तारिक के आने से अल्‍पसंख्‍यकों में मजबूत हुई कांग्रेस, RJD से मांगा बराबरी का दर्जा

 महागठबंधन राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय कर दिया है। इस बीच तारिक अनवर के कांग्रेस में आने से पार्टी की ताकत बढ़ी है। बढ़ी ताकत के साथ कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्‍यक्ष कौकब कादरी ने महागठबंधन में बराबरी का दवा ठोकते हुए 20:20 के फॉर्मूले की आवाज उठाई है। हालांकि, राजद के रघवंश प्रसाद सिंह ने ऐसे बयान को बेमतलब करार दे दिया। तारिक के आने से अल्‍पसंख्‍यकों में मजबूत हुई कांग्रेस, RJD से मांगा बराबरी का दर्जा

तारिक के आने से अल्‍पसंख्‍यकों में बढ़ेगी कांग्रेस की ताकत
राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को बाय-बाय कर तारिक अनवर के कांग्रेस का दामन थाम लिया है। इससे पार्टी की ताकत बढ़नी तय है। अल्पसंख्यक वोटों के लिए उसकी राजद पर निर्भरता भी कम होगी। तारिक के रूप में कांग्रेस को एक ऐसा नेता मिला है, जिसे राज्य भर के मुस्लिम पहचानते हैं। 

अंदरखाने में पहले से तय था सबकुछ
तारिक का कांग्रेस में आना अनायास नहीं है। उनके इस कदम की संभावना पहले से थी। स्‍पष्‍ट है कि अंदरखाने में सबकुछ तय रहा होगा। शायद इसका ही असर था कि बिहार कांग्रेस पहले की तुलना में अधिक सीटों पर लडऩे का दावा करने लगी थी। अब वह इस दावे पर कायम रह सकती है। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्‍यक्ष कौकब कादरी ने तो सीटों की संख्‍या को ले 20:20 का दावा कर दिया है। उनका कहाना है कि इसके बाद यह तय होगा कि अन्‍य घटक दलों के लिए कितना त्‍याग करना है। 

कांग्रेस को राजद से उदारता की अपेक्षा
बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा ने सीटों के  बंटवारे में जदयू को बराबरी का दर्जा देकर बड़ा दिल दिखाया है। जाहिर है, कांग्रेस को ऐसी ही उदारता की अपेक्षा राजद से है। राजद के नए नेता तेजस्वी यादव भी यही संकेत दे रहे हैं कि सहयोगी दलों के प्रति उनका रवैया उदार रहेगा। 

कांग्रेस में नहीं दिख रहे दमदार उम्‍मीदवार
हालांकि, तारिक के आने के बावजूद कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए दमदार उम्मीदवारों की कमी से जूझती रहेगी। उसे अतीत की याद दिलायी जाती रहेगी कि 2014 के चुनाव में वह दर्जन भर उम्मीदवार नहीं जुटा पाई थी। लगातार पराजय और दूसरे पर आश्रित रहने के चलते कांग्रेस में नए और असरदार नेताओं का उभार नहीं हो पाया। 

मुस्लिम वोटों को जाेड़ने में बन सकते मददगार
एक दौर में राज्य के मुसलमानों का लगाव कांग्रेस से वैसा ही था, जैसा आज राजद के प्रति है। भागलपुर का दंगा कांग्रेसी शासन में ही हुआ था। उसके बाद मुसलमान धीरे-धीरे लालू प्रसाद के नजदीक चले गए। लालू से मोहभंग के बाद इस समुदाय का झुकाव जदयू के प्रति भी हुआ, लेकिन जदयू के भाजपा के साथ जाने के बाद उनके सामने एकमात्र विकल्प लालू ही रह गए। तारिक इस विकल्पहीनता को तोड़ सकते हैं। 

मजबूती से तय होगी महागठबंधन में हैसियत
कांग्रेस की मजबूती महागठबंधन में उसकी हैसियत भी तय करेगी। राजग में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय होने के साथ ही विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों में भी बेचैनी और दावेदारी उफान पर है। महागठबंधन के अन्य घटक दल भाजपा की तरह राजद से भी कुर्बानी की मांग करने लगे हैं। 

