आज रात करे इस मंत्र का जाप, देवी मां चमका देंगी आपके परिवार की किस्मत

सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और घर-परिवार में शांति के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है। परिवार की महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी यहां लिखे मंत्र का जाप करते हुए माता की पूजा करें। पूजा में चावल, फूल, वस्त्र, भोजन आदि चीजें चढ़ाएं।

आज रात करे इस मंत्र का जाप, देवी मां चमका देंगी आपके परिवार की किस्मत

8 मार्च को शीतला सप्तमी है। भारत में शीतला सप्तमी पर बासी खाना खाने की परंपरा है। कई क्षेत्रों में शीतला अष्टमी (9 मार्च) पर बासी खाना खाते हैं। यह समय सर्दी (शीत ऋतु) के जाने का और गर्मी (ग्रीष्म ऋतु) के आने का समय है।

दो ऋतुओं के संधि काल में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शीतला माता की पूजा से बुरे समय से भी मुक्ति मिल सकती है। हिन्दी पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली सप्तमी-अष्टमी को माता शीतला की पूजा की जाती है। इन दो दिनों में सुख-समृद्धि की कामना से शीतला माता के लिए व्रत रखा जाता है।

 

शीतला माता के मंत्र का जाप 108 बार करें। ये है मंत्र-

वन्दे हं शीतलां देवी रासभस्थां दिगम्बराम्। मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालङ्कृतमस्तकाम्।।

इस मंत्र का अर्थ यह है कि दिगंबरा, गर्दभ वाहन यानी गधे पर विराजित, शूप (सूपड़ा), झाड़ू और नीम के पत्तों से सजी-संवरी और हाथों में जल कलश धारण करने वाली माता को प्रणाम है। शीतला माता के सामने के बैठकर इस मंत्र का जाप 108 बार करें और देवी से परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करें।

शीतला माता का स्वरूप

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी चेचक का उपचार शीतला माता के पूजन और विभिन्न उपायों से किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। इस रोग किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि शीतला माता गधे की सवारी करती हैं, उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप (सूपड़ा) रहते हैं और वे नीम के पत्तों की माला धारण किए रहती हैं। शीतला माता के इसी स्वरूप में चेचक रोग का इलाज बताया गया है। 

ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरीके से करते हैं चेचक का इलाज

ग्रामीण क्षेत्रों में चेचक से पीड़ित व्यक्ति को सूपड़े से हवा की जाती है। झाड़ू से झाड़ा जाता है, जिससे चेचक के फोड़े फूट जाते हैं। फोड़ों पर नीम के पत्तों का लेपन किया जाता है, जिससे फोड़े जल्दी ठीक होते हैं। नीम के पत्ते हमारी त्वचा के रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं। शीतला माता के हाथों में कलश रहता है, जिसका अर्थ यह है कि इस रोग में मरीज को ठंडा पानी विशेष प्रिय लगता है। अंत में जब फोड़ें ठीक होने लगते हैं, तब गधे की लीद से लेपन किया जाता है, जिससे चेचक के फोड़ों के दाग दूर हो जाते है।

 

शीतला माता को ठंडे खाने का ही भोग लगाया जाता है। इसलिए शीतला सप्तमी से एक दिन पूर्व ही खाना बना लेना चाहिए। प्राचीन मान्यता के अनुसार इस दिन घरों में चूल्हा भी नहीं जलाना नहीं चाहिए। सभी को एक दिन पहले बना बासी भोजन ही करना चाहिए। 

 

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