ट्रंप का बड़ा फैसला: ईरान परमाणु समझौते से अलग हुआ अमेरिका
अमेरिका ने मंगलवार को ईरान परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह घोषणा की। ट्रंप बोले, हम ईरान को परमाणु बम बनाने से नहीं रोक सकते। यह समझौता भीतर से ही दोषपूर्ण है। इस विनाशकारी करार ने तेहरान को करोड़ों डॉलर दिए लेकिन इसे परमाणु हथियार बनाने से नहीं रोक सकी।
ट्रंप का यह फैसला यूरोपीय संघ की कोशिशों को भी बड़ा झटका साबित हुआ है, जो इस समझौते को बचाने में जुटा हुआ था। इसीलिए कुछ यूरोपीय देश ट्रंप द्वारा ईरान के साथ परमाणु समझौता रद्द करने के बावजूद डील पर कायम रहने की बात कह चुके हैं। इस समझौते के तहत ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करने को राजी हुआ था और बदले में ईरान पर लंबे समय से लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी गई थी।
रूहानी ने किया आगाह
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के विश्व शक्तियों के साथ हुए परमाणु करार से अलग हटने के फैसले पर अमल करने की स्थिति में ईरानी राष्ट्रपति ने आगाह किया कि इससे देश को ‘कुछ मुश्किलों’ का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप का नाम लिए बिना रूहानी ने तेहरान में पेट्रोलियम सम्मेलन के दौरान यह टिप्पणी की थी। ट्रंप के ट्वीट के बाद ईरान की तरफ से यह पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया थी।
रूहानी ने कहा था कि, ‘यह संभव है कि हमें तीन चार महीने तक समस्याओं का सामना करना पड़े , लेकिन यह दौर गुजर जाएगा।’ रूहानी ने चेताया कि ईरान बाकी दुनिया के साथ काम करना चाहता है और दुनिया के साथ सकारात्मक रूप से जुड़े रहना चाहता है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह यूरोप के लिये संकेत है जो 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु करार के बाद ईरान के साथ कई कारोबारी समझौतों से जुड़ा है। रूहानी पहले भी कह चुके हैं कि यदि ट्रंप ने ईरान के साथ समझौता रद्द किया तो अमेरिका को एतिहासिक रूप से पछताना पड़ सकता है।
दुनिया पर यह हो सकता है असर
– ईरान पर दोबारा आर्थिक प्रतिबंध लग सकते हैं जिससे वैश्विक तेल कंपनियों पर ईरान से तेल नहीं खरीदने का दबाव बढ़ेगा।
– भारत जैसे अमेरिका के करीबी देशों ने ईरान के साथ तेल पर समझौता किया है, जो ट्रंप के फैसले से विवाद में आएंगे।
– अमेरिका के प्रति नफरत की भावना बढ़ेगी और ईरान परमाणु गतिविधियां बढ़ा देगा। आशंका है कि इसके बाद ईरान मिसाइल परीक्षण शुरू कर देगा।
– इसका बड़ा असर ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग की शिखर वार्ता पर पड़ सकता है। संभव है कि किम इस फैसले के बाद शिखर वार्ता रद्द कर दें।