देखने से यूं तो किन्नर बेहद खुशमिजाज नजर आते हैं। लेकिन एक सच यह भी है कि वे अपने इस जीवन के अलावा अगले जन्म में कभी भी किन्नर नहीं बनना चाहते। इसके लिए किन्नर बरुचा माता की पूजा कर उनसे माफी भी मांगते है। वे माता से मिन्नतें करते हैं कि अगले जन्म में उन्हें किन्नर समाज में न भेजे। इस बात पर आप यकीन करें या न करें हर किन्नर का कोई एक गुरु जरूर होता है, जिन्हें अपने शिष्य के बारे में सारी जानकारी होती है। कहते हैं कि उन्हें यहां तक पता होता है कि उसके शिष्य की मौत कब होगी। इस बात में कितनी सच्चाई है यह नहीं कहा जा सकता।
शिष्य की मौत का राज उस गुरु को ही पता होगा जिसका जन्म खुद किन्नर की तरह हुआ हो। इतिहास गवाह है कि हजारों सालों से किन्नरों को अनदेखा किया जाता रहा है लेकिन इतिहास में ही दर्ज किन्नरों के इस ‘गोल्डन एरा’ के बारे में कम लोगों को जानकारी होगी।
दरअसल, मुगल साम्राज्य में किन्नरों को सबसे पहले अहमियत दी गई। महिलाओं के हरम की रक्षा के लिए ही सही उन्हें इस योग्य तो समझा गया कि वे समाज का ही एक अहम हिस्सा है। इसलिए उन्हें उस समय इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके लिए तर्क यह भी दिया जाता है कि किन्नर शारीरिक रूप से एक मर्द जितने ही बलवान होते हैं इसलिए उन्हें मुंगल साम्राज्य की महिलाओं की सुरक्षा के लिए रखा गया था। मुगल सेना न केवल रानियों की सुरक्षा के लिए बल्कि कईयों को अपनी सेना में जनरल भी बनाया था। सबसे पहले मुंगलों ने ही किन्नरों को इतना सम्मान दिया था।