इस एक चीज से है मौत का सीधा संबंध…

हम अपने रोज के दिनचर्या में थोड़ा परिवर्तन करने के लिए बाहर घूमने चले जाते हैं इसके साथ ही रोज घर के बने खाने खाकर हम बोर हो जाते हैं और अपने मुंह का स्वाद बदलने के लिए बाहर खाने चले जाते हैं। खाने के साथ घूमना-फिरना भी जाता हैं और हम अपनों के साथ कुछ स्पेशल टाइम भी बिता लेते हैं| हम चाहे जितना स्वादिष्ट डिश रेस्टोरेंट में खा ले लेकिन घर पर बने हुए खाने की बात ही अलग होती है। घर में तैयार किए गए पकवान स्वादिष्ट तो होते ही हैं साथ ही साफ-सफाई से बनाए जाते हैं|इस एक चीज से है मौत का सीधा संबंध...

घर के खाने में जो सुकून हैं वो बाहर के खाने में नहीं हैं| स्वास्थ्य की दृष्टि से घर का खाना उत्तम माना जाता है। घर के खाने को औरते बड़े ही प्यार से प्लेट में सजाकर परिवार के सदस्यों को परोसती है। अक्सर आपने देखा होगा कि भोजन की थाली में एक साथ तीन रोटियों को नहीं रखा जाता है। क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे की असली वजह क्या है? अगर नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएँगे…..

(1) इस परंपरा की शुरुआत प्राचीनकाल से हैं| मान्यता है कि थाली में तीन रोटियां परोसना अशुभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू धर्म में 3 अंक को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए खाने के प्लेट में तीन रोटियाँ नहीं परोसी जाती हैं|

(2) शायद इसीलिए किसी भी शुभ कार्य में 3 लोगों को एक साथ नहीं बैठाया जाता है। 3 नंबर वाली तारीख के दिन किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता है। 3 नंबर को अशुभ माना जाता हैं|

(3) पुजा के सामग्रियों में भी 3 वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है। ठीक इसी तरह भोजन परोसते समय भी इसी बात का खास ध्यान रखा जाता है कि थाली में एक साथ तीन रोटियाँ न चली जाएं वरना यह अशुभ होगा|

(4) एक और मान्यता है कि किसी व्यक्ति को एक साथ 3 रोटियाँ देना किसी मृत व्यक्ति को भोजन देने के सामान होता है।

(5) हिन्दू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो तीसरे दिन उसका भोजन 3 रोटियों के साथ ही निकाला जाता है। इसलिए किसी जीवित व्यक्ति को एक साथ तीन रोटियाँ नहीं दी जाती है।

(6) यदि कभी भी किसी को तीन रोटी देनी पड़ जाए तो आप रोटी को तोड़ कर दे|

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