मध्य प्रदेश: महज 7 मिनट में दिया शहर की सबसे बड़ी लूट की वारदात को अंजाम

सोमवार दोपहर लूट की घटना के बाद से पूरा शहर खौफ में है। महज 7 दिन में बाइक सवार बदमाश जिले की अब तक की सबसे बड़ी लूट (24 लाख कैश) को सैकड़ों की भीड़ में अंजाम दे गए। ताबड़तोड़ फायरिंग की। इत्तेफाक से दो निहत्थे पुलिस कर्मियों ने हिम्मत दिखाई जिनका वह प्वाइंट भी नहीं था। पर इसके बाद कहीं भी लुटेरों का सामना पुलिस से नहीं हुआ।मध्य प्रदेश: महज 7 मिनट में दिया शहर की सबसे बड़ी लूट की वारदात को अंजाम

बदमाश ने भागने के लिए विजयाराजे सिंधिया तिराहा से एजी ऑफिस पुल, माधवनगर गेट से होते हुए पुल के नीचे से भागते हुए उसी रूट का उपयोग किया है जो अभी तक सिटी सेंटर में हुई लूटपाट की वारदातों में बदमाश करते रहे हैं। जिस तरह से उन्होंने वारदात को अंजाम दिया और भागे हैं गैंग पुराना ही लग रहा है। पर अटैक करते हुए गोली मारना और लगातार फायरिंग ने लोकल गैंग होने की आशंका का बीज भी डाला है। सिटी सेंटर से एजी ऑफिस पुल की तरफ भागते हुए बदमाश सीसीटीवी कैमरे में भी रिकॉर्ड हुए हैं।

कई दिन की रैकी के बाद की वारदात 

बदमाशों को पता था कि प्रत्येक दिन दोपहर में चेकमेट कंपनी की टीम टोल से कलेक्शन लेकर सिंडिकेट बैंक सिटी सेंटर ब्रांच आती है। कुछ समय पहले तक यह ऑल्टो में आते थे। पर अभी वेन से आने लगे थे। वेन में चारों तरफ सुरक्षा के लिए जालियां लगी थीं। लूट की सबसे बड़ी वारदात के लिए बदमाशों ने लगातार रैकी की होगी। क्योंकि आज गनमैन नहीं होने का पता था। जिसके बाद पूरी योजना के साथ वारदात को अंजाम दिया गया है।

बदमाशों की संख्या 3 या 4 अलग-अलग बयान

घटना में बदमाशों की गोली लगने से घायल बृजेन्द्र सिंह तोमर निवासी रणधीर कॉलोनी ने बताया कि जैसे ही वह गाड़ी से उतरे 4 बदमाशों ने घेर लिया था। तीन पिस्टल ताने हुए थे। एक ने अवधेश से बैग छीना। जिसके बाद वह उनसे भिड़ा तो गोली मार दी। जबकि अवधेश बदमाशों की संख्या 3 बता रहा था। पुलिस को सीसीटीवी फुटेज भी मिले हैं। जिसमें बाइक पर सवार 3 बदमाश भागते हुए दिख रहे हैं। जिनमें दो के चेहरे खुले हैं। सबसे पीछे बैठे युवक का चेहरा रुमाल से ढंका था। इन तीनों के पास बैग नहीं था। मतलब एक और साथी था।

चार चश्मदीद के जुबानी घटना की पूरी कहानी 

– हम बैंक के बाहर थे, तभी अचानक कुछ बदमाशों ने घेर लिया। शायद संख्या 4 थी। अवधेश के हाथ से बैग छीना तो मैंने संघर्ष किया। तभी एक मुंह पर रूमाल बांधे हुए लुटेरा आगे बढ़ा उसे मैंने पकड़ भी लिया। तभी उसके साथी ने एक गोली हवा में चलाई और दूसरी मेरी तरफ मारी। पिस्टल देखकर मैं पीछे हुआ तो गोली सीने की जगह उसके ऊपर और कंधे के नीचे लगी है। बृजेन्द्र सिंह तोमर, घायल, फील्ड ऑफिसर

– बदमाशों शायद टोल से ही पीछा कर रहे थे। हो सकता है उनके कुछ साथी पहले से ही खड़े हों। अब गाड़ी से उतरे ही थे कि उन्होंने हमला कर दिया। मेरे हाथ से बैग छीना। तभी बृजेन्द्र आगे आया तो गोली मार दी। बदमाश 3 थे। अवधेश राजावत, चेकमेट कंपनी का कर्मचारी

– मैं बैंक में था। तभी गोली की आवाज आई। बाहर आया तो एक बदमाश साहब को गोली मारकर भाग रहा था। साहब रोज ही बैंक आते हैं। इसलिए पीछे भागा पर बदमाश भाग गए। गोली चलाने की बात पर मना किया। जबकि पुलिस को शुरू में फायर करने की बात कही थी, लेकिन गोली चली नहीं चेंबर में फंसी रह गई।

