जवानों को मुस्लिम बताने पर सेना ने दिया ये करारा जवाब
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में हुई जवानों की शहादत को मुस्लिम और हिंदू से जोड़ने वाले नेताओं के सियासी बयानों के बीच सेना ने बड़ा बयान दिया है. जीओसी नॉदर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अन्बू ने कहा कि हम शहीदों का साम्प्रदायीकरण नहीं करते हैं. उन्होंने कहा, ‘जो लोग सेना को नहीं जानने, वे ऐसे बयान दे रहे हैं.’ सेना का यह जवाााब एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी के मद्देनजर है.
बता दें कि ओवैसी ने मंगलवार को कहा था कि आतंकी हमले में 5 मुसलमान मारे गए हैं. अब हर कोई उनकी मौत पर चुप क्यों है. वहीं, बुधवार को कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित भी ओवैसी से सुर मिलाते नजर आए.पूर्व सांसद दीक्षित ने कहा, ‘मुसलमान अन्य लोगों की तरह देश में योगदान देते हैं. कुछ संगठन कहते हैं मुस्लिम देश विरोधी हैं और वे देश को प्यार नहीं करते हैं. यह लगभग प्रतीक सा बन गया है कि अगर आप सेना में हैं तो आप एक देशभक्त हैं. मेरा मानना है कि यही कारण है कि ओवैसी जी को यह कहना पड़ा.’
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दुश्मन निराश, यूथ का आतंक से जुड़ना चिंता की बात
लेफ्टिनेंट जनरल अन्बू ने कहा, दुश्मन निराश है और सॉफ्ट टारगेट करने की कोशिश कर रहा है. जब वे बॉर्डर पार करने में फेल हो जाते हैं तो आर्मी के कैम्पों पर हमला करते हैं. उन्होंने कहा जवानों का आतंक से जुड़ना बड़ी चिंता है.
सोशल मीडिया भी जिम्मेदार
लेफ्टिनेंट जनरल अन्बू ने कहा कि सोशल मीडिया भी आतंकवाद बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है. इसमें बड़ी संख्या में यूथ जुड़े हुए हैं और मेरा मानना है कि हमें इस इश्यू पर फोकस करना होगा.
ओवैशी ने पूछा था- मुसलमानों की चुप्पी क्यों है
ओवैसी ने मंगलवार को कहा था, ‘टेलीविजन पर हर रात नौ बजे मुसलमानों के राष्ट्रवाद पर सवाल उठाया जाता है और कश्मीरियों पर भी सवाल उठाया जाता है . जम्मू में मारे गए सात लोगों में से पांच कश्मीरी मुसलमान थे. अब हर कोई उनकी मौत पर चुप क्यों है? इस पर ऐसी चुप्पी क्यों है’. एमपी ओवैसी ने कहा कि जो लोग मुसलमानों की निष्ठा पर सवाल उठाते हैं और पाकिस्तानी कहते हैं, उन्हें इससे सबक लेना चहिए.
आतंकवादी हमें भी मार रहे हैं, हमारी निष्ठा पर सवाल
ओवैसी ने कहा, ‘हम अपना जीवन दे रहे हैं, आतंकवादी हमें भी मार रहे हैं, क्योंकि वे धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रहे हैं. वे सभी भारतीय मान रहे हैं , लेकिन देश में ही ऐसे कई लोग हैं, जो अभी भी हमारी निष्ठा पर सवाल उठाते हैं.’