रिलायंस जियो के इस प्लान से इन कंपनियों को लगेगा बड़ा झटका
एक जमाना था जब मोबाइल फोन पर सिर्फ कॉल सुनने के लिए 15-16 रुपये प्रति मिनट चुकाना होता था. आज समय है असीमिति कॉल करने और सुनने का. समय के साथ बदलते दूरसंचार तकनीक और बाजार में कई टेलीकॉम ऑपरेटर के आने से गलाकाट प्रतिस्पर्धा से कॉल दरों में गिरावट आना शुरू हुआ.
हाल में जब रिलायंस जियो बाजार में सबसे सस्ती कॉल दरों के साथ आई तो पहले से मौजूद ऑपरेटरों को मजबूर होकर टैरिफ के दाम घटाने पड़े. यहां तक कि देश की सबसे पड़ी टेलीकॉम कंपनी रही भारती एयरटेल को भी अपनी नीति में बदलाव करना पड़ा. बीते एक साल में जियो ने मानो सस्ते टैरिफ की जंग छेड़ दी हो, जिसका नुकसान छोटी टेलीकॉम कंपनियों पर सबसे पहले हुआ. कुछ कंपनियां या बंद हो गईं या किसी कंपनी के साथ उनका विलय-अधिग्रहण हो गया.
मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जियो के टैरिफ वार में सबसे ज्यादा झटका वोडाफोन-आइडिया सेलुलर को लगा है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ने वर्ष 2017 के जून में खत्म तिमाही से वित्तीय नतीजे घोषित करने शुरू किया है, तब से यह वोडाफोन-आइडिया सेलुलर के मुकाबले बाजार हिस्सेदारी में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हासिल की है. इस दौरान रिलायंस जियो ने भारती एयरटेल से बाजार हिस्सेदारी में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हासिल की है.
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां-बीएसएनएल और एमटीएनएल ने इस दौरान राजस्व में बढ़ोतरी हासिल की है, जबकि निजी कंपनियां टेलीनॉर कम्यूनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड और टाटा टेलीसर्विसेस ने भारती एयरटेल को संपत्ति की बेचने के बाद अपनी परिचालन बंद कर दिया है. इसके अलावा रिलायंस कम्यूनिकेशन अपनी संपत्ति रिलायंस जियो को बेचने के बाद महज वर्चुअव वर्ल्ड में सीमित रह गई है.
टेलीकॉम क्षेत्र ने कुल राजस्व के मामले में बीते तीन तिमाही में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान पहली बार तेजी दर्ज की है. इसमें रिलायंस जियो के राजस्व में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियों के राजस्व में कमी आई है. नेशनल लॉन्ग डिस्टेंस राजस्व को छोड़ जियो का राजस्व में बाजार हिस्सेदारी अकेले 30 प्रतिशत दर्ज किया गया, जो इस क्षेत्र में सबसे अधिक रहा.