इन दो लड़कों ने की आपस में शादी, बने इंडिया में शादी करने वाले पहले ‘गे’ कपल
कहते हैं जब किसी से प्यार होता हैं तो सामने वाले का रंग, जाति, रूप, धर्म और यहाँ तक कि जेंडर भी नहीं देखा जाता हैं. जब ये प्यार नाम का कीड़ा काटता हैं तो इंसान अँधा हो जाता हैं और उसे सिर्फ सामने वाले व्यक्ति का दिल दिखाई देता हैं. हालाँकि हमारे समाज के कई लोग इस थ्योरी पर विश्वास नहीं करते हैं. जहाँ एक तरफ दुसरे धर्म में शादी करना भी कई लोगो को नागवारा गुजरता हैं वहीँ दूसरी ओर लड़को की एक जोड़ी ने भारत में शादी रचा कर नया इतिहास कायम किया हैं.
भारत में समान जेंडर के व्यक्ति की और आकर्षित होना एक मेंटल बिमारी माना जाता हैं. यहाँ के लोग सेम जेंडर के प्यार और शादी को एक्सेप्ट नहीं करते हैं. यहाँ तक कि भारत में ‘गे’ और ‘लेस्बियन’ मेरिज सेक्शन 377 के तहत गैर कानूनी हैं.
लेकिन इस सब के बावजूद ऋषि साठावाने और विंह नाम के दो लड़को ने भारत में पारंपरिक रीती तिवाजो से शादी रचा के एक नया इतिहास कायम किया हैं. ये जोड़ी भारत में शादी करने वाले पहले ‘गे’ कपल बन चुके हैं.
चुकी ऋषि और विंह एक NRI हैं और उनके पास अमेरिका की सिटिजनशिप हैं इसलिए उन पर भारत का ‘एंटी सेम जेंडर मेरिज’ एक्ट लागू नहीं होता हैं. आपको बता दे कि ऋषि (43) का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर जिले के युवतमल गाँव में हुआ था. यहाँ अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद ऋषि ने IIT बॉम्बे में अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की थी. वहीँ दूसरी और विंह वियतनाम के रहने वाले हैं. वर्तमान में ये जोड़ी अमेरिका के केलीफोर्निया में रहती हैं.
भारतीय मूल के होने के नाते ऋषि ये शादी भारत में अपने जन्म स्थान पर पुरे मराठी रीती रिवाजों से करना चाहते थे. हालंकि उनके पेरेंट्स यहाँ के समाज की सोच और भारत के कानून की वजह से इस बात के लिए राजी नहीं थे. आपको बता दे कि ऋषि ने सबसे पहले 1997 में अपने माता पिता को ‘गे’ होने की बात बतलाई थी. इसके बाद उनके पेरेंट्स को ऋषि के इस निर्णय को स्वीकार करने में पुरे 5 साल लग गए.
ऋषि और विंह ने जून 2017 में अमेरिका में सगाई की थी. जिसके बाद हाल ही में उन्होंने ऋषि के भारतीय जन्म स्थान युवतमल में शादी रचाई हैं. भारत की इस पहली ‘गे’ शादी में ऋषि के माता पिता और रिश्तेदारों के आलवा उनके दोस्त भी शामिल थे. इस शादी में दोनों लड़को ने आपस में वरमालाएं पहनाई और बाद में मंगलसूत्र की रस्म भी हुई.
मुंबई मिरर को दिए एक इंटरव्यू में ऋषि ने कहा कि “मेरे लिए ये एक शादी से ज्यादा प्यार और वादों को निभाने की रश्म थी. मेरे लिए ये बात अहम थी कि मैं अपने परिवार और रिश्तेदारों के सामने विंह के साथ साथ जीने मरने की कसमे खाऊं. भारत पहले एक आज़ाद ख्यालों वाला देश हुआ करता था. लेकिन बाद में ब्रिटिस (अंग्रेजो) के आने के बाद उनका उन्होंने गे-लेस्बियन मेरिज के खिलाफ एक कानून बनाया जो अब तक भारत में चल रहा हैं और हम जैसे लोगो को प्रभावित कर रहा हैं.”
वैसे आप लोगो की इस बारे में क्या राय हैं? क्या सरकार को सेक्शन 377 हटा कर ‘सेम जेंडर मेरिज’ को कानूनी कर देना चाहिए? क्या समाज को इस बारे में अपनी सोच बदलनी चाहिए? अपने जवाब कमेन्ट सेक्शन में जरूर लिखिएगा.