शहीद बेटे को तिरंगे में लिपटा देख पिता ने नम आंखों से कही दिल छू लेने वाली बात
June 17, 2018
1 minute read
जिस पिता से सेना की वीरता के किस्से सुनकर मानवेंद्र ने सेना को चुना, आज उसी बेटे को तिरंगे में लिपटा देख रिटायर फौजी पिता की आंखें भी डबडबा गई, लेकिन शौर्य, पराक्रम की मिसाल पेश करने वाले बेटे की शहादत से सिर गर्व से ऊंचा भी हो गया।
बेटे को तिरंगे में लिपटा देख वे बोले, मौत तो एक दिन आनी है, लेकिन मेरे बेटे ने देश के लिए प्राण न्यौछावर किए हैं। मेरा खून देश के काम आया है। यह मेरे लिए गौरव की बात है। 13 जून की रात्रि को जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए मानवेंद्र के दर्शनों के लिए पूरी कालीमठ घाटी उमड़ पड़ी।
अपने लाल को खोने का गम यहां के लोगों की आंखों से बहते आंसू बया कर रहे थे। शहीद के घर में पत्नी, मां और बहनें जहां मानवेंद्र के शव को देख बिलख-बिलख कर बेसुध हो गई। वहीं लकवे से ग्रसित पिता नरेंद्र सिंह भी अपने उबाल को रोक नहीं पाए और बेटे के शव से लिपटकर फूट-फूटकर रो पड़े।
फिर कुछ ही देर में स्वयं को संभालते हुए बोले, मुझे खुशी है, मेरा बेटा देश पर न्यौछावर हुआ है। चाचा दिलवर सिंह रावत कहते हैं, बेटे को गोदी में रखकर कभी गांव की गलियों में घूमा करता था और आज…। वहीं फफकते हुए छोटे भाई दिग्विजय ने बताया कि किस तरह बड़ा भाई उसका ध्यान रखता था।
अपने वीर सैनिक को अंतिम विदाई देने के लिए काली गंगा के पैतृक घाट पर सेना के 138 जवान मौजूद थे, जिसमें 4 अधिकारी, 12 जेसीओ व 122 जवान थे। इधर, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि शहीद परिवार की हरसंभव मदद की जाएगी।