वंशवाद का खेल खेलने को दिग्गज नेता तैयार, बेटों को चुनावी पारी में उतरने के लिए खड़े हैं टिकट की कतार में…

राजनीति में वंशवाद का मुद्दा हर चुनाव में छाया रहा है। भाजपा लगातार कांग्रेस पर वंशवाद के आरोप लगाती है, लेकिन खुद को भी वंशवाद से दूर नहीं रख पाती। राजस्थान विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही फिर वंशवाद का मुद्दा सिर उठा रहा है। राजनीति में सक्रिय कांग्रेस के दिग्गज नेता भी अपने बेटों के लिए टिकट की आस लगाए बैठे हैं। यही नहीं, भाजपा में भी ऐसे ही हालात देखने को मिल रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के नेता अपने-अपने बेटों की चुनावी पारी की शुरुआत करवाना चाहते हैं।

कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत भी अपने बेटे को इस चुनाव में ही राजनीतिक मैदान में उतारना चाह रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत को टोंक से टिकट दिलवाना चाहते हैं। कांग्रेस के लिए ये सीट इसलिए मजबूत मानी जाती है, क्योंकि यहां मुस्लिम वोटर बहुत बड़ी संख्या में हैं। इधर, भाजपा में भी सुगबुगाहट तेज होती जा रही है कि केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी अपने बेटे को इस विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाना चाहते हैं। अर्जुन राम मेघवाल अपने बेटे रवि शेखर को अनूपगढ़ या खाजूवाला विधानसभा सीटों में से किसी एक पर चुनाव लड़वाना चाहते हैं। इसके लिए वह भाजपा की प्रत्याशियों की सूची में नाम दर्ज करवाने के प्रयास कर रहे हैं। 

गौरतलब है कि रवि शेखर का नाम तब चर्चाओं में आया था जब राजस्थान में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय करने में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा आलाकमान के बीच खींचतान चल रही थी। इस दौरान रवि शेखर ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पेज पर जाकर यह लिख दिया था कि अगर गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष बनाया गया तो कांग्रेस को 140 सीटें आएंगी। हालांकि सफाई देते हुए रवि शेखर ने यह कहा कि दफ्तर में उनका मोबाइल टेबल पर रखा हुआ था, तब किसी ने उनके मोबाइल से यह पोस्ट कर दिया।

अपने बेटों को टिकट दिलवाने की जोर-आजमाइश कर रहे नेताओं में प्रदेश की वसुंधरा राजे सरकार के श्रम मंत्री जसवंत सिंह यादव का भी नाम आ रहा है। उन्होंने घोषणा की है कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी कहा है कि यदि जनता उनके बेटे मोहित यादव को समर्थन देगी, तो उन्हें खुशी होगी। सूत्रों ने बताया कि वे अपने बेटे मोहित यादव को बहरोड़ से विधायक देखना चाहते हैं। 

गौरतलब है इस साल के शुरुआत में अलवर लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव में जसवंत सिंह यादव को करारी हार का सामना करना पड़ा था। वहीं राजस्व मंत्री अमराराम भी अगला चुनाव खुद लड़ने 
के बजाय अपने बेटे को आगे कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि पार्टी उनके बेटे अरुण को पचपदरा से टिकट मिले। वर्तमान में अरुण इस सीट पर काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। वहीं, जल संसाधन मंत्री राम प्रताप भी हनुमानगढ़ से अपने बेटे अमित को टिकट दिलवाना चाह रहे हैं। 

इधर, भाजपा में अंतरखाने चर्चा जोरों पर है कि जयपुर की विद्याधर नगर विधायक पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी चाहते हैं कि यदि उन्हें टिकट नहीं मिले, तो उनके बेटे अभिमन्यु सिंह को पार्टी टिकट दे। वह इसके लिए लॉबिंग में जुटे हुए हैं। भाजपा के बुजुर्ग विधायक 85 वर्षीय सुंदर लाल काका भी अपने बेटे कैलाश मेघवाल को बड़ा नेता बनना देखना चाहते हैं। कैलाश मेघवाल भी राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय हैं। 

जयपुर के नजदीक दंतारामगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेसी विधायक नारायण सिंह भी अपने बेटे वीरेंद्र सिंह को टिकट दिलवालने के लिए प्रयासरत हैं। वहीं पिछली कांग्रेस की गहलोत सरकार में विधानसभा अध्यक्ष दीपेद्र सिंह शेखावत अपने बेटे बालेन्दु सिंह शेखावत को टिकट दिलवाना चाहते हैं। पार्टी के बुजुर्ग नेता पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युम्न सिंह भी अपने बेटे रोहित बोहरा को ही अब राजनीति में आगे बढ़ा रहे हैं। वे पिछले विधानसभा चुनाव में भी खुद के बजाय अपने बेटे को ही टिकट दिलवाना चाहते थे। 

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