राजस्थान मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने HC सुनवाई पर रोक लगाने से किया का इंकार

राजस्थान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आने वाले फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. यानी अब शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट अपना फैसला सुना पाएगा. गुरुवार को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि पहले HC का फैसला आ जाए, उसके बाद सोमवार को फिर इस मामले की सुनवाई होगी. राजस्थान विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश होते हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि HC के फैसले को रद्द किया जाए, किसी निर्णय से पहले स्पीकर के मामले में दखल नहीं दिया जा सकता है.

बड़े अपडेट्स:

 सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत का कहना है कि पहले HC अपना निर्णय दे दे, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट फिर इस मामले को सुनेगा.

 सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि अगर लोग बार-बार चुने जाएंगे और अयोग्य होते रहेंगे, तो लोकतंत्र का क्या होगा. जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की और उसके बाद फैसला दे दिया, हमें फैसले की भाषा पर आपत्ति है.

 जस्टिस मिश्रा ने कहा- इस केस की लंबी सुनवाई करनी होगी.

जवाब में सिब्बल ने कहा- तो हाईकोर्ट के फैसले को निलंबित किया जाए या लंबित याचिका को यहां ट्रांसफर किया जाए.

जस्टिस मिश्रा ने कहा- अभी नहीं, ये सवाल क्षेत्राधिकार का है. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, लिहाजा फैसला तो आने दें.

कपिल सिब्बल ने कहा कि SC के कई फैसले रहे है, जिसके मुताबिक पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर काम करना या फिर पार्टी की मीटिंग में शामिल न होना भी अयोग्यता का आधार बना.

इस पर कोर्ट का सवाल- पार्टी की मीटिंग में शामिल न होना भी अयोग्यता का आधार बन जाता है?

सिब्बल- हमने उन फैसलों का हवाला याचिका में दिया है.

जस्टिस मिश्रा- आप SC के वो फैसले दिखाइए, जिसमें पार्टी मीटिंग में शामिल न होने पर अयोग्य करार दिया गया हो.

कपिल सिब्बल ने कहा कि ये केवल पार्टी की मीटिंग में शामिल न होने की बात नहीं है, बल्कि पार्टी के खिलाफ काम करने की बात है. स्पीकर होने के नाते मुझे ये तय करना होगा. कोई भी न्यायिक प्राधिकारी इस बात पर विचार नहीं कर सकता कि सदन के बाहर पार्टी की बैठकों में भाग लेने के लिए विधायक को अयोग्य घोषित किया जाए या नहीं. स्पीकर ही अयोग्य ठहराए जाने की याचिका पर फैसला करेगा.

इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इसका मतलब है कि अगर कोई पार्टी की मीटिंग में शामिल नहीं होता तो ये माना जाए कि उसे अयोग्य ठहराया जाएगा. जवाब देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि ये स्पीकर तय करेंगे.

 सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से पूछा कि पार्टी की भीतर लोकतंत्र पर आपकी क्या राय है. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि ये विधायकों पर है, इसका जवाब उन्हें देने दीजिए. उन्हें कहने दीजिये की वो छुटियों पर थे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या पार्टी की मीटिंग में शामिल न होने और व्हिप जारी किया जा सकता है? इस पर कपिल कि सिब्बल ने कहा कि जी जोशी ने व्हिप जारी नहीं किया था, वो केवल एक नोटिस था.

सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मान लीजिए किसी नेता का किसी पर भरोसा नहीं, तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा. पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते, फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा. लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती.

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या लोकतंत्र में असहमति (विधायकों की आवाज) को बंद किया जा सकता है? यह कोई मामूली बात नहीं है. ये जनता द्वारा चुने गए लोग हैं. जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि स्पीकर कोर्ट क्यों आए? वो नुट्रल होते हैं. वो कोई प्रभावित पक्ष नहीं हैं.

 जस्टिस अरुण मिश्रा ने पूछा आखिर किस आधार पर अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि क्योंकि ये पार्टी विधायक दल की मीटिंग में शामिल नहीं हुए. बिना बताए अनुपस्थित रहकर ये सरकार को अस्थिर करने की साजिश कर रहे थे. अपने मोबाइल भी बंद कर रखे थे. इनको ईमेल से भी नोटिस भेजे गए. विधायक हेमाराम चौधरी, बनवारी लाल शर्मा और अन्य विधायक नोटिस का जवाब देने की बजाय न्यूज चैनलों से बयान जारी करते रहे.

 कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी की मीटिंग के लिए व्हिप ने जारी किया था. ये लोग विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए और अपनी ही सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रहे थे. वो हरियाणा चले गए और बयान जारी किया. चीफ व्हिप ने सचिन और अन्य 18 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता को लेकर स्पीकर के समक्ष अर्जी दी थी, लेकिन इन लोगों की लापरवाही और हठ जारी रहा.

 कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें स्पीकर को एक उचित समय सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए कहा गया. इसके बाद कपिल सिब्बल ने कांग्रेस पार्टी के चीफ व्हिप के

 कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायालय निर्णय का समय बढ़ाने के लिए स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता. जब तक अंतिम निर्णय स्पीकर द्वारा नहीं लिया जाता है, तब तक न्यायालय से कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है.

 स्पीकर सीपी जोशी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट, अध्यक्ष/स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता. सदन में क्या कब और कैसे करना है? ये तय करने का अधिकार स्पीकर का है. सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले का हवाला दे रहे हैं.

 राजस्थान के ऑडियो टेप मामले में आज एक और टीम दिल्ली भेजी गई है. पहली टीम 6 दिन से दिल्ली में ही है. इस मामले में बीजेपी के कई स्थानीय नेताओं को नोटिस दिया गया है.

 राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें पायलट गुट याचिका के मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अपील की गई है. दलील है कि राजस्थान में संवैधानिक संकट है. हालांकि, विधानसभा स्पीकर पक्ष की ओर से इस याचिका को खारिज करने की अपील की गई है.

सुप्रीम सुनवाई पर सभी की नजरें

विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की दलील है कि अभी उन्होंने विधायकों को सिर्फ नोटिस दिया है, कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में अदालत की ओर से स्पीकर के कामकाज में दखल नहीं दिया जा सकता है, ये संविधान और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स के खिलाफ है. इस याचिका पर सुनवाई से पहले सचिन पायलट गुट ने भी कैविएट लगा दी है, अपील है कि बिना उनका पक्ष सुने फैसला ना दिया जाए.

क्या था हाईकोर्ट का फैसला?

सचिन पायलट गुट ने स्पीकर के कारण बताओ नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, शुक्रवार से शुरू हुई सुनवाई मंगलवार तक चली जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित किया. साथ ही स्पीकर को 24 जुलाई तक कोई फैसला ना लेने को कहा, तब स्पीकर ने इस बात को स्वीकार लिया. लेकिन 24 घंटे के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

पीएम को गहलोत ने लिखी चिट्ठी

कानूनी लड़ाई के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी. सीएम की अपील थी कि एक चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है, जिसमें केंद्रीय मंत्री और कुछ अन्य बीजेपी नेता भी शामिल हैं. ऐसे में आपसे अपील की है इसको रोका जाए.

आपको बता दें कि राजस्थान सरकार जल्द ही विधानसभा का सेशन बुला सकती है, जिसमें फ्लोर टेस्ट कराया जा सकता है. मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से गहलोत के पास 100 से ऊपर विधायकों का समर्थन है, जबकि बीजेपी और पायलट गुट को मिला दें तो 95 तक आंकड़ा पहुंचता है.

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