प्रकृति के खूबसूरत नजारों से सराबोर है हिमाचल की यह जगह…

हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत हिल स्टेशन में शुमार है सोलन जिले का कसौली। नायाब कुदरती नजारों के साथ यहां रोमांचक खेलों का लुत्फ भी उठाया जा सकता है। स्वच्छता के लिहाज से भी अव्वल है यह शहर। इस बार चलते हैं हर लिहाज से खूबसूरत और कूल-कूल कसौली के सुहाने सफर पर.प्रकृति के खूबसूरत नजारों से सराबोर है हिमाचल की यह जगह...

मैदानी इलाकों में जहां एक ओर पारा अपने चरम पर है तो वहीं दूसरी ओर इस भीषण तपिश से बचने के लिए पहाड़ की ओर जाने की सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। देश में ऐसे हिल स्टेशनों की कमी नहीं जो इस अंगार बरसाते मौसम में आदर्श बने हुए हैं। ऐसा ही कसौली शहर, जिसे हाल ही में स्वच्छता के क्षेत्र में विशेष तमगा मिला है। दरअसल, पिछले दिनों इसे देशभर में बाह्य शौचमुक्त छावनी क्षेत्र होने का सम्मान रक्षा मंत्रालय से मिला। यहां कई ख्यात संस्थान और पर्यटन स्थल हैं जिनकी चर्चा दूर-दूर तक होती है। यहां सर हेनरी लारेंस द्वारा स्थापित लारेंस स्कूल, सनावर दुनिया में किसी पहचान का मोहताज नहीं है। वर्ष 1847 में कसौली के कैंट में रहने वाले सन हेनरी लारेंस ने युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों के बच्चों के लिए सनावर स्कूल बनवाया था, जहां से कई प्रसिद्घ हस्तियों ने शिक्षा ली है। इनमें परीक्षित साहनी, संजय दत्त, सैफ अली खान, राहुल रॉय, पूजा बेदी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, भूटान की क्वीन जेटसन पेमा, पूर्व नौसेना प्रमुख विष्णु भागवत आदि जैसे तमाम मशहूर नाम शामिल हैं।

सुहावने मौसम का जादू

कसौली हिल स्टेशन अपनी खूबसूरती व शांतमय स्वच्छ वातावरण के लिए टाइम मैगजीन में एशिया के बेस्ट हिल स्टेशन का भी खिताब पा चुका है। इसकी खूबसूरती यूं ही नहीं है। यहां आप पल-पल बदलते मौसम के मिजाज का रोमांचक एहसास कर सकेंगे। यहां देखते ही देखते हवा बदल जाती है और बादलों का समूह क्षणभर में ही सूरज की किरणों के नीचे आकर बरसने लगता है, फिर थोड़ी ही देर में आप पाएंगे मौसम बेहद साफ और सुहावना हो गया है। इस लुकाछिपी के बीच यहां रोमांचकारी रोप-वे और फिर पहाड़ों पर ट्रैकिंग का लुत्फ उठाने का अलग ही आनंद है। कसौली में वर्षभर सैलानियों की आवाजाही लगी रहती है। पर अप्रैल से जून के बीच यहां पर्यटकों का जमघट सा लग जाता है। जुलाई में जब मानसून के बाद मौसम खुशगवार होता चला जाता है, तब भी लोग इस नजारे को मिस नहीं करना चाहते। दरअसल, कसौली बान, चीड़, चशनेट और देवदार के पेड़ों, घने जंगलों में जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए भी विख्यात है। बरसाती मौसम में इस पूरे इलाके में खिलने वाले फूल भी कसौली को अलग ही रंग देते हैं।

 कुसमावली से कसौली तक

चोटी पर बसे कसौली को दो सदी पहले कुसमावली के नाम से जाना जाता था। कुसमावली नाम क्षेत्र में विकसित होने वाले तरह-तरह के फूलों व रंग-बिंरगी वनस्पतियों के लिए रखा गया। इसके बाद जब यहां छावनी परिषद बनी तो अंग्रेजों ने कुसमावली को कुसोवली कहना शुरू कर दिया और फिर कालांतर में लोग कुसोवली क्षेत्र को कसौली नाम से पुकारने लगे।

