बिजली की किल्लत का सामना कर रहे राजस्थान को केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय ने की कोयला उपलब्ध करवाने की सिफारिश…

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोयला खनन की मंजूरी नहीं दिए जाने से बिजली की किल्लत का सामना कर रहे राजस्थान को केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय ने कोयला उपलब्ध करवाने की सिफारिश की है। केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय की पहल के बाद राजस्थान के थर्मल बिजली घरों को एक साल तक कोयला मिलने का रास्ता साफ हो गया है। केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में कोयला मंत्रालय को 24.4 मिलियन मैट्रिक टन अतिरिक्त कोयला देने की सिफारिश की है।

जानकारी के अनुसार कोयला मंत्रालय ने इस सिफारिश को स्वीकार किया है। छत्तीसगढ़ सरकार से खनन की अनुमति नहीं मिलने से परेशान राजस्थान सरकार ने केन्द्र सरकार से अतिरिक्त कोयला दिए जाने की मांग की थी । पिछले सप्ताह उर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने दिल्ली जाकर केन्द्रीय मंत्री और सचिव सहित अन्य लोगों से मुलाकात की । इस पर केन्द्र सरकार ने राजस्थान को प्रतिवर्ष 24.4 मिलियन मैट्रिक टन अतिरिक्त कोयला देने की सिफारिश की है। अगले दो-तीन दिन में राजस्था को यह कोयला मिल जाएगा ।

सोनया और गहलोत का आग्रह भी बघेल ने नहीं माना

केन्द्र सरकार ने पिछले साल राजस्थान को छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट एण्ड कांता बेसिन के फेज-दो में 1136 हेक्टेयर क्षेत्र और पारसा कोल माइंस में प्रतिवर्ष पांच मिलियन टन कोयला खनन की मंजूरी दी थी । लेकिन भूपेश बघेल सरकार ने अब तक खनन को लेकर पर्यावरण की मंजूरी नहीं दी है। सूत्रों के अनुसार आदिवासी क्षेत्र में कोयला खान आने के कारण बघेल सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। इस सम्बन्ध आदिवासियों का बघेल सरकार पर दबाव है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस सम्बन्ध में दो बार बघेल से टेलीफोन पर बात करने के साथ ही अधिकारियों के माध्यम से भी संवाद करवाया। लेकिन सफलता नहीं मिली तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मदद मांगी।

हालांकि बघेल सरकार पर न तो सोनिया की सिफारिश का असर हुआ और न ही गहलोत के आग्रह का प्रभाव पड़ा है। छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं मिलने के कारण राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सूरतगढ़ की 1320 मेगावाट,छबड़ा की 1320 और 500 मेगावाट की यूनिट और कालीसिंध पावर प्लांट की 1200 मेगावाट बिजली उत्पादन कोयला नहीं मिलने के कारण प्रभावित हो रहा है। अग्रवाल का कहना है कि अब शीघ्र ही कोयला मिलने की उम्मीद है। 

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