तंबाकू के सेवन से से फेफड़ेे हो जाते हैं कमजोर, बढ़ जाती है सांस की बीमारियों की गंभीरता

विश्व तंबाकू निषेध दिवस : ‘हमें भोजन चाहिए, तंबाकू नहीं’

तंबाकू के सेवन से कई जानलेवा बीमारियां होती हैं. हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य धूम्रपान करने वालों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना और युवाओं को आदत शुरू करने से रोकना है. डब्ल्यूएचओं के मुताबिक, तंबाकू के सेवन से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोग मरते हैं. आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में होने वाली हर पांच मौतों में से एक मौत तंबाकू की वजह से होती है तथा हर छह सेकेंड में होने वाली एक मौत तंबाकू और तंबाकू जनित उत्पादों के सेवन से होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि सन 2050 तक 2-2 अरब लोग तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे होंगे. किसी भी तरह के तंबाकू का सेवन करने से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है और सांस की बीमारियों की गंभीरता बढ़ जाती है. मतलब साफ है तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है

सुरेश गांधी

फिलहाल, तंबाकू सेवन और उसके परिणामों के आंकड़े बेहद भयावह हैं. युवाओं और किशोरों में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की लत का बढ़ना देश के लिए चिंता का गंभीर विषय है. आंकड़ों की बाते करें तो देश में तकरीबन 80 लाख लोगों की तंबाकू व अन्य धम्रपान उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारियों से अकारण मौत हो जाती है.तंबाकू मुक्त अभियान चला रहे राजेश गुप्ता बताते है कि जितना सरकार का राजस्व नहीं है उससे पांच गुना अधिक खर्च लोगों द्वारा तंबाकू से रोग ग्रस्त होने के बाद इलाज में खर्चा हो जाता हैं. खास बात यह है कि तम्बाकू के सेवन और धूम्रपान का असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है. इसके कारण कई बीमारियां और जटिलताएं हो सकती हैं. धूम्रपान का असर पूरे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर पड़ता है. जिसमें दिल, खून, रक्त वाहिकाएं शामिल हैं. धूम्रपान कैंसर तथा फेफड़ों की बीमारियों जैसे क्रोनिक आब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोगों, दिल की बीमारियों को जन्म देता हैं. धूम्रपान की वजह से रक्त, ब्लैडर, सर्विक्स, फेफड़ों, लिवर, गुर्दे, ग्रसनी, पैनक्रियाज़, मुंह, गले, लेरिंक्स, किडनी, कोलन, रेक्टम, पेट का कैंसर भी हो सकता है.

फेफड़ों में होने वाले 10 प्रकार के कैंसर में से 9 प्रकार के कैंसर धूम्रपान की वजह से ही होते हैं. धुएं रहित तम्बाकू जैसे तम्बाकू चबाने से ग्रसनी, मुंह और गले का कैंसर हो सकता है. भारत में मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामले धुंएरहित तम्बाकू की वजह से होते हैं. डॉक्टरों के पास आने वाले मरीजों में हाई बीपी और सांस की बीमारियों के मामले देखे जाते हैं. बता दें, विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने 1987 में तम्बाकू महामारी और इसके कारण होने वाली रोकी जा सकने वाली मृत्यु और बीमारी पर वैश्विक ध्यान खींचने के लिए विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाने की घोषणा की. 1987 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने प्रस्ताव पारित किया, जिसमें 7 अप्रैल 1988 को “विश्व धूम्रपान निषेध दिवस“ घोषित किया गया. 1988 में संकल्प पारित किया गया था, जिसमें हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था.

तंबाकू की जगह पोष्टिक भोजन की सलाह

प्रतिदिन तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन में खर्च होने वाली राशि से आसानी से पौष्टिकता से भरपूर भोजन आसानी से किया जा सकता है. जिस तरह से हर इंसान को अपना जीवन चलाने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकता होती है. उसी तरह से तंबाकू को न चुनकर पोष्टिक भोजन को मूलभूत प्राथमिकता में शामिल करने की जरुरत है. एक अनुमान के हिसाब से प्रतिदिन तंबाकू व धम्रपान उत्पादों का सेवन करने वाला 5 गुटखा सेवन कर लेता है और सिगरेट व बीड़ी पीने वाले इसी मात्रा में उपभोग करता है. जिसका अनुमानित खर्च 40 से 50 रुपये आता है. इतनी ही राशि से दो समय का भोजन किया जात सकता है, जोकि पूरी तरह से पोष्टिकता से भरपूर होता है.

सभी के लिए नुकसानदायक

तंबाकू उत्पादों की बढ़ती खपत हम सभी के लिए नुकसानदायक है. इससे जहां जनमानस को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक भार झेलना पड़ता है वहीं सरकार को भी आर्थ्ािक भार वहन करना पड़ता है. इसलिए तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने की नीति को निरतर बनाए रखना चाहिए या फिर इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. हालांकि सरकार ने जनमानस के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए देश में सबसे अधिक टैक्स की श्रेणी में रखा. जिसके चलते देश में तंबाकू का उपभोग में कमी तो आई है, लेकिन, खत्म नहीं हुआ है। कहा जा सकता है सामान्य इंसान को जीवन जीने के लिए प्रहत के लिए तंबाकू का सेवन जानलेवा हो सकता है। तंबाकू या धूम्रपान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर डालता है। हालांकि ये बात जानते हुए भी दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग किसी न किसी रूप से तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। लोगों में बीड़ी, सिगरेट और गुटखा आदि के सेवन से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