दक्षिण-पूर्व एशिया का एकमात्र संस्थान

कसौली में न केवल प्रसिद्घ स्कूल हैं बल्कि यहीं स्थापित है सीआरआइ यानी पास्चर अनुसंधान संस्थान भी। यह संस्थान पहले यानी वर्ष 1893 में लाहौर में खोलने का प्रस्ताव था लेकिन बाद में इसे स्थापित करने के लिए कसौली के स्वच्छ व ठंडे वातावरण को चुना गया। 1900 में यहां इस संस्थान ने काम करना शुरू किया। तीन मई 1905 को इसे सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआइ) के रूप में स्थापित किया गया। सांप व पागल कुत्तों के काटे जाने पर लगने वाली एंटी रेबीज वैक्सीन की खोज उसी साल देश में पहली बार संस्थान के पहले निदेशक डॉ. डेविड सैंपल ने की थी। इसके अलावा, बैक्टीरियल वैक्सीन, एंटी सीरम, टायफाइड वैक्सीन, येलो फीवर के वैक्सीन के अलावा, यह संस्थान दक्षिण पूर्व एशिया का एकमात्र संस्थान है जिसमें दिमागी बुखार (जेई वैक्सीन) निरोधक टीके तैयार किए जाते हैं। डीपीटी ग्रुप ऑफ वैक्सीन भी यहीं बनाई जाती है। देश में बनने वाली व विदेशों से आयात व निर्यात होने वाली वैक्सीनों की गुणवत्ता को जांचने के लिए एकमात्र सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी भी यहीं स्थापित है।

फिल्मी सितारों का बसेरा

प्रकृति के अजब नजारे के लिए मशहूर कसौली बॉलीवुड को भी खूब पसंद रहा है। शशि कपूर अभिनीत फिल्म ‘शेक्सपीयर वाला’, शाहरुख खान व दीपा साही अभिनीत फिल्म ‘माया मेमसाब’, जॉन अब्राहम अभिनीत फिल्म ‘मद्रास कैफे’ जैसी फिल्में और ‘जस्ट यू एंड मी’, ‘दिलदारियां’, ‘जोरा दस नंबरिया’, जैसी पंजाबी फिल्में व बंगाली फिल्म ‘अंतर्लीन’ की भी शूटिंग यहां हो चुकी है। यहां की हसीन वादियों पर फिदा होकर ही शायद यहां कई बड़ी हस्तियों ने इसे अपना दूसरा घर बना लिया है। सदी के महान लेखक स्व. खुशवंत सिंह, फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर प्रसिद्ध धावक मिल्खा सिंह, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान अजीत पाल सिंह, अभिनेता राहुल बोस आदि ने अपने आशियाने यहां बनाए हैं। मोहन राकेश, निर्मल वर्मा, उपेंद्र नाथ अश्क, गुलशन नंदा, कमलेश्वर जैसे जाने-माने लेखक और फिल्म निर्देशक दीपा मेहता का घर भी यहां है। राजेंद्र यादव जैसे नामचीन साहित्यकार भी यहां साहित्य सृजन के लिए प्रवास करते रहे। अमृता शेरगिल के भतीजे व जाने-माने कलाकार विवान सुंदरम ने यहां आ‌र्ट्स सेंटर बनाया है, जहां नियमित रूप से सेमिनार व कला प्रदर्शिनी आयोजित होती रहती हैं।

पैदल चलने का लुत्फ

‘कसौली पाइन्स, वाइन्स एंड ओल्ड टाइम’ पुस्तक में लिखे गए ‘इट्स ए फैशन टु वॉक इन हिल स्टेशन रादर देन ड्राइव इन कार’-को आत्मसात करते हुए पर्यटक यहां पैदल चलने का लुत्फ उठाते हैं। माउंट वॉक, गिलबर्ट ट्रेल व खुशवंत सिंह ट्रेल पर सुबह व शाम यह नजारा आमतौर पर दिख जाता है।

यहां जरूर जाएं

-सबसे ऊंची जगह मंकी प्वाइंट पहाड़ की चोटी पर बने संजीवनी हनुमान मंदिर

-कोलोनियल आर्किटेक्ट की मिसाल 1843 में निर्मित क्राइस्ट चर्च, बैप्टिस्ट चर्च, कैथोलिक चर्च

