सुविधा ही बन गई मुसीबत, लोग भटकने को मजबूर, जानें पूरा मामला

मोहाली। प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की ऑनलाइन सुविधा ने रजिस्ट्रेशन की रफ्तार बढ़ाने के बजाय कम कर दी है। योजना लागू होने को सप्ताह से ज्यादा हो गया है। लेकिन डेराबस्सी व जीरकपुर की ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की रफ्तार सामान्य नहीं हो पाई है। शुरुआत में ही यह सुविधा प्रॉपर्टी खरीदारों व विक्रेताओं के लिए जी का जंजाल बन रही है। कभी सर्वर डाउन, कभी आधार मैच न करना, तो कहीं फोटो के लिए लोगों को मिनटों के बजाय घंटों लग रहे हैं।सुविधा ही बन गई मुसीबत, लोग भटकने को मजबूर, जानें पूरा मामला

माल विभाग के अफसर चाहे कामकाज पटरी पर आने का दावा कर रहे हैं, लेकिन रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़े उनके दावों की पोल खोल रहे हैं।डेराबस्सी तहसील में 30 से 35 प्रॉपर्टी वसीकों की औसत है, परंतु पांच दिन बाद भी रजिस्ट्रेशन कामकाज सामान्य से कम दर्ज है। 8 जनवरी को महज 1, 9 जनवरी को 9, 10 को 14, 11 को 19 व 12 को 30 रजिस्ट्रियां ही ऑनलाइन दर्ज हो सकीं। 

वसीका नवीसों ने दोगुनी से अधिक की फीस

महकमे ने अपनी घटाकर वसीका नवीसों की माथापच्ची बढ़ा दी है। वसीका नवीसों ने देर नहीं लगाई, लगे हाथों अपनी फीस ढाई गुना तक बढ़ा दी है। पहले जो फीस 1000 रुपये थी, अब 2500 तक खरीदार से वसूले जा रहे हैं। वसीका नवीसों ने अपनी फीस दोगुना से भी अधिक कर दी है, क्योंकि उनके लिए इंटरनेट, स्कैनर आदि के खर्चे बढ़ गए हैं। 

स्कैनर में रिजेक्ट हो रही हैं प्रतियां

स्कैनर में ऑरिजनल आधार कार्ड व अन्य डॉक्यूमेंट स्वीकार किए जा रहे हैं, जबकि उनकी प्रतियां रिजेक्ट हो रही हैं। सर्वर भी अकसर डाउन रहता है, जबकि साइट भी स्लो रहने की शिकायतें हैं। वसीका नवीसों का कहना है कि डेराबस्सी तहसील में सिर्फ पांच वसीका नवीस ही ऐसे हैं, जिन्हें डीसी ऑफिस से सॉफ्टवेयर अलॉट हुआ है। वे जितनी चाहे रजिस्ट्रियां लॉग इन कर सकते हैं। एनजीडीआरएस सॉफ्टवेयर में अब तक खामियां ज्यादा उजागर हो रही हैं और सुकून कम नसीब हुआ है।

लंबी प्रक्रिया में लगता है अधिक समय

रजिस्ट्री कराने के लिए फर्द, खरीदार, बेचने वाला व दो गवाह चाहिए, वहीं, साइन के साथ बायो मैट्रिक तौर पर अंगूठा भी जरूरी कर दिया है। सबसे अधिक समय फोटो खिंचाने में लग रहा है। चार फोटो होते हैं, जिन्हें आधार के डाटा मुताबिक मुखड़ा स्कैन करने में समय लगता है।इसमें अमूमन 15 मिनट से आधा घंटा तक लग रहा है। फीड कर रहे डीड राइटर्स के लिए और कई और जटिलताएं भी हैं। सुकून की बात यह है कि अब नंबरदार, पार्षद या पूर्व पार्षद की जरूरत नहीं रही। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू दी गई परंतु रेवेन्यू रिकॉर्ड पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड ही नहीं है। 

एसोसिएशन बोली : पहले लोगों को जागरूक तो करते

प्रॉपर्टी डीलर्स एवं बिल्डर्स एसोसिएशन डेराबस्सी के प्रधान भूपिंदर राणा, एडवाइजर नितिन जिंदल व चेयरमैन कुलदीप रंगी के अनुसार ऑनलाइन से पहले वसीका नवीसों, रेवेन्यू स्टाफ समेत लोगों को कैंप लगाकर अच्छे से जागरूक किया जाना चाहिए था। इससे लोगों का समय भी कम जाया होता और लोग इसके लिए मानसिक रूप से पहले से तैयार रहते।

उन्होंने कहा कि माल विभाग को यह सुविधा शुरू करने से पहले अपना तमाम रेवेन्यू रिकॉर्ड भी कंप्यूटराइज्ड कर लेना चाहिए था। नए सिस्टम के मुताबिक तो बेचने या खरीदने वाले को रजिस्ट्रार कार्यालय तक आना ही होगा, चाहे वह कितनी भी दूर क्यों न हो। आधार कार्ड से केवल एनआरआइज को ही छूट है।

Back to top button