चिदंबरम पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, मौलिक अधिकारों की रक्षा की लगाई गुहार, CBI और ईडी पर भड़के
अपने बेटे कार्ति चिदंबरम के सपोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चिदंबरम अपने बेटे कार्ति के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस और आइएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चल रही कार्रवाइयों के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। जिसमें उन्होंने अपने परिवार के सम्मान और मौलिक अधिकारों की रक्षा की गुहार लगाई है।
कार्रवाई को बताया राजनीतिक प्रतिशोध
पेशे से खुद भी एक वरिष्ठ वकील चिदंबरम ने सीबीआइ की जांच तथा ईडी द्वारा बार-बार समन करने को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताया है। याचिका में कहा गया है कि यह रिट पिटीशन संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) तथा 21 (जीने का अधिकार व निजी स्वतंत्रता) के तहत मिले मौलिक अधिकारों और निजता व परिवार के साथ सम्मान से जीने के अधिकारों की रक्षा के लिए दाखिल की जा रही है।
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ईडी और सीबीआइ पर भड़के
चिदंबरम ने कहा है कि ये दोनों जांच एजेंसियां राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बनकर बेमतलब की तलाशियां, बार-बार समन, अतार्किक लंबी पूछताछ, गैरकानूनी ढंग से फिक्स्ड डिपॉजिट की जब्ती तथा मीडिया में झूठी सूचनाएं लीक कर उन्हें और उनके बेटे व दोस्तों का अत्यधिक उत्पीड़न और अपमान करती हैं। कांग्रेसी नेता ने कहा है कि उन्होंने और उनके बेटे दोनों ने उन केसों में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में कुछ भी गलत करने से स्पष्ट तौर पर इनकार किया है।
उनके मुताबिक इन मामलों में जिन भी सरकारी अधिकारियों से सीबीआइ/ईडी ने पूछताछ की है, सभी ने साफ-साफ कहा है कि दोनों ही केसों में मंजूरी नियमानुसार दी गई। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री का आरोप है कि सीबीआइ और ईडी की कार्रवाइयों का ‘असली निशाना’ वह हैं, लेकिन एजेंसियों ने उन्हें या अन्य सरकारी अधिकारियों को इन मामलों में आरोपी नहीं बनाया है। मालूम हो कि कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि जब उनके पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे, तब उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर एयरसेल-मैक्सिस सौदे तथा आइएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाई और उसके एवज में लाभ लिया।