पंजाब में वित्त व स्वास्थ्य विभाग के बीच फंसी आयुष्मान योजना, जानिए इसके पीछे की वजह…

चंडीगढ़। केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना को लेकर पंजाब के दो विभाग वित्त व स्वास्थ्य आपस में उलझ गए हैं। केंद्र सरकार ने आयुष्मान योजना को लांच कर दिया है, लेकिन पंजाब ने अभी तक एमओयू साइन नहीं किया है। पंजाब में अभी भी इस योजना को लेकर उलझन बरकरार है। उलझन का मुख्य कारण प्रदेश की भगत पूरन सिंह सेहत योजना है। इसके तहत सरकार करीब 32 लाख बीपीएल व एससी-बीसी परिवार को कवर कर रही है।

उलझन का मुख्य कारण प्रदेश सरकार की भगत पूरन सिंह सेहत योजना

वित्त विभाग चाह रहा है कि 2011 की जनगणना में सामाजिक व आर्थिक आधार पर चिन्हित किए गए 14.95 लाख को ही आयुष्मान योजना के तहत लाया जाए। यदि ऐसा होता है तो इस योजना पर कुल खर्च 150 करोड़ रुपये आएगा। इसमें केंद्र सरकार 60 फीसद खर्च वहन करेगी। ऐसे में राज्य सरकार को केंद्र से 90 करोड़ रुपये मिल जाएंगे और 60 करोड़ रुपये अपनी ओर से देने होंगे।

स्वास्थ्य विभाग चाहता है कि इस योजना में सभी नीले कार्ड धारकों को कवर किया जाए। नीले कार्ड धारक पंजाब में 35 लाख के करीब हैैं। यदि ऐसा किया जाता है तो प्रीमियम के तौर पर सरकार को 350 करोड़ रुपये देने होंगे। यानी आयुष्मान योजना के तहत कवर किए गए लोग 15 लाख से 20 लाख और बढ़ जाएंगे। वित्त विभाग इस अतिरिक्त खर्च को वहन करने के लिए तैयार नहीं है।

राज्य सरकार पहले से ही नीले कार्ड धारकों के लिए भगत पूरन सिंह योजना चला रही है जिसमें 50 हजार रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा दिया जाता है। इस पर 150 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस योजना को भी आयुष्मान में मर्ज कर दिया जाए।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी राज्य के सभी लोगों को स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाना चाहते हैं। इसका वायदा कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में किया था। मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को स्वीकार करने पर राज्य को करीब 410 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना पड़ेगा।

सरकार अभी यह फैसला भी नहीं कर पा रही है कि आयुष्मान योजना को लाने के बाद क्या भगत पूरन सिंह योजना को खत्म कर दिया जाए या 14.95 लाख लोगों को आयुष्मान के दायरे में लाया जाए। बाकी के लोगों को भगत पूरन सिंह योजना के तहत कवर किया जाए। ऐसा करने पर सरकार को करीब 260 करोड़ रुपये का भार वहन करना पड़ेगा।

वित्त विभाग नहीं बढ़ाना चाहता बोझ

वित्त विभाग राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर अपना बोझ बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे को कैबिनेट में लाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि 27 सितंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस एजेंडे को लाएगा। बैठक से पहले स्वास्थ्य विभाग अपने आंकड़ों को दुरुस्त करने में जुटा हुआ है। उसे पता है कि पांच लाख रुपये का बीमा कवर छोडऩा पंजाब के लोगों के साथ अन्याय होगा। वैसे भी केंद्र सरकार से एमओयू नहीं साइन करने को लेकर पंजाब सरकार पर सवालिया निशान उठ रहे हैं।

समस्याएं सुलझाने के बाद एमओयू साइन करेंगे : मोहिंदरा

स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्मï मोहिंदरा कहते हैं कि यह केवल भ्रम है कि पंजाब आयुष्मान योजना का लाभ नहीं लेना चाहता। हमने कभी भी यह नहीं कहा कि हम एमओयू साइन नहीं करेंगे। पंजाब की अपनी कुछ योजनाएं हैं, इसकी वजह से कुछ समस्याएं आ रही हैं। समस्याओं को सुलझाने के बाद ही हम एमओयू साइन करेंगे।

 

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