लक्षण

धूम्रपान करने से धमनियां कमजोर होने लगती हैं और कोरोनरी हार्ट डिजीज और स्ट्रोक हो सकता है। कुछ अध्ययनों में पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर बढ़े हार्ट अटैक के लिए धूम्रपान को भी एक संभावित कारक बताया गया है। इसके अलावा तम्बाकू का उपयोग से कैंसर या फेफड़े की बीमारी भी हो सकती है। वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण के मुताबिक 2019 में किशोरों (13-15 वर्ष) के बीच तंबाकू के सेवन की दर 8.5 फीसदी थी और इससे पहले के सर्वे (2010) में यह 14.6 फीसदी थी जो यह दर्शाता है कि तंबाकू के सेवन में कमी आई है। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में किशोरों और वयस्कों के बीच इसकी दर अभी भी ज्यादा है। ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजिज स्टडी के अनुमान के मुताबिक, 2019 में भारत में धूम्रपान और अन्य व्यक्तियों द्वारा धूम्रपान किए जाने के दौरान उसके धुएं की जद में आने से 12 लाख मौतें हुईं। हाल में डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया, कि भारत में तंबाकू के इस्तेमाल से हर साल 13.5 लाख लोगों की मौतें होती हैं। विश्वभर में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हालांकि, इसकी वजह से महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसमें गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और हृदय संबंधी जोखिम इत्यादि शामिल है।

टीएमसी ने लांच किया ’आज जिंदगी जीते हैं’ का गाना

विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) ने बॉलीवुड की संगीतकार जोड़ी सलीम-सुलेमान के साथ मिलकर एक नया गीत ’आज जिंदगी जीते हैं’ लॉन्च किया है। मकसद संगीत के यूनिवर्सल युवाओं को शामिल करना और तंबाकूल मुक्त स्वस्थ जीवन शैली को बढावा देना है। गाने के बोल मशहूर गीतकार इरफान सिद्दीकी की कलम से निकले हैं। बुधवार को अभियान का शुभारंभ राष्ट्रीय स्तर पर किया गया। यह म्यूजिक वीडियो वाराणसी, उत्तर प्रदेश में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र में वाराणसी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी द्वारा जारी किया गया। वीडियो में अभिनेता अर्जुन तंवर को वीडियो में तंबाकू मुक्त जीवन शैली को बढ़ावा देने वाले एक कथाकार के रूप में दिखाया गया है। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे-4 के अनुसार, भारत में 38 फीसदी, सिगरेट, 47 फीसदी, बीड़ी धूम्रपान करने वालों और 52 फीसदी धूम्रपान रहित तंबाकू उपयोगकर्ताओं 10 उम्र के पहले इसका इस्तेमाल शुरू कर देते हैं।

तंबाकू सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक : डॉ सत्यजीत प्रधान

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र और होमी भाभा कैंसर अस्पताल, वाराणसी के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने इस मौके पर कहा कि “तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक है। अध्ययनों ने भी साबित कर दिया है कि स्मोकिंग और स्मोकलैस तंबाकू के सेवन से कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों के रोग, मधुमेह और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी बीमारियां हो सकती हैं। तम्बाकू और कैंसर का संबंध काफी गहरा है और हर साल, हमारे केंद्र में तम्बाकू से जुडे कैंसर से प्रभावित हजारों रोगी आते हैं।हर साल, 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य तंबाकू के उपयोग के हानिकारक और घातक प्रभावों, सेकेंड हैंड स्मोक एक्सपोजर और किसी भी रूप में तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने के लिए प्रीवेंटिव ऑन्कोलॉजी एंड कैंसर रजिस्ट्री विभाग, एमपीएमएमसीसी ने वाराणसी जिले में दो हजार से अधिक स्कूली छात्रों और 400 आशा कार्यकर्ताओं को तंबाकू से होने वाले नुकसान और मुँह के कैंसर के शुरूआती लक्षणों के बारे में जागरूक किया गया, जिसका समाज में तंबाकू के दुष्प्रभाव के बारे में प्रभावी ढंग से सन्देश पहुंचा।

डॉ. पंकज चतुर्वेदी, प्रभारी, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र और होमी भाभा कैंसर अस्पताल, ने कहाः “तंबाकू का उपयोग विश्व का सर्वाधिक रोकथाम योग्य जानलेवा लत है। भारत में तो इसकी लत हर साल लगभग 1 मिलियन लोगों को मौत का कारण बन रही है। हम मानते हैं कि साक्ष्य-आधारित असरदार व्यापक स्तर पर चलाया जाने वाला मीडिया अभियान तम्बाकू का उपयोग छोड़ने के लिए जनता को प्रेरित करना जारी रखेगा, “आज जिंदगी जीते हैं“ जैसी नई पहल संगीत और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्शकों, विशेष रूप से हमारे युवाओं को जोड़ने की काबलियत रखती है। यह बहु-हितधारक पहल लोगों के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इंडिया अीएस टोबैकों प्रमुख अभियान के अंतर्गत विभिन्न सरकारी एजेंसियों और संगठनों के प्रयासों को एक साथ लाने के लिए एक मंच प्रदान करेगी। हम तंबाकू नियंत्रण प्रयासों का समर्थन करने के लिए संचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करने के लिए सलीम-सुलेमान और उनकी टीम के प्रयासों के लिए उनका आभार प्रकट करते हैं।‘’

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