उत्तराखंड: लोकायुक्त पर कांग्रेस ने सदन में किया हंगामा

देहरादून:  विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सोमवार को कांग्रेस ने लोकायुक्त के मसले पर प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास किया। सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर हंगामा किया। वे सवाल कर रहे थे सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति कब तक करने जा रही है। भोजनावकाश के बाद कांग्रेस के विधायक सदन में नहीं गए। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने दावा किया कि बहिर्गमन के चलते कांग्रेस विधायक सदन में नहीं गए। उधर, सोमवार शाम को विधानसभा सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

सोमवार को सदन की कार्यवाही प्रांरभ होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने नियम 310 के तहत लोकायुक्त के मामले में चर्चा कराने की मांग की। इस पर पीठ ने नियम 58 में यह मसला सुनने की व्यवस्था दी। प्रश्नकाल खत्म होने के बाद नेता प्रतिपक्ष ने यह मसला उठाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली राज्य सरकार लोकायुक्त से पीछे क्यों भाग रही है। उन्होंने सरकार से पूछा कि वह कितने दिन में लोकायुक्त की नियुक्ति करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं विधायक प्रीतम सिंह ने जीरो टॉलरेंस पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने एनएच-74 मुआवजा घपले में सीबीआई जांच से कदम पीछे क्यों खींचे। पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि सत्तापक्ष के लोग जब विपक्ष में थे, तब उनके द्वारा लोकायुक्त को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए। आज वे इस पर चुप क्यों हैं। विधायक मनोज रावत ने कहा कि सरकार लोकायुक्त पर तुरंत निर्णय ले।

चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने लोकायुक्त को लेकर 2011 से अब तक की स्थिति को सदन में रखा। कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने यह प्रावधान किया कि लोकायुक्त की नियुक्ति से लोकायुक्त बिल प्रभावी होगा। हम सशक्त लोकायुक्त लाना चाहते थे और सरकार ने बिल पेश किया। प्रवर समिति में जाने के बाद इस पर विधानसभा का विनिश्चिय आ चुका है। यह अब सदन की प्रॉपर्टी है। लिहाजा, उसकी आलोचना नहीं हो सकती।

इस पर कांग्रेस सदस्य वेल में आ गए और लोकायुक्त नियुक्त करो के नारे लगाने लगे। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति पर सम्यक विचारोपरांत शीघ्र निर्णय लिया जाएगा। हंगामे के बीच भोजनावकाश होने तक सदन की कार्यवाही चलती रही।

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