कान में कैंसर होने के संकेत हो सकते हैं ये 5 लक्षण, तुरंत कराएं जांच

कान में कैंसर के मामले बहुत कम ही सुनने में आते हैं। कान का कैंसर नाक या सिर के कैंसर की तरह होते हैं जो त्वचा से होते हुए कानों तक पहुंच जाते हैं। इतना ही नहीं यह बाह्य कान के अलावा कान के अंदरूनी कैनाल को भी प्रभावित करता है। जब कैंसर कान के हिस्सों तक पहुंचने लगता है तो कान में अत्यधिक दर्द होना शुरु हो जाता है। कान में ट्यूमर के विकास से सुनने की क्षमता पर काफी असर पड़ता है। इससे धीरे-धीरे रोगी को कम सुनाई देने लगता है। कान में कैंसर की समस्या अकसर वृद्धावस्था में शुरु होती है। साठ साल या इससे ज्यादा उम्र के वृद्धों में कान का कैंसर ज्यादा होता है।

 कान में कैंसर के प्रकार

1- क्लोस्टीटोमा 

2- स्कावमस सेल सार्किनोमा

विशेषज्ञों का कहना है कि ये दोनों प्रकार के कैंसर कान के अंदर विकसित होते हैं और बाद में ये धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगते हैं। कान में होने वाले कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन का सहारा लिया जाता है। इन उपचारों को अपनाने से पहले यह पता करना जरूरी है कि रोगी किस प्रकार के कान के कैंसर से ग्रसित है और इसका पता उसमें दिखने वाले लक्षणों से किया जाता है। 

कान से द्रव्य पदार्थ का निकलना

कई बार मरीज को कान से पानी जैसा पदार्थ व ब्लड निकलने की शिकायत होती है। इसकी वजह से कान में संक्रमण व खुजली की समस्या शुरु हो जाती है। इन समस्याओं को गंभीरता से लें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।  

ईअरड्रम का क्षतिग्रस्त होना

इस मामले में कान से पीला व सफेद पदार्थ निकलता है। यह संकेत है कि मरीज का ईअरड्रम को नुकसान पहुंच रहा है। इसका मुख्य कारण है तेज ध्वनि, कान में बाह्य वस्तु का प्रयोग, इअर ट्रॉमा आदि।  

कान में इंफेक्‍शन 

कान में किसी तरह का संक्रमण कैंसर की तरफ इशारा करता है। इस समस्या को ठीक होने में एक महीने से भी ज्यादा का समय लग जाता है। यह गांठ की तरह होता है जो दिखने में गुलाबी रंग का होता है। अगर मरीज को अपने कान के आसपास इस तरह की समस्या दिखाई दे तो बिना देर किए डॉक्टर से संपंर्क करें।  

सुनाई देना बंद होना

अगर मरीज को पूरी तरह से सुनाई देना बंद हो गया है तो यह कान के कैंसर का लक्षण हो सकता है। इस तरह के मामलों में मरीज को अकसर सिर दर्द व चक्कर आने की शिकायत होती है। इसके अलावा मरीज के कानों का बजना, अलसर की शुरुआत व रक्त का निकलना जैसी समस्याएं भी देखी जाती हैं।

कान की देखभाल  

थोड़ी सी लापरवाही कान के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। यदि कान में मैल जम जाए और ठीक से सफाई नहीं की जाए तो मैल की परत धीरे-धीरे पत्थर जैसा रूप धारण कर लेती है। इससे कान का रास्ता बंद हो जाता है तथा रोगी को दर्द के साथ ऊंचा भी सुनाई देने लगता है। ऐसे में यदि शुरुआत से ही कुछ बातों का ध्यान रख लिया जाए तो आप समस्या से दो-चार होने से बच सकते हैं।

इसके अलावा कान को किसी नुकीली चीज से खुजलाने से या कान छेदने से कान में संक्रमण हो सकता है। कुछ वस्तुएँ जैसे क्रीम, इत्र कान में उपयोग में आने वाली दवाइयों की एलर्जी से भी संक्रमण होता है। कान लाल हो जाता है, खुजली आती है एवं दर्द हो सकता है। लोगों को इन चीजों का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है। 

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