इन छह कमजोर सरकारी बैंकों के आये अच्छे दिन,वित्त मंत्रालय ने पूंजी डालने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

वित्त मंत्रालय ने छह कमजोर सरकारी बैंकों में 7,577 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जिन बैंकों को वित्तीय सहयोग दिया जा रहा है, वे सभी रिजर्व बैंक के तत्काल सुधारात्मक उपाय (पीसीए) के अंतर्गत आते हैं। यह पूंजी सरकार की इंद्रधनुष योजना के तहत दी जा रही है।

इसके अंतर्गत सरकार ने मार्च, 2019 तक बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का वादा किया है। बैंक ऑफ इंडिया, आइडीबीआइ बैंक और यूको बैंक सहित जिन बैंकों को पूंजी मिलेगी, वे प्रेफरेंशियल शेयर जारी करके पूंजी प्राप्त करेंगे। शेयरधारकों से मंजूरी सहित आवश्यक नियामकीय मंजूरियां मिलने के बाद अगले कुछ हफ्तों में पूंजी डालने की प्रक्रिया शुरू होगी।

यूको बैंक ने बुधवार को बताया कि सरकार से 1,375 करोड़ रुपये की पूंजी के बदले प्रेफरेंस शेयर जारी करने के प्रस्ताव को लिए निदेशक बोर्ड की मंजूरी मिल गई है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के निदेशक बोर्ड की पूंजी की व्यवस्था करने वाली समिति ने भी 323 करोड़ रुपये जुटाने के लिए 83.15 रुपये प्रति शेयर मूल्य पर 3.88 करोड़ शेयर आवंटित करने की मंजूरी दी है।

इनके अतिरिक्त, सरकार ने बैंक ऑफ इंडिया में 2,257 करोड़ रुपये, आइडीबीआइ बैंक में 2,729 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 650 करोड़ रुपये और देना बैंक में 243 करोड़ रुपये डालने का फैसला किया है। सरकार ने सभी सरकारी बैंकों में पूंजी डालने का फैसला किया है। इस दिशा में इन छह बैंकों को पूंजी जारी करने की शुरुआत हुई है ताकि इनकी पूंजी की जरूरत को पूरा करने में मदद मिले और इनका कारोबार सामान्य हो सके।

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अक्टूबर में फंसे कर्जों यानी एनपीए की मार झेल रहे सरकारी बैंकों में दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपये डालने की घोषणा की थी। पुनर्पूंजीकरण की इस योजना में 1.35 लाख करोड़ रुपये बांड के जरिये और 58,000 करोड़ रुपये सरकार की हिस्सेदारी बेचकर जुटाए जाएंगे।

सरकारी बैंकों का एनपीए जून, 2017 तक 7.33 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया था। मार्च, 2015 में इसका स्तर 2.75 लाख करोड़ रुपये था।

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