भोलेनाथ के मस्तक पर विराजे चंद्रदेव की ये जहरीली कहानी नहीं जानते होगे आप…

भगवान शिव को विनाशक माना जाता है. लेकिन उन्होंने सृष्टि की रक्षा के लिए विष को ग्रहण किया था और पूरी दुनिया को बचा लिया था. समुद्र मंथन के समय कई चीजें थी, जो बाहर आई थी. कुछ लाभदायक और कुछ हानिकारक थी.

भोलेनाथ ने मंथन के समय निकलें विष को ग्रहण किया था.

वैसे तो भोलेनाथ से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं. इन्हीं में से एक मस्तक पर धारण किए गए चंद्रमा से जुड़ा है. शिव पुराण में भी इसका उल्लेख किया गया है.

समुंद्र मंथन के समय विष निकला था जो बहुत ही विनाशकारी था. यह विष इतना घातक था कि उससे सृष्टि के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा था. तब भगवान शिव ने आगे आए थे और सृष्टि की रक्षा के लिए विष पान कर लिया था.

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विष की वजह से महादेव के शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था. उसे सहन कर पाना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में चंद्रमा ने भोले से आग्रह किया कि मुझे अपने माथे पर धारण कर लें. ऐसा करने से मेरी शीतलता पाकर आपके शरीर का तापमान कम हो जाएगा.

शिव जी ने देवाताओं का आग्रह स्वीकार लिया और चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया. उसी समय से शिव अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण किए हुए हैं और लोगों को शीतलता प्रदान कर रहे हैं.

 
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