शिक्षा देकर गढ़ रहे भविष्य, ‘कल्पतरु’ की छांव में निभा रहे पड़ोसी धर्म

शिक्षक की समाज कल्याण व राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है। एक ओर वह विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं तो वहीं समाज के प्रति भी उनकी जिम्मेदारी है। सामाजिक सहभागिता को मूर्त रूप देने प्राध्यापकों ने आर्थिक सहयोग से एक संस्था का गठन किया है और इसके माध्यम से जरूरतमंदों को मदद कर पर पीड़ा को हरने का धर्म निभा रहे हैं।

स्वामी स्वरुपानंद महाविद्यालय हुडको में पढ़ाने वाली प्राध्यापिकाओं ने संस्था का गठन किया। नाम दिया कल्पतरु…। कल्पतरु की नींव 24 मार्च 2008 को रखी गई। संस्था का उद्देश्य मेधावी निर्धन छात्र-छात्राओं के लिए निःशुल्क पुस्तकों की व्यवस्था करना, आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों की फीस भरना, तृतीय व चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को बिना ब्याज के आर्थिक सहयोग प्रदान करना है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।

इस काम को अंजाम तक पहुंचाने प्राध्यापिकाएं हर महीने अपनी तनख्वाह से 500 से 1000 रुपये कल्पतरु फंड में जमा करतीं हैं और जरूरतमंदों को मदद करतीं है। संस्था शिक्षा के साथ पड़ोसी धर्म निभाने में भी पीछे नहीं है। स्वास्थ्य शिविर, इलाज के लिए मदद, निःशुल्क दवा का वितरण, ट्राइसिकल वितरण, स्वच्छता अभियान व पर्यावरण संरक्षण पर भी लगातार काम कर रही है। 

इन जगहों में देती हैं सहयोग

मेधावी निर्धन छात्रों के लिए निःशुल्क पुस्तकों की व्यवस्था करना।

– आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों की फीस भरना।

– तृतीय व चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को बिना ब्याज के आर्थिक सहायता देना

– सूखाग्रस्त जगहों में पौधे रोपण कर धरती का श्रृंगार करना।

– स्वच्छता अभियान को सफल बनाने डस्टबीन का वितरण।

– स्वास्थ्य शिविर, इलाज के लिए आर्थिक मदद, निःशुल्क दवा का वितरण।

– निःशक्तों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ट्राइसिकल का वितरण।

पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छता के लिए मुहिम

कल्पतरु संस्था द्वारा पर्यावरण को सहेजने व स्वच्छता पर भी मुहिम चलाई जा रही है। संस्था का उद्देश्य धरा को हरा-भरा रखना है, ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे। संस्था द्वारा अब तक हजारों की संख्या में पौधरोपण किया गया है। इसके अलावा स्वच्छता अभियान को गति देने में भी लगी है। समिति द्वारा साफ-सफाई को लेकर लगातार जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा संस्था द्वारा सामाजिक सरोकार के तहत आर्थिक मदद देकर सहयोग भी किया जा रहा है।

भूखे को मिले भोजन, इसलिए शादी समारोह में पोस्टर

संस्था द्वारा शादी-ब्याह में पार्टी के दौरान पोस्टर भी लगाया जाता है। संस्था के सदस्य शादी-ब्याह वाले घरों में संपर्क करते हैं और भोजन को व्यर्थ बर्बाद न करने की अपील करते हैं। वैवाहिक कार्यक्रम जहां होते हैं वहां पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक करते हैं कि जितनी आवश्यकता है उतना ही भोजन लें। ज्यादा भोजन लेकर व्यर्थ बर्बाद न करें। यह भोजन किसी भूखे का पेट भर सकता है। संस्था बचे भोजन को भूखे लोगों को बांटती है।

सामाजिक दायित्व हमारी नैतिक जिम्मेदारी

समस्त प्राणियों में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ चेतन प्राणी माना गया है। मनुष्य के पास मस्तिष्क है, हृदय है। हम दूसरों के दुःख से द्रवित हो जाते हैं। हम सामाजिक प्राणी है और समाज में उपेक्षित लोगों की अवहेलना नहीं कर सकते। एक-दूसरे की परेशानियों में साथ देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। संस्था 2008 से निरंतर सामाजिक गतिविधियों का संचालन कर रही है। मन को सुकून मिलता है कि हम समाज के लिए कुछ कर रहे हैं। 

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