डॉक्टर भी हुए हैरान, ये शक्स सालों से हाथ पर उगा रहा था निजी अंग…

साल 2014 की बात है 45 वर्षीय मैल्कोम मैकडोनल्ड के खून में खास तरह का संक्रमण हो गया. जिसकी वजह से उनकी हाथ-पैर की उंगलियां काली पड़ने लगीं. सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि इस शख्स का निजी अंग भी काला पड़ने लगा. कुछ दिन बाद उंगलियां तो ठीक हो गईं लेकिन उसका निजी अंग अपने आप शरीर से अलग होकर गिर गया. उसके बाद डॉक्टरों ने कमाल का काम किया. डॉक्टरों ने मैल्कोम के हाथों पर निजी अंग उगाना शुरू कर दिया. लेकिन कोरोना की वजह से निजी अंग उसकी सही जगह पर नहीं लग पा रहा है. 

द सन और न्यूयॉर्क पोस्ट में प्रकाशित खबरों के मुताबिक मैल्कोम दुखी हो गए. खूब शराब पीने लगे. परिवार, रिश्तोदारों और अन्य लोगों से मिलना छोड़ दिया. दो सालों तक यही हालात रहे. लेकिन एक दिन वो डॉक्टरों के पास गए. डॉक्टरों ने मैल्कोम को कहा कि आपके हाथ पर इसे उगने में कुछ महीने लगेंगे.

मैल्कोम लंदन यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रोफेसर डेविड राल्फ से मिले. प्रो डेविड राल्फ नया लिंग बनाने के एक्सपर्ट हैं. इसके लिए वो शरीर के हाथ या पैर पर नया लिंग उगाते हैं. प्रोफेसर डेविड ने मैल्कोम से कहा कि हम तुम्हें नया लिंग दे देंगे. लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा.

डेविड ने मैल्कोम को नया लिंग बनाने के सारे तरीके बताए तो मैल्कोम ने हाथ पर नया लिंग उगाने की मेडिकल प्रक्रिया को चुना. इस प्रक्रिया में दो साल लगने वाले थे. मैल्कोम का मामला नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के पास गया. मैल्कोम को NHS से सर्जरी कराने के लिए फंड भी मिल गया. 

मैल्कोम को 50 हजार पाउंड यानी करीब 5 लाख रुपए का फंड मिला था. प्रो डेविड राल्फ ने मैल्कोम के नसों और मासंपेशियों से नया लिंग बनाकर उसके हाथों से जोड़ दिया. ताकि हाथ पर ही उसका विकास होता रहे. प्रोफेसर ने आकार को पहले से दो इंच ज्यादा बड़ा कर दिया.

प्रोफेसर ने नए निजी अंग में वो सारी चीजें विकसित कर दीं जो प्राकृतिक लिंग में होता है. इससे मैल्कोम का आत्मविश्वास वापस आने लगा. लेकिन पिछले कुछ महीनों से कोरोना की वजह से डॉक्टर का समय नहीं मिल रहा था. साथ ही अस्पताल में भर्ती होने के लिए उन्हें जगह नहीं मिल रही थी. 

आखिरकार हाल ही में प्रोफेसर डेविड राल्फ ने हाथ पर उगाए गए नए निजी अंग को मैल्कोम के शरीर के सही हिस्से में प्रत्यारोपित कर दिया. मैल्कोम ने बताया कि जब मैंने पूरी तरह से विकसित अंग को अपने हाथों पर देखा तो मुझे जरा भी शर्म नहीं आई. मुझे प्राउड फील हो रहा था. 

जब तक यह हाथ पर था तब कई बार लोग मुझे चिढ़ाते थे. लेकिन मैं अब खुश हूं. कोरोना वायरस की वजह से मेरी सर्जरी की कुछ तारीखें रद्द की गई थीं पर आखिरकार अंत भला तो सब भला.

प्रोफेसर डेविड राल्फ ने बताया कि मैल्कोम से पहले एक रूसी शख्स को साल 2005 में बायोनिक लिंग लगाया गया था. वह भी मैंने उसके हाथ पर विकसित किया था. इसके बाद साल 2013 में एडिनबर्ग के शख्स के साथ यही दिक्कत हुई थी. उसे भी ठीक किया था. फिर साल 2018 में मैनचेस्टर का एक शख्स को नया अंग लगाया गया, उसे बचपन से ही लिंग नहीं था. 

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