गंगा आरती के दौरान पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी को दी गई श्रद्धांजलि

वाराणसी । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सांस्कृतिक राजधानी काशी में शोक की लहर दौड़ गई। दशाश्वमेध घाट पर नित्य सायंकाल होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी गई। आरती की शुरुआत से पहले गंगा की लहरों में 151 दीपदान कर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। गंगा आरती में शामिल हजारों देशी और विदेशी पर्यटकों ने दो मिनट का मौन रखा। मां गंगा से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।

यूं तो अटल बिहारी वाजपेयी का दर्जन से अधिक बार गोरखपुर आना हुआ लेकिन, अपना पहला आगमन न तो वह अपने जीवनकाल में भूल सके न यह शहर। दरअसल खाकी रंग की हाफ पैंट और शर्ट में किशोर अटल गोरखपुर में पहली बार सहबाला बन कर आए थे अपने बड़े भाई प्रेम बिहारी वाजपेयी की शादी में। यह बात 1940 की है जब प्रेम वाजपेयी की बरात गोरखपुर के मथुरा प्रसाद दीक्षित के घर आई थी। अलीनगर के माली टोले में मौजूद कृष्णा सदन इस पल का गवाह था, जो प्रेम वाजपेयी की ससुराल है। मथुरा प्रसाद की पांच पुत्रियों में से एक रामेश्वरी उर्फ बिट्टन अटल की भाभी बनी थीं।

अटल की होली भी याद करेगा कानपुर

अटल बिहारी की जिंदगी का एक और रंग था। वह त्योहार भावनाओं की गहराई में डूबकर मनाते थे। कितनी मस्ती में वह होली मनाते थे, उसके गवाह कानपुर के सरसैया घाट और बाबा घाट हैं। कानपुर की होली की कहानी क्रांतिकारियों से जुड़ी है तो अटल जी की हुरियारी यादों के भी यहां खूब चटख रंग हैं। उनके जमाने के लोगों को ढूंढना मुश्किल है लेकिन, उनकी कहानियां डीएवी कॉलेज और हॉस्टल से लेकर बाबा घाट, सरसैया घाट तक सुनी जा सकती हैं। बताया जाता है कि बाबा घाट पर दोस्तों के लिए अपने हाथों से ठंडाई बनाकर पिलाने में उन्हें खूब मजा आता था। दोस्तों के साथ सरसैया घाट तक फाग गाते हुए होली खेलने जाते थे।

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