मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में हुआ बड़ा खुलासा, जेल से बरामद पिस्टल ने बदली मर्डर की कहानी…

पूर्वांचल के डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में फोरेंसिक जांच के बाद बड़ा खुलासा सामने आया है। दरअसल, ये खुलासा बजरंगी की हत्या के  बाद बागपत जेल के गटर से बरामद पिस्टल के बारे में है।पुलिस को हालांकि इस हत्याकांड के बारे में अभी तक पुलिस खाली हाथ है। वहीं इस नए खुलासे के बाद इस केस में एक नया मोड़ आ गया है-

डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद बागपत जेल के गटर से बरामद पिस्टल की फोरेंसिक जांच ने पुलिस की कार्यप्रणाली और कहानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फोरेंसिक जांच के मुताबिक जेल के गटर से बरामद पिस्टल से गोली ही नहीं चली, यानि मुन्ना बजरंगी की हत्या किसी दूसरे असलाह से की गई। पुलिस को करीब 20 दिन पहले फोरेंसिक रिपोर्ट मिली, जिस पर पूर्व एसपी जयप्रकाश ने आपत्ति लगाकर दोबारा जांच के लिए भेजा दिया था। फिलहाल पुलिस कुख्यात सुनील राठी के कुबूलनामे के जाल में उलझकर रह गई।  
बागपत जेल में नौ जुलाई की सुबह करीब सवा छह बजे मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तत्कालीन जेलर यूपी सिंह ने कुख्यात सुनील राठी को नामजद कराया। राठी ने पुलिस को बताया था कि हत्या के बाद वारदात में प्रयुक्त पिस्टल गटर में फेंक दिया था। करीब 12 घंटे की छानबीन के बाद पुलिस ने पिस्टल बरामद किया था।
एसएसआई रजनीश कुमार ने सुनील राठी के खिलाफ आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया और पिस्टल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था। पुलिस सूत्रों की मानें तो आगरा में जांच के बाद खुलासा हुआ है कि जिस पिस्टल की जांच कराई गई है, उससे गोली ही नहीं चली। इसका सीधा मतलब यही है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या में कोई दूसरा असलाह प्रयोग किया गया।
हाईप्रोफाइल हत्या के इस मामले में बड़ी साजिश का अंदेशा है।  एसपी बागपत शैलेश कुमार पांडेय का कहना है कि उनके आने से पहले फोरेंसिक रिपोर्ट मिली थी, जिस पर आपत्तियां लगाकर दोबारा जांच के लिए भेजी गई है। उन्होंने पहली रिपोर्ट नहीं देखी और अब तक उन्हें दूसरी रिपोर्ट नहीं मिली है।  

वायरल फोटो ने भी उठाए सवाल, पुलिस को नहीं मिला मोबाइल 

जेल से मुन्ना बजरंगी की लाश की दो तस्वीरें वायरल हुई थी।  पहली तस्वीर में बजरंगी की छाती के बाएं हिस्से में गोली का निशान नहीं है, जबकि दूसरी तस्वीर में है। सवाल है कि क्या हत्या के वक्त तस्वीरें खींची जा रही थी। फोटो कौन खींच रहा था। दूसरा सवाल यह है कि पुलिस ने जेल में सर्च अभियान दो बार चलाया है, लेकिन सवा तीन माह बाद भी पुलिस को बागपत जेल से एंड्रायड मोबाइल नहीं मिला है। आखिर किसने फोटो वायरल किए। 
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