पंजाब में अब पारंपरिक और सिंथेटिक नशे पर उलझे नेता

चंडीगढ़ : ड्रग्स से हो रही मौतों के बीच पंजाब में एक नई बहस शुरू हो गई है। बहस इस बात को लेकर है कि सरकार को पारंपरिक नशे से छूट देनी चाहिए ताकि लोग सिंथेटिक व मेडिकल नशे से दूर रहें।पंजाब में अब पारंपरिक और सिंथेटिक नशे पर उलझे नेता

आम आदमी पार्टी के निलंबित चल रहे सांसद धर्मवीर गांधी ने लोक सभा में भी यह मुद्दा उठाया था, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश प्रधान व सांसद सुनील जाखड़ ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। जाखड़ का कहना है कि चाहे पारंपरिक नशा हो या सिंथेटिकट ड्रग्स इन दोनों को जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है। एक समस्या को खत्म करने के लिए दूसरी समस्या की उत्पत्ति नहीं की जा सकती है।

सांसद धर्मवीर गांधी ने लोकसभा में भी उठाया था पारंपरिक नशे का मुद्दा

यह पहला मौका नहीं है जब धर्मवीर गांधी ने यह मुद्दा उठाया हो। लोक सभा चुनाव से लेकर अभी तक गांधी ने कई मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है। वहीं, उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी चिट्ठी लिखी है। उधरं, स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा का कहना है ‘एनडीपीएस एक्ट केंद्र सरकार का है। अत: इसे लेकर न तो मुख्यमंत्री कोई कमेंट्स कर सकते हैं और न ही मैं।’ स्वास्थ्य मंत्री ने कहा ‘केंद्र सरकार का फैसला होने के कारण राज्य सरकार इसमें कोई भूमिका नहीं निभा सकती है।’

सुनील जाखड़ बोले, चाहे ड्रग्स हो या पारंपरिक नशा दोनों एक जैसे

अहम पहलू यह है कि कांग्र्रेस के विधायकों का भी एक बड़ा वर्ग इस बात की जरूरत महसूस करता है कि पारंपरिक नशे को लेकर सरकार को छूट देनी चाहिए ताकि सिंथेटिकट ड्रग्स पर आसानी से बगैर किसी दुर्घटना के काबू पाया जा सके। जानकारी के अनुसार कई विधायक इस मुद्दे को खुद मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठा चुके है। वहीं, न तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मामले में किसी भी प्रकार की छूट देने को तैयार हैं और न ही कांग्र्रेस प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ इस संबंध में किसी प्रकार की राहत देने के मूड में हैं।

पारंपरिक नशे को लेकर छूट के धर्मवीर गांधी के सुझाव को कांग्रेस ने कहा अव्‍यवहारिक

जाखड़ का कहना है ‘डॉ. धर्मवीर गांधी की भावनाओं का मैं सम्मान करता हूं। लेकिन हकीकत यह है कि इस प्रकार के प्रयोग करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। क्योंकि एक बार सिंथेटिकट ड्रग्स की लड़ाई लड़ो और बाद में पारंपरिक नशे की। पंजाब में जो अभी समस्या है, इस पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा। सरकार उस दिशा में चल रही है। इसलिए इस बात  की कोई आवश्यकता ही नहीं है कि पारंपरिक नशे का एक नया फ्रंट  खोला जाए।’ अहम पहलू यह भी है कि बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस के पूर्व रजिस्ट्रार डा. प्यारे लाल गर्ग का भी कहना है कि पारंपरिक नशे को छूट नहीं देनी चाहिए, क्योंकि अमेरिका इस तरह के प्रयोग को कर चुका है लेकिन उसका  कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं मिला।

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