सस्ते में सोना खरीदने का आज हैं सुनेहरा मौका….

मोदी सरकार एक बार फिर 12 से 16 अक्टूबर के बीच सस्ता सोना बेच रही है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के रूप में मिलने वाले इस सोने का भाव बढ़ने का लाभ निवेशक को तो मिलता ही है, साथ ही उन्हें इन्वेस्टमेंट रकम पर 2.5 फीसद का गारंटीड फिक्स्ड ​इंटरेस्ट भी मिलता है। बता दें भौतिक सोने की मांग को कम करने और वित्तीय बचत में घरेलू बचत के एक हिस्से को स्थानांतरित करने के उद्देश्य से 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना शुरू की गई थी। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना भारत सरकार ने सबसे पहले 30 अक्टूबर 2015 को लॉन्च किया गया था। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के अब तक 40 ट्रेंच हो चुके हैं।

पांच साल पहले जिन्होंने इस बॉन्ड में निवेश किया होगा, उनकी रकम अब दोगुनी हो गई है। 30 नवंबर 2015 को सरकार ने 2684 रुपये प्रति ग्राम यानी 26840 रुपये प्रति 10 ग्राम के रेट से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी किया था। वैसे तो इसकी मैच्योरिटी 30 नवंबर 2023 को पूरी होगी, लेकिन 30 नवंबर 2020 से निवेशक पैसा निकाल सकते हैं। सब्सक्रिप्शन के लिए आज से खुल रहे बॉन्ड की कीमत से तुलना करें तो 5 साल पहले निवेश करने वालों की रकम दोगुनी हो गई है। 12 से 16 अक्टूबर तक मिलने वाले गोल्ड की कीमत 5,051 रुपये प्रति ग्राम तय की गई है।

मोदी सरकार अब सातवीं सीरीज के रूप में एक बार फिर बॉन्ड लेकर आई है। यह बॉन्ड तब आया है जब सोने की कीमतें  56000 रुपये प्रति 10 ग्राम से गिरकर 51000 के आसपास गई है। बता दें  सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी किए जाते हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार अक्टूबर 2020 से लेकर मार्च 2021 तक कुल छह सीरीज में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करेगी।

एसजीबी के हर आवेदन के साथ निवेशक PAN जरूरी है। सभी कामर्शियल बैंक (आरआरबी, लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक को छोड़कर), डाकघर, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या सीधे एजेंटों के माध्यम से आवेदन प्राप्त करने और ग्राहकों को सभी सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिकृत हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेशक को फिजिकल रूप में सोना नहीं मिलता। यह फिजिकल गोल्ड की तुलना में अधिक सुरक्षित है। जहां तक शुद्धता की बात है तो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होने के कारण इसकी शुद्धता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। इस पर तीन साल के बाद लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा (मैच्योरिटी तक रखने पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा) वहीं इसका लोन के लिए  इसका उपयोग कर सकते हैं। इन बॉन्ड्स की अवधि 8 साल की होती है। अगर बात रिडेंप्शन की करें तो पांच साल के बाद कभी भी इसको भुना सकते हैं।

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