आज वित्त मंत्री अब तक के सबसे बड़े राहत पैकेज करेगी ऐलान…

कोरोना संकटकाल में मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आगाज किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की तीन किस्तों का एलान कर चुकी हैं। आज इसी क्रम में चौथी किस्त का एलान होगा। शाम चार बजे वित्त मंत्री इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगी।

आर्थिक पैकेज की पहली किस्त का एलान बुधवार को हुआ था। निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वो कुछ दिनों यानी रोज मीडिया के सामने आएंगी और विस्तार से आर्थिक पैकेज की जानकारी देंगी। कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीसरी किस्त का एलान किया था। इसमें उन्होंने किसानों और ग्रामीण भारत के लिए दी गई राहतों के बारे में विस्तार से बताया। सरकार ने कृषि के आधारभूत ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है।


तीसरी किस्त में वित्त मंत्रालय का फोकस मुख्य रूप से पशुपालन और मत्स्य पालन से जुड़े वर्ग पर रहा। इन वर्गों के लिए उन्होंने कई राहतों का एलान किया। भारत की जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। किसानों के कल्याण पर काम हो रहा है और पिछले 5-6 साल में कई कदम उठाए गए हैं। 

लॉकडाउन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की खरीद के लिए 74,300 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पीएम किसान फंड के तरह 18,700 करोड़ रुपये पिछले दो महीने में किसानों के खाते में डाले गए हैं।
लॉकडाउन के दौरान दूध की मांग में 20-25 फीसदी की कमी आई। प्रतिदिन खपत 360 लाख लीटर की जगह हमने 560 लाख लीटर दूध खरीदा। इस योजना से किसानों को लाभ मिला। उन्हें दो फीसदी अनुदान दिया गया। दो करोड़ किसानों को ब्याज सब्सिडी के तहत 5 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिला है।
मत्स्य पालन के क्षेत्र में कोविड-19 की सभी चार घोषणाओं को लागू किया गया। दो महीने मे 242 नई श्रिंप हैचरी (मछली के अंडों की उत्पत्तिशाला) को अनुमति दी गई।


कृषि आधारभूत ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये की योजना लाई जा रही है। इसके तहत कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे जिससे भंडारण क्षमता बढ़ेगी। किसानों की भी आमदनी बढ़ेगी। इसका लाभ किसान संघों, उद्यमियों और स्टार्ट अप को मिलेगा। 


दो लाख सूक्ष्म इकाइयों को मदद पहुंचाने की योजना। तकनीक में सुधार और मार्केटिंग से लाभ पहुंचाया जाएगा। इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये की योजना लाई जा रही है। इससे रोजगार और आय के साधन बढ़ेंगे। क्लस्टर के माध्यम से तकनीक व ब्रांडिंग बढ़ाने की योजना है। जिस तरह से बिहार में मखाना है, यूपी में आम है,

कर्नाटक में रागी है, तेलंगाना में हल्दी है, कश्मीर में केसर है, नॉर्थ ईस्ट में बांस व हर्बल प्रोडक्ट है, लोकल से ग्लोबल नीति के तहत इन्हें बढ़ावा दिया जाएगा। 


प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछुआरों के लिए 20 हजार करोड़ की योजना लाई जा रही है। 11 हजार करोड़ रुपये समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर के लिए दिया जाएगा। 9 हजार इसके आधारभूत ढांचे के विकास के लिए किया जाएगा। योजना से 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।


53 करोड़ मवेशियों के टीकाकरण की योजना। मवेशियों में मुंह पका खुर पका बीमारी (फुट एंड माउथ) से निपटने के लिए 13,343 करोड़ रुपये की योजना लाई गई है। इसके तहत 53 करोड़ गायों, भैंसों, सूअर, बकरी, भेड़ का 100 फीसदी टीकाकरण किया जाएगा। अभी तक 1.5 करोड़ गाय व भैंसों का टीकाकरण हुआ है। 


पशुपालन व डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की मदद पहुंचाई जाएगी। इसके तहत मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जा सकेगी। 


हर्बल उत्पादन के लिए 4 हजार करोड़ रुपये की योजना। 10 लाख हेक्टेयर यानि 25 लाख एकड़ में इसकी खेती हो पाएगी। इससे 5000 करोड़ रुपये का लाभ किसानों को होगा। नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड ने 2.25 लाख हेक्टेयर जमीन इसके लिए दी है।


टॉप टू टोटल योजना में 500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। सप्लाई चेन नहीं होने की वजह से किसान अपनी फसल को बाजार में बेच नहीं पाता। पहले ये योजना टमाटर, आलू, प्याज के लिए लागू थी। अब 6 महीने के लिए बाकी सब्जियों पर भी इस योजना को लागू किया जा रहा है। जो खाद्य पदार्थ खराब हो जाते थे, या किसान को कम मूल्य पर बेचना पड़ता था, इस योजना से किसानों को लाभ मिलेगा। मालभाड़े पर 50 फीसदी सब्सिडी और स्टोरेज पर 50 फीसदी सब्सिडी मिलेगी।


आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया जाएगा ताकि किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर दाम मिल सके। 1955 में ये एक्ट बनाया गया था। संशोधन के बाद खाद्य प्रसंस्करण में स्टॉक लिमिट नहीं होगा। इस बदलाव से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। तिलहन, दलहन, आलू जैसे उत्पादों को अनियमित किया जाएगा। राष्ट्रीय आपदा के दौरान ही स्टॉक नियम लागू किया जाएगा।

 

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