68.37 पर पहुंची एक डॉलर की कीमत, 17 महीने के निचले स्तर पर भारतीय रुपया

नई दिल्ली। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार के कारोबार में भारतीय रुपया 3 बजकर 45 मिनट पर 68.37 पर कारोबार करता देखा गया। इसके साथ ही रुपया डॉलर के मुकाबले 17 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट का सीधा सरोकार आम आदमी से होता है।68.37 पर पहुंची एक डॉलर की कीमत, 17 महीने के निचले स्तर पर भारतीय रुपया

एक्सपर्ट से समझें क्यों कमजोर हो रहा है रुपया

केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया कि डॉलर इंडेक्स में तेजी समेत तमाम इंटरनेशनल फैक्टर की वजह से रुपए में कमजोरी देखने को मिल रही है। रुपया निचले स्तर में 68.40 और उच्चतम स्तर में 68.50 तक जा सकता है। केडिया ने कहा कि भारत का ट्रेड डेफेसिट बढ़ रहा है, क्रूड इंपोर्ट में मंदी का रुख देखने को मिल रहा है और जियो पॉलिटिकल टेंशन अभी खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। साथ ही डॉलर का आउटलुक पॉजिटिव है, जिसकी वजह से रुपया कमजोर हो रहा है। वहीं अगर जीएसटी के संदर्भ में देखें तो इन्फ्लो बढ़ा है। बीते महीने जीएसटी का आंकड़ा 1 लाख करोड़ के पार चला गया था। वहीं अगर एक साल तक सरकार इसे मेंटेन रख सकता है तो यह रुपए के लिए बेहतर होगा। वहीं मानसून बेहतर है जो कि अच्छा पॉजिटिव फैक्टर हो सकता है। साथ ही केडिया ने यह भी कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सिर्फ रुपया कमजोर हो रहा है। सिंगापुर और चीन जैसे इमर्जिंग मार्केट की करेंसी भी बेहतर स्थिति में नहीं है उनका भी कमोबेश यही हाल है।

रुपये के कमजोर होने से आम आदमी को होते हैं ये 4 नुकसान

महंगा होगा विदेश घूमना: रुपये के कमजोर होने से अब विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी क्योंकि आपको डॉलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपए खर्च करने होंगे। फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयॉर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डॉलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।

विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब यह भी महंगा हो जाएगा। अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े ज्यादा पैसे भेजने होंगे। यानी अगर डॉलर मजबूत है तो आपको ज्यादा रुपए भेजने होंगे। तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को परेशान कर सकती है।

क्रूड ऑयल होगा महंगा तो बढ़ेगी महंगाई: डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल भी महंगा हो जाएगा। यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) ज्यादा रुपये खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।

सरकार को होता है ये नुकसान: रुपये के कमजोर होने और डॉलर के मजबूत होने से देश की सरकार को भी नुकसान होता है। अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा। यानी देश के इंपोर्ट बिल में भी इजाफा हो जाता है जो सरकार के लिए भी चिंता का विषय है।

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