एड्स होने के 3 नहीं बल्कि होते हैं 4 कारण, चौथा कारण जानना है आपके लिये बहुत जरूरी

कहते हैं सबसे बड़ी दौलत आपकी सेहत होती है और जिसने भी ये बात कही है उसने बिलकुल सच कहा है और कहने वाले ये भी कहते आए हैं कि सबसे बड़ा डर मौत का डर होता है, हर वक़्त हममें से बहुत लोगों को एक डर सताता रहता है और वो है मौत का डर या कोई अनहोनी घटने का डर , लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे इस डर की वजह क्या है ?

इस डर की सबसे बड़ी वजह है हमारा ख़ुद की देख़भाल के प्रति लापरवाह होना और चीज़ों को पहले से ठीक ना करना। यूँ तो दुनिया में न जाने कितनी ऐसी बीमारियाँ है कुछ बीमारियों का इलाज तो संभव है लेकिन कुछ ऐसी भी बीमारियाँ है जिनका इलाज कभी भी संभव नहीं है! आज हम आपको उन बीमारियों के बारे में आपको बताने जा रहे है! जिसे शायद लोग जानलेवा बीमारी भी कहते है!

आज हम आपको एड्स जैसी बिमारी के बारे में आपको बताने जा रहे है, जो कि मुख्य तीन कारणों से होती है! और यह इतनी खतरनाक बिमारी है! की लोगो की जान लेना इस बिमारी के लिए आम बात है! इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे है कि यह बिमारी आखिर क्यों फैलती है ।

सबसे बड़ा और सबसे चर्चित कारण – अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से सम्बन्ध बनता है जिसे एड्स है,तो यह पूरी सम्भावना है कि अगर किसी व्यक्ति को एड्स है तो दुसरे व्यक्ति को भी एड्स हो जाएगा , इसीलिए शारीरिक सम्बन्ध बनाने से पहले कंडोम का इस्तेमाल करना अत्यंत आवश्यक होता है और अपना ध्यान रखें कि किसी अजनबी से संबंध ही ना बनाएँ

दो – किसी दुसरे व्यक्ति का प्रयोग किया हुए शेविंग ब्लेड कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्यों कि अगर वह ब्लेड किसी व्यक्ति पर इस्तेमाल किया गया है तो जिसे एड्स हो तो उसका संक्रमण आपके शरीर पर भी हो सकता है , ये है दूसरी सबसे बड़ी वजह ।

तीन – किसी भी व्यक्ति को कभी भी ऐसे इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए ,जो कि किसी दूसरे व्यक्ति पर प्रयोग किया जा चुका हो , क्यों कि किसी अगर किसी ऐसे व्यक्ति को इंजेक्शन दिया गया हो जिसे एड्स हो तो वह संक्रमण आपके शरीर में भी आ सकता है और आपको एड्स हो सकता है ।

चार और सबसे ख़तरनाक वजह – वायु यानी की हवा, जी हाँ दोस्तों अगर आप बहुत अधिक समय तक किसी एड्स के मरीज के साथ रहते है तो आपके मुह से साँस लेने के दौरान अन्दर आ सकते है! इसलिए आपको ध्यान रखने की आवश्यकता है ।आपको अपनी सेहत का ध्यान ख़ुद रखना है और अपने जीवन तथा दूसरों की सुरक्षा करनी है, यही तो है असली मानव जीवन, ख़ुद से ज़्यादा दूसरों के काम आना ।

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