राजद के लिए इस बार भिन्‍न हैं हालात
महागठबंधन में राजद सबसे बड़ा दल है, जिसने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। राजद को चार सीटें मिली थीं और 21 सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस के हिस्से में भी दो सीटें आई थीं और आठ सीटों पर उसके प्रत्याशियों ने कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन इस बार परिस्थितियां भिन्‍न हैं। 

बढ़ गए हैं सीटों के दावेदार
राजद-कांग्रेस के अलावा तीन वामपंथी दल और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से निकाले गए शरद यादव की नई पार्टी भी जुडऩे के लिए बेताब हैं। राजग में सीट बंटवारे से असंतुष्ट राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी महागठबंधन में दस्तक दे रहे हैं। कुशवाहा की बात अगर राजग में नहीं बनी तो उनका महागठबंधन में आना तय माना जा रहा है। जाहिर है, दलों के साथ सीटों के दावेदार भी बढ़ गए हैं। 

कांग्रेस का कद भी बढ़ा
सबसे बड़ी बात यह कि पिछली बार की तुलना में कांग्रेस का कद भी बढ़ गया है। बिहार में पहले वह चार विधायकों की पार्टी थी। अब 27 विधायकों वाली असरदार पार्टी बन गई है। नए प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को बिहार में पार्टी को विस्तार देना हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस को गठबंधन के तहत 12 सीटें दी थीं। अबकी बार की अलग बात है। 

राजद से बराबरी चाहती कांग्रेस 
भाजपा की तरह राजद से भी कांग्रेस के नए नेतृत्व को कुर्बानी की अपेक्षा है। राजद के साथ वह बराबरी के आधार पर सीटों का बंटवारा चाह रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष मदन मोदहन झा महागठबंधन में सीटों को लेकर किसी समस्‍या से इनकार करते हैं, लेकिन प्रदेश के कार्यकारी अध्‍यक्ष 20:20 फॉर्मूला सुझा रहे हैं। कहते हैं कि पहले राजद व कांग्रेस आपस में 20-20 सीटें बांटें, इसके बाद तय होगा कि अन्‍य दलों के लिए कौन कितना त्‍याग करेगा। 

सहयोगियों को भी चाहिए सीटें 
लेकिन, कांग्रेस का यह फॉर्मूला तकसंगत नहीं दिखता। बहुत हद तक यह दबाव की राजनीति है। महागठबंधन में अन्‍य दल भी हैं। हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी को भी गया समेत कम से कम तीन सीटें चाहिए। भारतीय कम्‍युनिष्‍ट पार्टी (भाकपा) को बेगूसराय कन्हैया के लिए भी सीट चाहिए। माले की पटना या आरा पर प्रबल दावेदारी है। मार्क्‍सवादी कम्‍युनिष्‍ट पार्टी (माकपा) को नवादा किसी भी हाल में चाहिए। 

दावेदारी इससे भी ज्यादा है। शरद यादव को भी खुद के लिए मधेपुरा चाहिए और तीन सहयोगियों रमई राम, उदय नारायण चौधरी, अली अनवर और अर्जुन राय के लिए सीटें चाहिए। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव को भी संसद जाना है।

 बंटवारे पर तकरार तय 
ऐसे में महागठबंधन में सीट बंटवारे पर विवाद तय है। सबसे बड़े घटक दल राजद के सामने असमंजस है कि वह किसे कितनी सीटें दे और खुद के लिए कितनी सीटें रखे। राजद के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह महागठबंधन में किसी विवाद से इनकार करते हैं। कहते हैं कि सभी प्रमुख नेता मिल-बैठकर बसकुछ तय कर लेंगे। लेकिन राजद महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहा। 
राजद के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कादरी के 20:20 वाले बयान को बेमलब का बताते हुए आरोप लगाया कि कुछ लोग महागठबंधन को कमजोर करना चाहते हैं। राजद नेता एज्‍या यादव कहतीं हैं कि सीटों के बंटवारे पर अंतिम फैसला राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव करेंगे।

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