कॉल सेंटर की आड़ में चल रहा था ऑनलाइन शॉपिंग का धंधा, जानें पूरा मामला

लखनऊ में साइबर क्राइम सेल ने दो दिन पहले कॉल सेंटर के जरिए जालसाजी कर लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। यह गिरोह कॉल सेंटर के जरिए हॉली-डे पैकेज के नाम पर ठगी करता था।

इसके अलावा गिरोह के बदमाश कॉल सेंटर की आड़ में ऑन लाइन शॉपिंग का गोरखधंधा भी करते थे। सामान की आपूर्ति न होने पर ग्राहकों को झांसे में लेकर उनसे एटीएम व क्रेडिट कार्ड का वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) हासिल कर लाखों रुपये का चूना लगा देते थे।

यह बात पुलिस गिरफ्त में आए जालसाजों ने कुबूली है। क्षेत्राधिकारी हजरतगंज व साइबर सेल के नोडल अधिकारी अभय कुमार मिश्रा के मुताबिक, जालसाजों ने एक ऑनलाइन शॉपिंग की साइट भी बनाई थी।

वह कॉल सेंटर के जरिए हॉली डे पैकेज देने के अलावा लोगों को ऑनलाइन खरीदारी भी कराते थे। साइट का नाम डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट फैशनशॉपिंग डॉट को डॉट इन रखा था। इस साइट पर घरेलू उपयोग से लेकर कपड़े, जूतों व चप्पलों के उत्पाद की तस्वीर लगाते थे।

50 प्रतिशत तक एडवांस रकम कराते थे जमा

इनके साथ दाम लिखते और 40 से 70 प्रतिशत के छूट का ऑफर देते थे। साइट पर सर्च करने वालों को मोबाइल नंबर भी दर्ज करने होते थे। ताकि जालसाज उनसे आसानी से बात कर सकें।

पुलिस के मुताबिक, सामान बुक कराने वाले ग्राहक से उसके मोबाइल नंबर पर कॉल सेंटर से संपर्क किया जाता था। ग्राहक को सामान के हिसाब से 25 से 50 प्रतिशत रकम को एडंवास में भुगतान करने के लिए पेटीएम का कोड दिया जाता था।

रकम आने के दो से तीन दिन में आपूर्ति का दावा किया जाता था। जब ग्राहक को सामान नहीं मिलता था तो वह शिकायत करता। इस पर जालसाज रकम वापसी के लिए ग्राहक से एटीएम व क्रेडिट कार्ड का नंबर पूछते और दावा करते कि इसी नंबर के आधार पर उनके खाते में रकम लौटा दी जाएगी।

साथ ही ग्राहकों को बताते कि वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आएगा। उसे भी दे दें ताकि रकम भेजने में आसानी हो। ओटीपी मिलने के बाद जालसाज उनके खाते की पूरी रकम से ऑनलाइन शॉपिंग कर लेते थे और मोबाइल नंबर बंद हो जाता था। 
 

फरार साथियों की तलाश में जुटी पुलिस

पुलिस के मुताबिक, राजधानी के दो दर्जन से अधिक दुकानाें पर इन जालसाजों का नेटवर्क था। इन दुकानों को पेटीएम का वैल्यू देकर बिना कमीशन लिए ही नकदी लेते थे। ज्यादातर मोबाइल की दुकानों को निशाना बनाया।

इन दुकानों पर किस्तों से मोबाइल खरीदने वालों की संख्या ज्यादा होती है। ऐसे में दुकानदार को पेटीएम से भुगतान करना होता था। इसके लिए वैल्यू की जरूरत होती है। जालसाजों का एक साथी इन दुकानदारों को पेटीएम का एजेंट बनकर मिलता।

उनको जरूरत के मुताबिक वैल्यू उपलब्ध कराने की बात करता। इसके बदले में दो से पांच प्रतिशत का मिलने वाला कमीशन भी नहीं लेते। दुकानदारों को जालसाज जितने की वैल्यू देते थे उतनी ही रकम उठाते थे। 

क्षेत्राधिकारी ने बताया कि गिरोह के कई सदस्यों की तलाश की जा रही है। वहीं, कॉल सेंटर पर काम करने वाली युवतियों से पूछताछ के लिए नोटिस भेजा जा रहा है। साथ ही जालसाजों और उनके करीबी रिश्तेदारों के बैंक खातों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। 

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