गन्ना बकाया और कर्जमाफी में खेल से फेल हुई भाजपा : जयंत चौधरी

कर्नाटक चुनाव के वक्त देश में गूंज रहा मोहम्मद अली जिन्ना प्रकरण कैराना चुनाव में बेअसर रहा। यहां जिन्ना की बजाय गन्ना असरदार रहा। गन्ना बकाया भुगतान और चुनावी वादे के अनुसार समस्त किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा पूरे चनाव में छाया रहा।गन्ना बकाया और कर्जमाफी में खेल से फेल हुई भाजपा : जयंत चौधरी

भाजपा नेता जहां इन दोनों मुद्दों पर बैकफुट पर नजर आए तो वहीं रालोद इसे पूरी तरह गरमाए रहा। रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी वोटरों से सीधे संवाद करते रहे कि क्या उनका गन्ना बकाया मिल गया? 15-15 लाख रुपये खातें में आ गए. कर्जमाफी का लाभ मिला क्या? इन्हीं तीन मुद्दों के बीच डीजल के दामों में तेजी ने भी आग में घी का काम कर दिया। रालोद को यह नया मुद्दा मिल गया जो उसने बखूबी भुनाया।कैराना लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीट कैराना, गंगोह, नकुड़, शामली और थानाभवन की बात करे तो इन पांचों विधानसभा के किसानों का करीब 800 करोड़ रुपया बकाया था। थानाभवन विधानसभा से विधायक सुरेश राणा के गन्ना राज्यमंत्री होने के बाद भी किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं होने का मुद्दा सब मुद्दों पर भारी पड़ता चला गया। हालांकि भाजपा नेताओं ने गठबंधन प्रत्याशी के मुसलिम होने के चलते इन मद्दों को पीछे धकेलने का पूरा प्रयास किया लेकिन रालोद व सपा नेताओं ने रणनीति के तहत इसे गरमाए रखा।

अस्तित्व के लिए वोट की भीख वाला बयान पड़ा भारी  

रालोद की आईटी सेल ने भी इसमें पूरी मदद की। आईटी सेल सोशल मीडिया पर गन्ना बकाया, कर्जमाफी, डीजल दाम वृद्धि, जुमलेबाजी आदि को गरमाते रहे। किसान मुद्दों को लेकर सबसे ज्यादा मुखर रहने वाली जाट बिरादरी की नाराजगी सरकार से बढ़ती चली गई और उसका वोट प्रतिशत रालोद के पक्ष में बढ़ता चला गया।  

सीएम योगी ने चुनावी रैली में चौधरी अजित सिंह व जयंत चौधरी पर बड़ा हमला बोलते हुए नाम लिए बगैर कहा था कि कुछ लोग अस्तित्व बचाने की दुहाई देकर वोट की भीख मांगते हुए घूम रहे हैं। इस बयान ने  जाट समाज को काफी आहत किया और भाजपा के साथ जा रहे वोटरों को भी गठबंधन के साथ आने पर मजबूर कर दिया।

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