मोदी सरकार ने किसानों को दिया ये बड़ा तोहफा, अब देश के किसानों को…

कोरोना की मार झेल रहे किसानों को मोद सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने कहा है कि देश के किसानों को DAP खाद अभी भी पुरानी कीमतों में ही मिलेगी। खाद की कीमतें बढ़ने पर सरकार सब्सिडी की मात्रा बढ़ा देगी, ताकि किसानों को खाद पुराने दाम पर ही मिल सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है। केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बैठक में हुए फैसलों की जानकारी दी है।

मंडाविया ने बताया कि यूरिया की कीमत केंद्र सरकार तय करती है, जो फिक्स रहती है और सब्सिडी कम ज्यादा होती रहती है। वहीं, अन्य खाद पर बाजार कीमत कम-ज्यादा होती रहती है और सब्सिडी फिक्स रहती है। अब सरकार ने सब्सिडी घटाने और बढ़ाने का फैसला किया है। इससे किसानों को डीएपी की कीमत बढ़ने पर सब्सिडी भी बढ़ जाएगी और किसानों को खाद तय कीमत पर ही मिलेगी। मंडाविया ने बताया कि डीएपी की कीमत 2400 रुपये हो गई है, तो सरकार 1200 रुपये सब्सिडी देगी। इससे सरकार को 14,775 करोड़ रुपये का घाटा होगा।

डीप ओसियन मिशन पर काम करेगा भारत

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में डीप ओसियन मिशन को भी मंजूरी मिली है। यह फैसला भारत को नए युग में ले जाने वाला है। उन्होंने कहा, ‘पृथ्वी का 70 फीसद समुद्र है। समुद्र में अपनी एक दुनिया है। भारत ने आज तय किया कि आने वाले 5 सालों में डीप ऑसियन मिशन पर काम करेगा, जिससे समुद्र में मौजूद संसाधनों का उपयोग हो सकेगा। यह ब्लू इकोनॉमी को सपोर्ट करेगा। यह एक विशेष प्रकार का सूट होता है। जिसे पहनकर समुद्र में 6000 मीटर नीचे जाकर मिनरल्स की स्टडी की जाती है। भारत का 7000 किलोमीटर का समुद्री किनारा है, जो 9 राज्यों से जुड़ा है।

समुद्र में बनेगी थर्मल एजेंसी

डीप ओसियन स्टडी से यह भी पता चल सकेगा कि ग्लेशियर टूटने से डीप सी में क्या परिणाम हो रहे हैं। आज से पहले भारत ने समुद्र की गहराई में मिनरल्स की दृष्टि से सर्वे नहीं हुआ है। इसके अलावा एक एडवांस मरीन स्टेशन भी स्थापित होगा, जिससे ओसियन बायोलॉजी का अध्ययन होगा। यह उद्योगों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। भारत समुद्र में थर्मल एजेंसी भी स्थापित करेगा। अभी दुनिया के पांच देशों के पास यह तकनीक है। यह तकनीक खुले तौर पर बाजार में नहीं मिलती है। इसे पांचो देशों ने खुद ही विकसित किया है। यह मिशन भारत को शोध की दुनिया में नए युग में ले जाने वाला है।’

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