देवेन्द्र सिंह चौहान, सिंडिकेट बैंक का गार्ड

– रात को ड्यूटी के बाद सुबह की घर पहुंचा था। मुझे सूचना मिली थी तो महलगांव से स्पॉट पर पहुंचा और घायल पड़े बृजेन्द्र केा अस्पताल पहुंचाने में मदद की। जबकि अवधेश ने उसके साथ होने की बात कही।

कमल सिंह तोमर, गार्ड चेकमेट कंपनी

सोमवार को ही वारदात, रोकने में नाकाम पुलिस

शहर में पिछले 4 सालों में बैंक के बाहर जितनी भी बड़ी लूट की वारदातें हुई हैं वह सोमवार या मंगलवार के दिन हुई हैं। इसे इत्तेफाक नहीं कहेंगे। लुटेरे लगातार रैकी करने के बाद लूट के लिए सोमवार के दिन को ही चुनते है। ऐसा शनिवार जिस दिन बैंक में छुट्टी हो और अगले दिन रविवार पड़ने के कारण बैंक बंद रहती है। इसके बाद जब सोमवार को बैंक खुलते हैं तो व्यापारी, पेट्रोल पंप संचालक या अन्य फर्म के अकाउंटेंट दो दिन की कमाई को लेकर बैंक पहुंचते हैं। ऐसे में वारदात में मोटा माल मिलता है। 80 फीसदी वारदातें सोमवार और उसके बाद मंगलवार को हुई हैं।

निहत्थे थे और वो गोलियां बरसा रहे थे –

– हम अपनी बाइक सुधरवा रहे थे। तभी अचानक दो गोलियों की आवाज सुनी। मैं और साथी पुष्पेन्द्र पिस्टल लेकर भाग रहे एक बदमाश के पीछे लपके और उसे पकड़ लिया। इतना ही नहीं उसे अपने कब्जे में लेकर पिस्टल छुडा पाते उससे पहले ही उनके पल्सर सवार दो साथी और आए। हम पर पिस्टल तान दी। हमने तब भी उसे नहीं छोड़ा तभी उन्होंने 3 से 4 फायर कर दिए और अपने साथी को छुड़ा ले गए। हम पर कोई हथियार नहीं था नहीं तो एक भी बचकर नहीं जा पाता।

हिमांचल और पुष्पेन्द्र, आरक्षक जो बदमाशों से भिड़े

ऐसा समय चुना जब गायब थी पुलिस –

बदमाशों ने वारदात के लिए 12.30 से एक बजे के बीच ऐसा समय चुना है जिस समय सुबह से चेकिंग करने वाली पुलिस धूप बढ़ने पर सड़कों से गायब हो जाती है। जिस समय वारदात हुई किसी भी चौराहा पर पुलिस अलर्ट पॉजीशन में नहीं थी। यही कारण रहा कि बदमाश भाग गए।

वारदात का तरीका अलग, नए गैंग की आशंका 

घटना के बाद जांच में जुड़े अधिकारियों का तर्क है कि यह कोई नया गैंग है। अभी तक वारदातों को करने वाले बैंक में बाहर सक्रिय रहते थे। झपट्टा मारकर बैग या सूटकेस छीनकर ले जाते थे। कभी भी हमला नहीं किया। पर इस बार हमला हुआ है। इसलिए वारदात का तरीका किसी नए गैंग की ओर इशारा कर रहा है।

गैंग नया रास्ता पुराना 

अभी तक शहर की ज्यादातर वारदातें सिटी सेंटर में बैंक के बाहर करने बाद बदमाश एजी पुल से होते हुए उसके नीचे से निकलकर प्रेम मोटर्स के सामने से पड़ाव व स्टेशन होते हुए हजीरा या गोला का मंदिर से मुरैना की ओर जाते थे दिखते थे। इसलिए पुलिस की टीम पश्चिम बंगाम के मालदा और बिहार के कुछ गैंग को टारगेट कर रही थी। पर इस नई गैंग ने भी लगभग यही रास्ता चुना है। क्योंकि एजीपुल तक जाने के उनके फुटेज मिले हैं। आगे के रास्ते पर फुटेज देखे जा रहे हैं।

यह अभी तक सबसे बड़ी वारदात, अन्य इस प्रकार

-अक्टूबर 2014 जीईसीi के अकाउंटेंट से एक्सिस बैंक के सामने 9 लाख रुपए लूटे

-सितंबर 2015 एचडीएफसी बैंक के सामने कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्मचारी से 3.92 लाख की लूट

-27 जून 2016 को एक्सिस बैंक के सामने बस संचालक गिर्राज बंसल से 5.30 लाख की लूट

-27 जून 2016 को इसी समय एचडीएफसी बैंक से निकल रहे मुनीम से 7 लाख लूट का प्रयास

-5 जुलाई 2016 को चिकन कारोबारी से ईदगाह पर 5 लाख की लूट

-10 जुलाई 2016 इस एरिया से कुछ दूरी एजी पुल के पास पेट्रांप पंप मुनीम से 3.92 लाख लूटे

-5 मार्च 2017 कंस्ट्रक्शन कंपनी के पार्टनर 1.69 लाख की लूट

– 13 जून 2017 को बीएल मेहता कंस्ट्रक्शन कंपनी के मुनीम लखन शर्मा से 10 लाख की लूट

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