पूर्व IAS कासनी राजनीति के मैदान में उतरते ही सिस्टम को घेरते हुए बोले

चंडीगढ़। राजन‍ीति की पिव पर उतरते ही रिटायर्ड आइएएस प्रदीप कासनी ने आक्रामक बल्लेबाजी शुरू कर दी है। वह सिस्टम में व्याप्त खामियों के खिलाफ हमलावर हो गए हैं। हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए कासनी ने सिस्‍टम पर जमकर सवाल उठाए। उन्‍होंने राज्‍य सरकार से लेकर आइएसएस अफसरों को भी घेरे में लिया। प्रदीप कासनी यहां मीडिया से रूबरू हुए।पूर्व IAS कासनी राजनीति के मैदान में उतरते ही सिस्टम को घेरते हुए बोले

बावल भू-अधिग्रहण रद होने पर रिटायर्ड आइएएस ने खोला मुंह, सरकार को बताया जिम्मेदार

कासनी ने बावल भू-अधिग्रहण रद होने के पीछे के कारणों का खुलासा किया और सरकार पर निशाना साधा। इसके साथ ही उन्‍होंने साथी आइएएस अफसरों पर कर्मचारियों को हड़ताल के लिए उकसाने के आरोप जड़े। कासनी के तेवर देख हरियाणा कांग्रेस ने उन्हें विभिन्न विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार की चार्जशीट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान डॉ. अशोक तंवर ने कहा कि इस चार्जशीट को मनोहरलाल सरकार के चार साल पूरे होने पर सार्वजनिक किया जाएगा। 

हरियाणा कांग्रेस मुख्यालय में प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और जेएनयू के छात्र नेता प्रदीप नरवाल के साथ पत्रकारों से रू-ब-रू कासनी ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की। गुरुग्राम के मंडल आयुक्त रहने के दौरान आइएमटी बावल की परियोजना में अहम भूमिका निभाने वाले प्रदीप कासनी ने कहा कि भू-अधिग्रहण को लेकर पहले दिन से ही खेल चला। मंडल आयुक्त होने के नाते उन्होंने पूरे प्रोजेक्ट में निष्पक्षता से काम किया और किसानों को औसतन दो करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा घोषित कर दिया।

उन्‍हाेंने कहा कि इसके उलट सरकार चाहती थी कि किसानों को केवल 30 से 40 लाख रुपये प्रति एकड़ देकर निपटा दिया जाए। कासनी ने दावा किया कि इस मामले में वह नौ बार मुख्‍यमंत्री से नई दिल्‍ली के हरियाणा भवन में मिले। हर बार सरकार की ओर से मुआवजे की राशि को अधिक नहीं करने का दबाव डाला गया। इसके उलट केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत और लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह किसानों को अधिक से अधिक मुआवजा मिले। इसी खींचतान में पूरी परियोजना को ही रद कर दिया गया।

हुड्डा के रथ पर नहीं, तंवर की साइकिल पर होंगे सवार

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ कासनी का छत्तीस का आंकड़ा रहा। इसका असर कासनी की मीडिया से बातचीत भी दिखाई दिया। प्रदीप कासनी का ध्यान जब हुड्डा के कांग्रेस में वरिष्ठ होने की तरफ दिलाया गया तो उन्होंने साफ कहा कि वह रथ की बजाय साइकिल पर सवारी करना पसंद करेंगे। साइकिल आम आदमी के करीब होती है और रथ आमजन की पहुंच से दूर होता है। कासनी ने चुटकी लेते हुए कहा कि वह खुद साइकिल चलाने में विश्वास रखते हैं।

साथी आइएएस अफसरों को भी लपेटा

प्रदीप कासनी ने अपने सहयोगी रहे एक आइएएस को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि साजिशन उन्हें ऐसे विभाग में तैनात कर दिया गया जिसका अस्तित्व वर्षों पहले खत्म हो चुका था। इससे उनके वेतन के लाले पड़ गए और उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। अपने विभाग में हुई हड़ताल के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात एक आइएएस को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को खुश करने के लिए उन्होंंने कर्मचारियों को उकसाया। उन्हें मानसिक रूप से परेशान करने के लिए बगैर मुद्दे के ही यह हड़ताल कराई गई।

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