दंगाइयों ने इसके जवान बेटे को मारा, फिर भी ये शख्स शहर को जलने से बचाने की अपील करता रहा बाप

पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रामनवमी के दिन से भड़की सांप्रदायिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य के कई शहर पिछले चार दिनों से जल रहे हैं. आसनसोल और रानीगंज में इन चार दिनों में दंगे की चपेट में चार लोगों की जान जा चुकी है. लेकिन इस बीच, भारत की तहजीब की ऐसी तस्वीर भी सामने आई है जो इस समाज की गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखने के लिए मिसाल है.

दंगाइयों ने इसके जवान बेटे को मारा, फिर भी ये शख्स शहर को जलने से बचाने की अपील करता रहा बापसांप्रदायिक हिंसा में आसनसोल के एक मस्जिद के इमाम के 16 साल के बेटे की हत्या कर दी गई. जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे बेटे को खोने के बावजूद इमाम इमदादुल रशीदी ने शहर को जलने से बचा लिया. गुरुवार को शांति की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि बदले की बात करोगे तो वो मस्जिद और शहर छोड़कर चले जाएंगे.

अासनसोल में एक मस्जिद में करीब तीस साल से मौलान इमदादुल रशीदी इमामत कर रहे हैं. रामनवमी के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा ने उनके बेटे की जिंदगी छीन ली. हिंसा में मृतकों में एक 16 साल के युवक की पहचान सिबतुल्ला रशीदी के रूप की गई. ये युवक इमाम इमदादुल रशीदी का बेटा था.

इस बात की खबर लगते ही आसनसोल के ईदगाह के मैदान में लोग एकजुट होने लगे. हजारों की तादाद में लोग एकत्रित हो गए थे. इमाम  रशीदी ने एकजुट हुए लोगों से शांति की अपील की. उन्होंने कहा कि बदले की बात की तो वो मस्जिद और शहर छोड़कर चले जाएंगे. वो नहीं चाहते कि कोई और बाप अपना बेटा खोए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मृतक सिबतुल्ला रशीदी ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा इसी साल दिया था. रामनवमी के दौरान भड़की हिंसा के बाद सिबतुल्ला लापता हो गया था. सूत्रों के मुताबिक, दंगाइयों ने उन्हें उठा लिया था. बुधवार देर रात शव मिला को मिला, जिसकी पहचान गुरुवार सिबतुल्ला के रूप की गई. पीट-पीटकर हत्या की गई थी.

सिबतुल्ला के पिता इमाम इमदादुल रशीदी ने बताया कि जब वह बाहर निकला तो वहां अराजकता थी. अराजक तत्वों ने उनके बेटे को उठा लिया था. रशीद ने आगे कहा- मेरे बड़े बेटे ने पुलिस को इसकी सूचना दी, लेकिन पुलिस स्टेशन में उसे प्रतीक्षा करने को कहा गया. बाद में सूचना दी गई कि पुलिस ने एक शव बरामद किया है, जिसकी शिनाख्त अगले दिन सुबह की गई.

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