अमेरिका ने लश्कर आतंकी अब्दुल रहमान को ‘विशेष वैश्विक आतंकी’ सूची में किया शामिल

अमेरिका ने मंगलवार को आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा (एलईटी) के कमांडर अब्दुल रहमान अल-दाखिल को ‘विशेष वैश्विक आतंकी’ की सूची में डाल दिया। कुछ समय पहले तक दाखिल जम्मू क्षेत्र में लश्कर के क्षेत्रीय कमांडर के रूप में काम कर रहा था। इसके साथ ही उसने पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने वाले दो संगठनों हमीद-उल हसन और अब्दुल जब्बार को भी इस सूची में डाल दिया है। संगठन हमीद उल हसन का अब भी एक सक्रिय ट्विटर अकाउंट है, जिस में वह खुद को 2008 के मुंबई हमले का सरगना बताता है। 

लश्कर-ए-ताइबा लंबे समय से अमेरिका की विदेशी आतंकी संगठनों (एफटीओ) की सूची में है। 1997 से 2001 के बीच भारत पर होने वाले लश्कर के हमलों का नेतृत्व दाखिल ही करता था। साल 2004 में रहमानी को ब्रिटिश बलों ने इराक में पकड़ा था। साल 2014 में पाकिस्तान को सौंपने से पहले अमेरिका ने उसे इराक और अफगानिस्तान में अपने कब्जे में रखा था। पाकिस्तान की हिरासत से रिहा होने के बाद वह एक बार फिर से एलईटी के साथ जुड़ गया। 2016 में वह जम्मू क्षेत्र के लिए लश्कर का क्षेत्रीय कमांडर था। 2018 की शुरुआत में दाखिल लश्कर का एक शीर्ष कमांडर बन गया था।

अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा कि दाखिल को ‘विशेष वैश्विक आतंकी’ करार देने का मकसद दाखिल को आतंकी हमलों की योजना बनाने एवं उसे अंजाम देने के लिए जरूरी संसाधनों से वंचित करना है। यह कार्रवाई अमेरिकी जनता और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सूचित करती है कि अब्दुल रहमान अल-दाखिल ने आतंकी कृत्य करने के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।

लश्कर की फंडिंग की रीढ़ तोड़ना है मकसद
एक अलग बयान जारी करते हुए आतंकवाद और वित्तीय खुफिया सचिव के तहत ट्रेजरी सिगल मंडेललकर ने कहा कि लश्कर के दो वित्तीय संगठन आतंकी समूहों को समर्थन देने और उन्हें धन मुहैया कराने के लिए पैसे इकट्ठा करते हैं, भेजते हैं और बांटते हैं। उन्होंने कहा कि हम केवल लश्कर के आतंकी संगठन को बेनकाब और बंद ही नहीं करता चाहते हैं बल्कि हिंसक आतंकी वारदातों के लिए पैसे इकट्ठा करने की उसकी क्षमता पर भी रोक लगाना चाहते हैं। 

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