-लोअर व अपर माल रोड, हेरिटेज मार्केट और तिब्बती बाजार

-ताज टीवी टॉवर और सनावर स्थित लारेंस स्कूल आदि।

मंकी प्वाइंट

मंकी प्वाइंट यहां की सर्वाधिक लोकप्रिय जगह है। इसका पौराणिक महत्व भी है। मंकी प्वाइंट हिल पर ही संजीवनी हनुमान मंदिर बना है। जिस पहाड़ी पर मंदिर बना है उसका आकार बायें पांव की तरह है। ऐसा माना जाता है कि जब लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमान जी हिमालय संजीवनी बूटी लेने आए थे तो जाते समय उनका बायां पांव यहां लगा था। उस समय से अब तक उनके पैरों के निशान वैसे ही हैं। कसौली के सबसे ऊंचे इस प्वाइंट पर हनुमान मंदिर भी है, जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। यहां से कसौली की वादियों का नजारा देखकर रोमांचित हुआ जा सकता है। कसौली से एक ओर चंडीगढ़ सहित मैदानी क्षेत्र तो एक ओर शिमला, चायल, धौलाधार व अपर हिमाचल की बर्फ से ढकी पहाडि़यां देखी जा सकती हैं।

वायुसेना स्टेशन

यहां वायुसेना का स्टेशन देखने दुनियाभर से लोग यहां पहुंचते हैं। सुरक्षा कारणों से इस क्षेत्र में कैमरा, मोबाइल सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध है। यहां बिना एंट्री पास के किसी को भी जाने की अनुमति नहीं मिलती। हालांकि बिना इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के भी अंदर जाकर समस्त क्षेत्र में पर्यटक हरी-भरी वादियों की सैर कर सकते हैं।

बन समोसा और गुलाब जामुन का स्वाद

बन समोसा कसौली में काफी लोकप्रिय है। दूर-दूर से लोग बन समोसा खाने यहां पहुंचते हैं। यहां मेन बाजार के निकट ही एक छोटी से दुकान है। तनु स्वीट्स के नामक इस दुकान में बन समोसा परोसा जाता है।

यहां बन समोसे का लुत्फ उठाने खुशवंत सिंह, पूजा बेदी, उमर अब्दुल्ला सहित अनेक नामचीन हस्तियां पहुंच चुकी हैं। इसके मालिक नरेंद्र साहू के अनुसार, ‘बन समोसा मात्र उनके दुकान पर ही उपलब्ध है, जिसे देश व दुनियाभर के लोग काफी पसंद करते हैं।’ यहां बन समोसा बन के अंदर समोसे का मसाला डालकर बनाया जाता है और फिर चटनी, छोले, प्याज व अन्य कई सामाग्रियों के साथ इसे परोसा जाता है। बन समोसे के अलावा यहां का गुलाब जामुन भी मशहूर है, जिसके बारे में खुशवंत सिंह भी लिख चुके हैं। वैसे यहां आप इंडियन व चाइनीज दोनों तरह के फूड का लुत्फ ले सकते हैं। इंडियन में पंजाबी से लेकर हिमाचली सभी तरह के व्यंजन मिल जाएंगे।

 

मशहूर हैं ये फोटो प्वाइंट

करीब सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित कसौली में सुबह के समय लोअर माल रोड पर सन राइज प्वाइंट से निकलते सूरज का नजारा तो शाम के समय अपर माल रोड से सन सेट का नजारा देश-विदेश के पर्यटक कैमरों में कैद करना नही भूलते। इसके अलावा, लवर प्वाइंट, सेल्फी प्वाइंट, माउंट वॉक ट्रेल आदि यहां के प्रसिद्ध प्वाइंट हैं, जहां पर्यटकों की चहलकदमी देखी जा सकती है। कसौली हिल से एक ओर चंडीगढ़, पंचकूला तो दूसरी ओर शिमला, चायल, कांगड़ा की धौलाधार व अपर हिमाचल की बर्फ से ढकी पहाडि़यों को साफ देखा जा सकता है।

आसपास के आकर्षण

परवाणू-कसौली रोपवे

कसौली से 22 किलोमीटर दूर स्थित परवाणू में रोपवे के रोमांचक सफर का आनंद ले सकते हैं। यहां टीटीआर के नाम से मशहूर स्थल रोमांचक सफर के लिए विख्यात है। दिल्ली, चंडीगढ़, कालका व किसी भी मैदानी क्षेत्र के लोग जब कसौली की तरफ बढ़ते हैं तो शुरुआत में ही बेहद आकर्षक पर्यटक स्थल मौजूद है जिसे टीटीआर नाम से जाना जाता है। यहां टीटीआर प्वांटस से टीटीआर हाइट्स होटल तक ट्रॉली के सहारे सफर किया जाता है। जमीन से ऊपर हवा में उडने वाली इस ट्रॉली का सफर बेहद रोमांच भरा है। ऊपर तक पहुंचने में करीब 20 मिनट का वक्त लगता है।

