैलेट पेपर से ही होंगे। चुनाव सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक चलेंगे। पाकिस्तान में वोटिंग वाले दिन ही शाम 6 बजे के बाद पोलिंग बूथ में मौजूद कर्मचारियों को वहीं पर वोटों की गिनती में लगा दिया जाता है। चुनाव नतीजे रात 9 बजे से ही आना शुरू हो सकते हैं, हालांकि आधी रात के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी।

लाइव अपडेट्स :

लाहौर: पीएमएलएन के प्रधानमंत्री उम्मीदवार शहबाज शरीफ मॉडल टाउन के बूथ पर वोट देने पहुंचे।

बता दें कि पिछले दिनों चुनावी रैलियों पर हुए आतंकी हमलों में 175 लोग मारे जा चुके हैं। इससे पहले पिछले करीब दो महीने से चल रहा चुनाव प्रचार का शोर आधी रात को थम गया। तमाम राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और नेता चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में लगे रहे। पाकिस्तान में कुल 342 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। इसमें से 272 सीटों पर सीधे चुनाव होंगे, जबकि 70 सीटें आरक्षित हैं। 

वहीं सुरक्षा एजेंसियों के सामने बड़े पैमाने पर हिंसा की आशंका सबसे बड़ी चुनौती इसका सबसे बड़ा कारण है चुनाव में कट्टरपंथी और धार्मिक पार्टियों के मैदान में उतरना। इन चुनावों में आतंकवाद के कारण हालात और भी गंभीर हो गए हैं। इस गंभीरता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले पेशावर में वोटिंग के दौरान हिंसा की आशंका को देखते हुए 1000 कफन पहले से तैयार कर लिए गए हैं।

पेशावर के डिप्टी कमिश्नर इमरान हामिद शेख ने समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया, हम शांतिपूर्ण मतदान प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं लेकिन किसी भी आपात स्थिति का सामना करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। उन्होंने पेशावर में 1000 कफन तैयार करने  की पुष्टि की। यहां पूरे शहर में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी से निगाह रखी जाएगी। बता दें कि पिछले दिनों चुनावी रैलियों पर हुए आतंकी हमलों में 175 लोग मारे जा चुके हैं। पाक सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि आतंकवाद के चलते पाक में तालिबान और आईएस आतंकी कभी भी हमला करने की फिराक में हैं। 

चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि इस बार धार्मिक पार्टियां जिस तरह से पैदा हुई हैं और सेना ने जिस तरह इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को परोक्ष समर्थन दिया है उससे लगता है कि 25 जुलाई को आपसी अहंकार का टकराव कहीं हिंसा को जन्म न दे दे। मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और आतंकी सरगना हाफिज सईद ने मिल्ली मुस्लिम लीग पार्टी बनाकर जिन लोगों को चुनाव के लिए संगठित किया था उन्हें पार्टी का रजिस्ट्रेशन न होने की स्थिति में उसने पुरानी पार्टी अल्लाहो अकबर तहरीक (एएटी) से मैदान में उतार दिया है।

हाफिज का बेटा भी चुनाव में एएटी से उम्मीदवार है। इसके अलावा तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान, अहल-ए-सुन्नत वाल जमात, मुत्ताहिता मजलिस-ए-अमल जैसी पार्टियां भी इन चुनावों में ताल ठोक रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक सैय्यद फारुख शफाजादा ने बताया कि ये सभी धार्मिक पार्टियां हैं जिनके जीतने पर पाक संसद में कट्टरता और धर्मांधता बढ़ना तो तय है ही, लेकिन मतदान वाले दिन से चुनाव परिणामों तक पाकिस्तान में हालात बिगड़ भी सकते हैं।

शरणार्थियों के चलते पेशावर में हालात गंभीर

डिप्टी कमिश्नर इमरान हामिद शेख ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि मतदान के दिन 25 जुलाई को अफगानिस्तान के शरणार्थियों की गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है। यहां अफगानिस्तान के शरणार्थियों को लेकर हालात गंभीर हैं इसलिए उन्हें सिर्फ शिविरों तक सीमित रखा गया है। उन्होंने कहा कि हमने पेशावर में हवाई फायरिंग, गाड़ियों के शीशों पर चढ़ी काली फिल्म और बिना पंजीकरण वाले वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।

हिंसा को देखते हुए व्यापक इंतजाम

पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि 25 जुलाई को मतदान के दौरान हिंसा की आशंका को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मतदान केंद्रों की सुरक्षा का जिम्मा पाक सेना और पुलिस के हाथ में रहेगा। मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। कई प्रांतों में मतदान केंद्रों के आस-पास मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है। इसी कारण मतदान के दौरान हिंसा को देखते हुए करीब 3.7 लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। 

शांति में सबसे बड़ी बाधा है पार्टियों के अहंकार में टकराव

पाक में कट्टरपंथ को तूल देते हुए इमरान की पार्टी पीटीआई लोगों के बीच है। इमरान और उनके प्रत्याशी इमामों और मौलवियों की शरण में हैं। उनका टकराव नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के अलावा अन्य धार्मिक पार्टियों से भी है। हाफिज सईद ने एएटी के बैनर तले जिन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है उनका जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठनों से सीधा नाता रह चुका है। मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल नामक पार्टी ने अपने प्रत्याशी एएटी के उम्मीदवारों के खिलाफ उतारे हैं इस कारण दोनों में जबरदस्त टकराव है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने अहमदियों के खिलाफ फरमान जारी किया है। इस कारण इमरान को भी अहमदी समुदाय के खिलाफ सार्वजनिक बयान देना पड़ा क्योंकि कुछ इलाकों में आतंकी लोगों को उतारने वाली तहरीक-ए-लब्बैक इसी मुद्दे पर इमरान की पार्टी को सीधे टक्कर दे रही थी। अहल-ए-सुन्नत वाल जमात भी खैबर पख्तूनख्वा में मुत्ताहिदा के साथ टकराव की स्थिति में है। यह अहंकार का टकराव शांतिपूर्ण चुनाव में सबसे बड़ी बाधा है। 

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