आगरा में मोहर्रम की दसवीं तारीख पर मातमी धुन के साथ अलम और ताजिये के जुलूस निकाले गए। शुक्रवार को सबसे पहले ऐतिहासिक फूलों का ताजिया निकाला गया। 12 फुट ऊंचे ताजिये को न्यू आगरा करबला में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। शहर में ताजियों के जुलूस की शुरुआत फूलों का ताजिया उठने के बाद हुई। इसके बाद सैकड़ों जुलूस निकाले गए।
ताजियों को न्यू आगरा करबला, गोबर चौकी करबला और सराय ख्वाजा करबला में दफनाया गया। करीब ढाई हजार ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। पाय चौकी स्थित ऐतिहासिक फूलों के ताजिये पर गुरुवार शाम से ही गुलपोशी का सिलसिला शुरू हो गया। शहर के अन्य हिस्सों से लोग, यहां फूलों केताजिया पर जियारत करने पहुंचे। पूरे इलाके में रोशनी और सजावट की गई।
फूलों के ताजिया पर जियारत करने वालों का तांता लगा रहा। मेवा कटरा स्थित खानकाह नियाजिया से मातमी धुन के साथ जुलूस निकाला गया। शुक्रवार को मोहर्रम की 10वीं तारीख को शहरभर के ताजियों को करबलाओं में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
शाहगंज स्थित पुराना इमामबाड़े से अंजुमन ए पंजेतनी की ओर से ताजियों का जुलूस निकला गया। या हुसैन या अली की सदाओं के साथ नौजवानों, बच्चों और बुजुर्गों ने छुरी, कमा और ब्लेड का मातम किया। रुई की मंडी पे ब्राह्मण समाज की ओर से ताजियेदारों का स्वागत किया गया। सराय ख्वाजा कर्बला पर ताजिये दफनाए गए।