अलाया अपार्टमेंट हादसे की उच्च स्तरीय जांच हुई शुरू, पढ़े पूरी ख़बर

अलाया अपार्टमेंट हादसे की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो गई है। कमिश्नर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 2009 से आगे तक की पत्रावलियां तलब की हैं। शनिवार को एलडीए में अधिकारियों के कमरों में फाइलों के ढेर लगे थे। सैकड़ों फाइलों के ढेर में बिल्डर की करतूत की तलाश की जा रही है। अलाया अपार्टमेंट ही नहीं, उस साल जितनी भी इमारतों का नक्शा अस्वीकृत किया गया था, उनकी फाइलें नहीं मिल रही हैं।

कमिश्नर ने एलडीए से वर्ष 2009 से आगे तक की पत्रावलियां मांगी है। एलडीए को लिखी चिट्ठी के अनुसार इन पत्रावलियों को जांच टीम के सामने प्रस्तुत करने का निर्देश है। जैसे कब नक्शा अस्वीकृत हुआ, कंपाउंडिंग अस्वीकृत हुआ और कब ध्वस्तीकरण के आदेश पारित हुए आदि जानकारियां जांच टीम कों सौंपी जाएंगी। सचिव पवन कुमार गंगवार ने कमिश्नर के आदेश को गंभीरता से लेते हुए उस वर्ष से जुड़ी फाइलें मंगवाकर छानबीन शुरू कर दी। अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा भी अलाया अपार्टमेंट से जुड़े दस्तावेज ढूंढ़ रहे हैं। देर शाम तक उस समय के आसपास की काफी फाइलें मिल चुकी हैं। एलडीए के अधिकारियों के अनुसार जिन मामलों में नक्शे स्वीकृत हुए ऐसी सभी फाइलें रिकॉर्ड में क्रम के आधार पर रखी हैं। जिनके मानचित्र अस्वीकृत हुए हैं उनको संबंधित विहित प्राधिकारियों के कार्यालय में रखा हुआ हो सकता है। उम्मीद है कि अलाया अपार्टमेंट से जुड़ी दोनों फाइलें भी जल्द मिल जाएंगी।

कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब ने भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में निर्देश दिया गया है कि आगे से कोई ऐसी घटना न हो इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर एलडीए की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। कमिश्नर डॉ. जैकेब ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम स्ट्रक्चर ऑडिट भवनों की संस्तुति देंगे।

आवंटियों के बयान मंगलवार को होंगे
हजरतगंज वजीर हसन रोड स्थित अलाया अपार्टमेंट हादसे से जुड़े बयान मंगलवार को दर्ज होंगे। कमिश्नर ने प्रभावित परिवारों, आवंटियों का पक्ष जानने को आयुक्त कार्यालय में 1030 बजे बुलाया है। कमेटी में कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब, संयुक्त पुलिस आयुक्त पीयूष मोर्डिया, पीडब्ल्यूडी मुख्य अभियंता को रखा गया है। मंगलवार को इमारत के आसपास रहने वालों से पूछताछ हो सकती है। जब अपार्टमेंट के बेसमेंट की खुदाई चल रही थी तो आसपास के कुछ लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत थी कि बेसमेंट खुदाई के दौरान भारी वाइब्रेटर ड्रिलर के प्रयोग से इमारतें भी हिल रही हैं। ऐसे में इनके पक्ष भी साक्ष्य के तौर पर दर्ज होंगे।

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