डगशाई छावनी

कसौली के साथ करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डगशाई छावनी है, जहां अंग्रेजी समय की टी-नुमा जेल है जो अपने अत्याचारों के लिए प्रसिद्ध रही है। यह स्थल पहले दाग-ए-शाही नाम से विख्यात था। यह समुद्र तल से 6078 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। आज भी इस जेल की 100 से अधिक कोठरियों को देखकर रूह कांप जाती है। यहां डगशाई का नाम भी ऐतिहासिक कारणों से पड़ा। पहले कैदियों के माथे पर यहां लोहे की सलाख गर्म कर निशान लगाया जाता था। इसे ‘दाग-ए-शाही’ कहा जाता था। दरअसल, जो भी कैदी यहां से सजा पूरी करता था, उसके माथे पर दाग-ए-शाही यानी एक स्याही की मुहर लगाई जाती थी जो अमिट होती थी। यह स्थल पहले दाग ए शाही नाम से विख्यात था।

खूबसूरत बड़ोग रेलवे स्टेशन

कसौली से थोड़ी दूरी पर स्थित बड़ोग रेलवे स्टेशन है। यह कसौली से करीब 20 किलोमीटर है। यहां एक विशाल पहाड़ के नीचे से 1145 मीटर लंबी और दुनिया की डरावनी सुरंगों में शामिल बड़ोग रेलवे सुरंग है। लोग इस सुरंग को पार कर गौरवान्वित महसूस करते हैं। ऊंचे पहाड़ के नीचे से निकलने वाली इस सुरंग का महत्व इसलिए भी अधिक बढ़ा है क्योंकि इसे बनाने वाले इंजीनियर कर्नल बड़ोग ने खुद को इसी सुरंग के बीच गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसका वर्णन आज भी सुरंग के एक मुहाने पर अंकित है। सुरंग का एक सिरा गलत निकल आया था जिसके लिए एक रुपये का जुर्माना अंग्रेजी सरकार ने कर्नल बड़ोग पर लगाया था, जिसे वह सहन नहीं कर सके। उन्होंने पहले अपने कुत्ते को गोली मारी, फिर अपने सिर पर गोली चलाकर जान दे दी। वर्तमान में इस पहाड़ी पर दो सुरंगें हैं। इनमें एक अधूरी है तो एक से कालका-शिमला रेलवे का सफर चलता है। गलत बनी सुरंग के दोनों हिस्से आज भी पहाड़ पर मौजूद हैं।

पुराने राजमहलों के वैभव-दर्शन

कसौली की तीन दिशाओं में 20 से 30 किलोमीटर के दायरे में कोटबेजा रियासत, कुठाड़ रियासत व पट्टा महलोग रियासत के सैकडों वर्ष पुराने राजमहल हैं, जिनकी भव्यता आज भी बरकरार है। ये भी दर्शनीय स्थल हैं।

लकड़ी के उत्पादों की खरीदारी

कसौली बाजार में लकड़ी से बने कई आकर्षक उत्पाद मिलते हैं, जिनकी खरीदारी आपको लुभाएगी। लकड़ी से बने खिलौने, रसोई का सामान, मसाज के उपकरण, साज सज्जा के अनेक उपकरण यहां काफी संख्या में उपलब्ध होते हैं। हेरिटेज मार्ग में इस तरह की कई दुकानें हैं। यहां पर्यटक अक्सर गर्म वस्त्रों और सर्दियों के सामान की खरीददारी करते भी नजर आते हैं। यहां खादी भंडार में भी कई तरह के उत्पाद हिमाचली संस्कृति से सराबोर मिलेंगे। यहां अलग-अलग तरह के कुर्ते, अचार, जैम, धूप, अगरबत्ती भी आप खरीद सकते हैं।

कैसे जाएं कसौली?

कसौली के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ़ 65 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली से ट्रेन के जरिए कालका पहुंच कर कसौली आया जा सकता है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से हिमाचल रोडवेज की बस लेकर सीधे धर्मपुर तक पहुंच सकते हैं। वहां से लोकल बस और टैक्सी की मदद से यहां पहुंचा जा सकता है।

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