इस बार नवरात्र और मोहर्रम साथ-साथ, ये हैं पूजा मुहूर्त
इस बार सांप्रदायिक सौहाद्र का अद्भुत संगम होगा। शारदीय नवरात्र और मोहर्रम साथ-साथ होंगे। शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से प्रारम्भ होंगे जबकि दोज का चांद होते ही मोहर्रम की मजलिसों का दौर शुरू हो जाएगा। हर साल 11 दिन के अंतर आने से सांप्रदायिक सौहार्द का संगम हुआ है। प्रशासनिक स्तर पर सबसे बड़ी दिक्कत दशहरा को लेकर होगी। दुर्गा विसर्जन यात्रा वाले दिन ही जुलूस-ए-ताजिया होंगे।
शारदीय नवरात्र: आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 21 सितंबर को है। प्रतिपदा सुबह 10.35 बजे तक है। उदयव्पापी प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के पर्याप्त मूहूर्त हैं।
देवी आराधक इस दिन प्रात: 6.14 बजे से लेकर 7.44 तक घट स्थापना कर सकते हैं। अन्य मुहूर्त भी पूरे हैं। 28 सितंबर को अष्टमी और 29 सितंबर को नवमी है। 30 सितंबर को विजयदशमी का पर्व होगा। दुर्गा विसर्जन यात्राएं अधिकांशतया विजयदशमी को पूरी हो जाएंगी लेकिन एकादशी को दुर्गा विसर्जन करने वाले एक अक्तूबर को यात्रा निकालेंगे, जिस दिन ताजियों का जुलूस होगा।
21 सितंबर : पहला नवरात्र
22 सितंबर : दूसरा नवरात्र,
23 सितंबर : तीसरा नवरात्र
24 सितंबर : चौथा नवरात्र
25 सितंबर : पांचवा नवरात्र
26 सितंबर : छठा नवरात्र
27 सितंबर : सप्तमी
28 सितंबर : अष्टमी
29 सितंबर : नवमी
30 सितंबर: दशमी, दशहरा
मोहर्रम: इसलामी हिजरी का नया साल चांद रात की दूसरी तारीख ( दोज) से शुरू होगी। वाकयात-ए-करबला और शोहदाये करबला की वजह से मोहर्रम गमी का अवसर होता है। 22 सितंबर को चांद दिखते ही इमामबाड़ों में मजलिसों का दौर शुरू हो जाएगा और अगले दिन से मातमी जुलूस निकलने लगेंगे। मोहर्रम की दस तारीख यानी एक अक्तूबर को ताजियों के बड़े जूलूस निकलेंगे। सोग का यह सिलसिला 8 रवि उल अव्वल तक जारी रहेगा।