एलजी के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ही नहीं यहां के लाखों व्यापारी वर्ग भी हैं नाराज, जानिए कारण

एलजी के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ही नहीं यहां के लाखों व्यापारी वर्ग भी नाराज हैं। सभी में इस बात की नाराजगी है कि कोरोना के असर हम होने के बावजूद भी उन्हें सख्त नियमों से कोई रियायत नहीं दी जा रही है जिससे इनके बिजनेस पर असर पड़ रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली में ओमिक्रोन का संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा था हालांकि अब यह बीते कुछ दिनों से कम हो रहा है तो ऐसा माना जा रहा है कि संक्रमण का पीक अब कम हो रहा है। 

बाजार पर लगी हैं ये तीन पाबंदियां

बता दें कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की ओर से कोरोना के दिशानिर्देशों व पाबंदियों को यथास्थिति रखने से दिल्ली के व्यापारियों में निराशा के साथ नाराजगी है। बाजारों में मौजूदा समय में सम-विषम आधार पर एक दिन बाद दुकानें खोलने, रात्रि कर्फ्यू वीकेंड कर्फ्यू की पाबंदी है। संक्रमण दर घटने व ओमिक्रोन वेरिएंट के कम घातक होने के साथ कारोबार के प्रभावित होने का हवाला देते हुए व्यापारिक संगठन उपराज्यपाल अनिल बैजल व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इन पाबंदियों को हटाने की मांग कर रहे थे।

उपराज्यपाल के फैसले से लगा झटका

इसको लेकर दोनों को पत्र लिखने के साथ विरोध भी शुरू हो गया था। खासकर, सम-विषम के खिलाफ बाजारों में मुहिम चल रही थी, लेकिन सभी प्रयासों को उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली डीडीएमए के शुक्रवार को लिए फैसले से झटका लगा है। इसके पहले दिन में जब सरकार की ओर से सम-विषम और वीकेंड कर्फ्यू हटाने का प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजने की जानकारी मिली तो बाजार में खुशी की लहर थी, लेकिन कुछ ही घंटे में उपराज्यपाल के फैसले ने उन्हें झटका दे दिया।

इन बाजारों में हैं निराशा का माहौल

इससे चांदनी चौक, कूचा महाजनी, भागीरथ पैलेस, किनारी बाजार, चावड़ी बाजार, सदर बाजार, करोलबाग, नया बाजार, कश्मीरी गेट, कनाट प्लेस, खारी बावली व टैंक रोड समेत अन्य बाजार के कारोबारियों में निराशा के साथ नाराजगी का माहौल है।

प्रभावित हो रहा बाजार

दिल्ली हिंंदुस्तानी मर्केटाइल एसोसिएशन (डीएचएमए), चांदनी चौक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीभगवान बंसल ने कहा कि सम-विषम के चक्कर में कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। कारोबार घटकर मुश्किल से 30 फीसद रह गया है, क्योंकि सप्ताह में दो से तीन दिन ही दुकानें खुल रही हैं। यह काफी खराब स्थिति है।

पाबंदियों के कारण नहीं आ रहे खरीदार

फेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन (फेस्टा) के महामंत्री राजेंद्र शर्मा ने कहा कि पुरानी दिल्ली के अधिकतर बाजार थोक में कारोबार करते हैं। दूसरे राज्यों से खरीदार भी बड़ी संख्या में आते हैं, लेकिन बाजारों पर पाबंदियों के चलते उन्होंने फिलहाल दिल्ली आना छोड़ दिया है। इससे कारोबार न के बराबर रह गया है।

हो रही आर्थिक परेशानियां

दिल्ली इलेक्टिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन (डीटीए), भागीरथ पैलेस के अध्यक्ष भारत आहूजा ने कहा कि दुकानदारों पर कई प्रकार के खर्चे हैं। देनदारियां और टैक्स हैं। अगर उनका कारोबार नहीं चलेगा तो वे इसे चुकाने में असमर्थ होंगे। बाजार की यही स्थिति है। आधे से अधिक दुकानदार देनदारियों में चूकने लग गए हैं। इससे उनकी कारोबारी प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।

दुकान का खर्च एवं वेतन निकालना हो रहा मुश्किल

कश्मीरी गेट आटोमोटिव पाट्र्स मर्चेट एसोसिएशन (अपमा) के अध्यक्ष विनय नारंग ने कहा कि दुकान का खर्च और कर्मचारियों का वेतन तक निकालना मुश्किल हो गया है। दैनिक यात्री संघ के महासचिव बालकृष्ण अमरसरिया ने कहा कि बाजारों में पाबंदियों के चलते दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों का बुरा हाल है, क्योंकि उन्हें वेतन मिलने में परेशानी आने लगी है।

आंदोलन की दी चेतावनी

चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने दो-तीन दिन में सम-विषम नहीं हटाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने जारी बयान में कहा कि उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है, जबकि दिल्ली में संक्रमण के मामले घट रहे हैं। यह काफी खराब स्थिति है कि जनता की ओर से चुनी गई सरकार को इतना भी अधिकार नहीं है कि वह दिल्ली के लोगों के हित में निर्णय ले सके। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के फैसले से दिल्ली के 20 लाख व्यापारियों को निराशा हुई है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पत्रकार वार्ता के बाद दिल्ली के व्यापारियों में खुशी की लहर दौड़ गई थी कि अब सम-विषम और वीकेंड कर्फ्यू से मुक्ति मिलेगी, लेकिन डीडीएमए के आदेश के बाद निराशा हाथ लगी है। उन्होंने उपराज्यपाल से अनुरोध किया कि दिल्ली के 20 लाख व्यापारियों और उनके 40 लाख कर्मचारियों और मजदूरों की रोजी-रोटी को ध्यान में रखते हुए पाबंदियों को हटाया जाए।

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