यंहा बांट रही है कोरोना की चमत्कारी दवा, लगती हैं 10 हजार लोगों की लाइन…

देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार फैल रहा है. लिहाजा, कोरोना से बचने के लिए वैक्सीनेशन का काम भी जारी है. संक्रमण की रोकथाम और संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए सरकार ने कुछ प्रोटोकॉल निर्धारित किए हैं. लेकिन इससे इतर भी कोरोना से बचाव को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं. आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में एक आयुर्वेदिक दवा से कोरोना के इलाज का दावा किया जा रहा है. इस दवा की मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आंध्र प्रदेश सरकार ने इस आयुर्वेदिक दवा की इलाज की क्षमता जांचने के लिए इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) में भेजने का फैसला किया है.

दरअसल, आंध्र प्रदेश के नेल्लोर स्थित कृष्णापट्टनम गांव में कोरोना से लड़ने के लिए लोगों को एक जादुई आयुर्वेदिक दवा दी जा रही है. इस बात की खबर लोगों में आग की तरह फैल रही है. एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस कारण कृष्णपट्टनम गांव में इस दवा को खरीदने के लिए दस हजार लोगों की लाइन लग गई. शुक्रवार को आंध्र प्रदेश सरकार ने इस आयुर्वेदिक दवा का एफीकेसी रेट और संपूर्ण जानकारी के लिए इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) भेजने का फैसला किया है.

कृष्णापट्टनम गांव में इस दवा को लेने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. जहां एक तरफ लंबी लंबी लाइनों में इस दवा को वितरित किया जा रहा है. वहीं कोविड-19 के प्रोटोकॉल्स की धज्जियां भी उड़ रही हैं. इस दवा का वितरण आयुर्वेदिक चिकित्सक बी आनंदैया द्वारा किया जा रहा है, जो कभी गांव के सरपंच हुआ करते थे और बाद में मंडल परिषद के सदस्य बने.

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय आयुष मंत्री किरेन रिजिजू और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निदेशक बलराम भार्गव को दवा पर अध्ययन करने के लिए कहा है. आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले से आने वाले एम वेंकैया नायडू ने इस सिलसिले में जल्द से रिपोर्ट देने को कहा है.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कोरोना वायरस के संक्रमण संबंधी एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की.  इस बैठक में मुख्यमंत्री ने आयुर्वेदिक दवा के बारे में जानकारी हासिल की, जिसे उनकी पार्टी के जिला अध्यक्ष एवं विधायक गोवर्धन रेड्डी प्रोत्साहित कर रहे हैं.

इसके अलावा, उपमुख्यमंत्री ए के के श्रीनिवास ने समीक्षा बैठक के बाद कहा, ‘हमने आईसीएमआर और अन्य एक्सपर्ट्स के द्वारा इस दवा के एफीकेसी रेट पता लगाने का फैसला किया है. वहीं पी वी रमेश पहले जो कि प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) रह चुके हैं, उन्होंने कृष्णापट्टनम में आयुवेदिक दवा के लिए जुटी भीड़ को लेकर कहा कि इससे दिक्कत और बढ़ेगी.  

पी वी रमेश, सीएम रेड्डी के विशेष सचिव के तौर पर भी काम कर चुके हैं. आंध्र प्रदेश सरकार के कोविड-19 प्रबंधन की पिछले साल देख-रेख कर चुके रमेश ने कहा, सरकारों को ऐसे अंधविश्वासों को रोकना चाहिए. कृष्णपट्टनम की इस मनगढ़ंत कहानी को तैयार करने और बढ़ावा देने वाले लोग फार्मेसी अधिनियम, 1948 और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, 1954 के तहत दंडनीय हैं.

आयुष विभाग के आयुर्वेदिक चिकित्सकों की एक टीम ने कुछ दिन पहले कृष्णपट्टनम गांव का दौरा किया और दवा के बारे में जांच-पड़ताल कर एक रिपोर्ट तैयार की. चिकित्सकों ने इस रिपोर्ट को सरकार को सौंपा और बताया कि दवा बनाने की विधि, उपचार प्रक्रिया और उसके बाद के प्रभावों का वैज्ञानिक लेवल पर अध्ययन किया जाना चाहिए. चिकित्सकों की टीम ने दावा करते हुए कहा कि दवा लेने वालों में से किसी ने भी साइड एफेक्ट्स की शिकायत नहीं की है.

कहा जा रहा है कि आनंदैया ने प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, शहद और मसालों का इस्तेमाल करके पांच अलग-अलग दवाएं तैयार की थीं. इस दवा को उन्होंने कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों, संदिग्धों और फेफड़ों की समस्याओं से झूझ रहे लोगों को दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, एक कोविड-19 मरीज की आंख में इस दवा की दो बूंदें डालने के बाद उसके शरीर में ऑक्सीजन का लेवल एक घंटे में 83 से बढ़कर 95 हो गया.

एसपीएस नेल्लोर जिला चिकित्सा, स्वास्थ्य अधिकारी और नेल्लोर राजस्व मंडल के अधिकारी भी आधिकारिक टीम का हिस्सा थे. हालांकि, टीम ने कहा कि जिस गांव में दवा दी जा रही थी वहां कोविड-19 के किसी भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है. शुक्रवार को कृष्णापट्टनम में 10,000 से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा होने के कारण गांव में भगदड़ मच गई. दवा की कमी होने की वजह से अब इसका वितरण कुछ दिनों के बाद फिर से शुरू की जाएगा.

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