स्वस्थ लीवर के लिए जरुर करें इन चीजों का सेवन

शरीर के सबसे बड़े आंतरिक अंग की बात की जाए तो यकृत (Liver) का नाम सामने आता हैं जिसका स्वस्थ होना शरीर की सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। शरीर में भोजन को पचाने से लेकर पोषक तत्वों को स्टोर करने में लीवर मददगार होता हैं। इसके अस्वस्थ होने पर शरीर में कमजोरी होना, भूख कम होना, उल्टी होना, नींद ना आना, थकान महसूस होना जैसी कई तकलीफें महसूस होने लगती हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि लीवर को डिटॉक्स किया जाए ताकि इसकी प्रभावशीलता बनी रहे। आज हम आपको कुछ ऐसे आहार के बारे में बताने जा रहे हैं जो लीवर के लिए संजीवनी बूटी का काम करते हैं और मजबूती प्रदान करते हैं। आइये जानते हैं इन आहार के बारे में…

अश्वगंधा

अश्वगंधा एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो लीवर के संतुलन को बहाल करने में मदद करती है। यह लीवर की कोशिकाओं में तनाव और विकिरण के प्रभाव को कम करने में मदद करता है और इससे होने वाली क्षति को रोकता है। यह पाचन तंत्र की क्रियाओं को बेहतर ढंग से पूरा करने में मदद करता है साथ ही पित्त और संबंधित एंजाइमों के प्राकृतिक उत्पादन को बढ़ाने में भी सहायता करता है। इस जड़ी बूटी के लाभों का आनंद लेने के लिए आप अश्वगंधा पाउडर या अश्वगंधादि लेह्यम का सेवन कर सकते हैं।

दलिया

लीवर को मजबूत बनाए रखने के लिए आप अपने आहार में दलिया भी शामिल कर सकते हैं। दलिया फाइबर से भरपूर होता है। फाइबर युक्त आहार के सेवन से लीवर को हेल्दी रखा जा सकता है। साथ ही ओट्स और ओटमील जैसे आहार में बीटा-ग्लूकेन्स नामक यौगिक की अधिकता होती है। अध्ययन के मुताबिक, बीटा-ग्लूकेन्स शरीर में जैविक रूप से बहुत सक्रिय होता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के साथ-साथ सूजन को भी कम करने में हमारी मदद करता है। साथ ही यह डायबिटीज और मोटापे को कम करने में आपकी मदद कर सकता है। रिव्यू में यह भी कहा गया है कि बीटा-ग्लूकेन्स लीवर में मौजूद फैट को कम करता है। इससे आपके लीवर की सुरक्षा होती है।

पालक

हरी पत्तेदार सब्जियों में प्रमुख रूप से गिनी जाने वाली पालक का साग के रूप में सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है। पालक में विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है। विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है जो हमारे लिवर को कमजोर होने से बचाने के लिए भी कार्य करता है। इसलिए पालक का जूस का सेवन करने से लिवर को कमजोर होने से बचाए रख सकते हैं।

भुम्यमालकी

लीवर से संबंधित सभी विकारों के लिए फाइलेन्थस अमरुस सर्वोच्च दवा मानी जाती है। यह अक्सर हेपटोमेगाली और गंभीर सिरोसिस लीवर की स्थिति में प्रयोग किया जाता है। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा इस रहस्यवादी जड़ी बूटी का उपयोग घर पर लीवर डिऑर्डर को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। उचित मार्गदर्शन के साथ इस पौधे का नियमित सेवन लीवर को आगे की समस्याओं से बचाने के लिए एक प्रभावी तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

लहसुन

एक स्टडी के अनुसार लहसुन एक संभावित लीवर सेवर है। लहसुन में मौजूद एस-एलील्मर कैप्टोसाइटिस्टीन यौगिक नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर के उपचार में सहायक हो सकता है। साथ ही इसे लिवर को किसी प्रकार की चोट से बचाने के लिए भी जाना जाता है। इसके अलावा लहसुन का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो लिवर की सूजन को कम करने में मदद करने का काम करता है।

ब्लूबेरीज और क्रेनबेरीज

ब्लूबेरी और क्रैनबेरी में एंथोसायनिन पाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह बेरीज को विशिष्ट रंग प्रदान करते हैं। इसके सेवन से स्वास्थ्य को कई लाभ हो सकते हैं। अगर आप ब्लूबेरीज और क्रेनबेरीज को अपने आहार में शामिल करते हैं, तो इससे लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है। ब्लूबेरी के सेवन से प्रतिरक्षा कोशिका प्रतिक्रिया और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम को बढ़ाने में मदद मिलती है। अध्ययन में पाया गया है कि ब्लूबेरीज के सेवन से शरीर को एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त होता है, जो लीवर में होने वाली समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। साथ ही यह कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में भी असरदार होता है।

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