श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ मुहूर्त, ऐसे करे विशेष मनोकामना के लिए पूजन

घर-आंगन से लेकर मंदिर और ठाकुरद्वारे लड्डू गोपाल के आगमन की तैयारियों में जुटे हैं। मंदिरों में झांकियां सज गई हैं तो घरों में भी झूले पर कान्हा को विराजमान किया जा रहा है। इन सबके बीच लोगों में एक ऊहापोह ये है कि जन्माष्टमी का अच्छा योग किस दिन है। वहीं, लड्डू गोपाल की पूजा कैसे और कब करें, ये भी असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है। आगे की स्लाइड्स में पढ़ें सारी जानकारियां-श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ मुहूर्त, ऐसे करे विशेष मनोकामना के लिए पूजन

लखनऊ के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य प्रदीप तिवारी बताते हैं कि कुछ लोग दो सितंबर को जन्माष्टी बना रहे हैं जबकि कुछ लोग तीन को। लेकिन, निर्णय सिंधु का अध्ययन करने पर पता चलता है कि दो सितंबर रविवार को शाम पांच के बाद अष्टमी लग रही है। इसके अलावा शाम 6: 29 बजे भगवान कृष्म का जन्म नक्षत्र रोहिणी लग रहा है। ऐसे में अर्द्धरात्रि 12 बजे अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र, कृष्ण जयंती नाम का योग प्राप्त हो रहा है। इसलिए दो सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाने श्रेयस्कर है।

प्रदीप तिवारी ने बताया कि तीन सितंबर को अष्टमी दोपहर 3:29 बजे समाप्त हो जाएगी, जबकि शाम पांच बजकर 35 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र भी खत्म हो जाएगा। ऐसे में इस दिन रात 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव मनाना श्रेष्ठ नहीं है।

आचार्य प्रदीप के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने से सर्व मनोकामना पूर्ण होती है। लेकिन, अगर कुछ विशेष मनोकामनाएं हो तो उनका अलग प्रावधान है।

वे कहते हैं कि जन्माष्टमी पर देवकी सहित पूजन करना चाहिए। पुत्र की प्राप्ति के लिए या फिर पुत्र की मंगलकामना के लिए भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की आराधना करें। ये भी ध्यान रखें कि उनके साथ-साथ गाय-बछड़े भी हों। महिलाएं संतान गोपाल मंत्र का जप कर मंगल कामनाएं करें।

आचार्य के अनुसार धन-लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण की आराधना राधा के साथ करें। मनोकामनाएं पूरी होंगी।

ऐसी हो श्रीकृष्ण की प्रतिमा-
आचार्य के अनुसार श्रीकृष्ण की प्रतिमा धातु की होनी चाहिए जैसे, सोना, चांदी, पीतल, कांसा या फिर मिट्टी से बनी प्रतिमा की ही पूजा करें।

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