कुछ ऐसे बीजेपी दक्षिण भारत में जमाएगी अपनी धाक

15 मई को दोपहर के करीब डेढ़ बजे तमिलनाडु के डिप्टी सीएम ओ. पनीरसेल्वम बड़े खुश थे. उन्होंने आनन-फानन में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नाम दो लेटर भेजे और कर्नाटक की शानदार जीत की बधाई दी. उन्होंने अतिउत्साह में इस जीत को दक्षिण में मोदी सरकार की बड़ी एंट्री बताया और कहा कि यह उनकी उपलब्धियों में जुड़ने वाला एक और नगीना है. बहरहाल, जब बीजेपी अपना बहुमत सबित करने में नाकाम रही तो उसके बाद से पनीरसेल्वम ने चुप्पी साध ली. वह इसलिए क्योंकि वह इस दर्द को समझते हैं.कुछ ऐसे बीजेपी दक्षिण भारत में जमाएगी अपनी धाक

फरवरी 2017 की ही तो बात है जब वह भी इसी रास्ते में खड़े नजर आए थे. इस दौरान शशिकला ने AIADMK के ज्यादातर विधायकों को चेन्नई के बाहर रिजॉर्ट में बंद कर लिया था. इस दौरान बीजेपी का समर्थन होने के बावजूद पनीरसेल्वम अपनी सरकार नहीं बना पाए थे.वैसे बीएस येदियुरप्पा की दो दिन में सरकार गिरने से दक्षिण में बीजेपी विरोधी नेताओं को शेखी बघारने का मौका जरूर मिल गया है. विंध्य से नीचे का इलाका अभी भी मोदी-मुक्त है. जो गैर-बीजेपी पार्टियां केरल से वेस्ट बंगाल तक सत्ता में हैं वे मोदी-शाह को फूटी आंखों नहीं सुहा रही हैं. वहीं दूसरी ओर दक्षिण में नेताओं का मानना है कि मोदी का 2019 में विजयी रथ यहां रुक जाएगा.

बुधवार को जब एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे तो कई क्षेत्रीय नेता और दक्षिण राज्यों के मुख्यमंत्री शरीक होंगे. इनमें चंद्रबाबू नायडू, के चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन, पिनराई विजयन और वी नारायनास्वामी प्रमुख हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बीजेपी का सबकुछ खो गया है. बस इतना है कि उसे अपनी रणनति में बदलाव करना होगा क्योंकि वे मोदी बनाम राहुल की राजनीति करके दक्षिण में अपना झंडा नहीं गाड़ सकते क्योंकि यहां सबसे बड़े खिलाड़ी राहुल गांधी नहीं होंगे. आपको बता दें कि आम चुनाव के साथ ही दक्षिण भारत में कई लोकल और क्षेत्रीय चुनाव भी होने हैं.

ऐसे में बीजेपी की रणनीति क्या होगी? वैसे एक बात स्वीकार करनी होगी कि दक्षिण भारत के कई राज्यों में बीजेपी की लोकप्रियता तेजी से घटी है. इसके कारण भी कई हैं. अब आंध्र प्रदेश को ही ले लीजिए जहां उन्होंने राज्य को स्पेशल कैटेगिरी स्टेटस दने की बात कही थी, इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने आश्वासन भी दिया था लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

वहीं तमिलनाडु में उन्होंने जिस तरह से AIADMK के नेताओं को एजेसियों के जरिए जासूसी करते हुए रिमोट कंट्रोल किया. केरल में उत्तर भारत से नेता भेजकर उन्हें ताने मारे कि अस्पतालों को कैसे चलाना है उत्तरप्रदेश से सीखो. वहीं पडुचेरी में किरण बेदी को नारायनस्वामी के शासन में रोड़े अटकाने को कहा.

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2019 लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु और कर्नाटक बीजेपी के लिए दो बड़े राज्य साबित हो सकते हैं जहां वे कुछ लोकसभा सीटें जीतने का दावा पेश कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें तमिल लोंगों की भावनाओं का खयाल रखना होगा. जिस तरह से बीजेपी ने कावेरी की ड्राफ्ट स्कीम को सुप्रीम कोर्ट में जमा (सब्मिट) करने में देरी की उससे एक बात साफ हो जाती है कि बीजेपी की दिलचस्पी सिर्फ कर्नाटक में थी. 

जिस तरह से कवेरी मुद्दे को लेकर बीजेपी ने राज्य के लोगों को नकारा है उसने तमिल लोगों को वही रूप दिखाया है जिसमें वे उन्हें देखते हैं. वैसे इसका नतीजा आरके नगर उप-चुनाव में देखने को भी मिला जहां बीजेपी को नोटा (NOTA) से भी कम वोट मिले. इसके अलावा बीजेपी की साख को और भी दाव पर लगाने वाले नेता हैं एच राजा. उन्होंने कहा है कि कुमारस्वामी ने अपनी पार्टी के घोषणापत्र में वादा किया था कि वह कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड का गठन नहीं करेंगे. और स्टालिन ने जिस तरह से उन्हें चुनाव जीतने की बधाई दी है उससे साफ हो जाता है कि वह कावेरी मुद्दे पर तमिलनाडु के खिलाफ हैं.

AIADMK के साथ गठजोड़ के अलावा बीजेपी के लिए रजनीकांत का भी विकल्प मौजूद है क्योंकि रजनी मोदी के बहुत अच्छे दोस्त हैं. लेकिन ये बात सही है कि सुपर स्टार रजनी फुल टाइम राजनीति तो करेंगे नहीं बल्कि उन्हें अपनी एक्टिंग भी तो देखनी है. इस तरह से उनका यह रवैया बीजेपी के काम नहीं आएगा. इसलिए जिस तरह से कर्नाटक में प्रकाश राज ने बीजेपी के वोटों पर सेंध लगाई उसी तरह तमिलनाडु में कमल हसन सेंध लगाने के लिए तैयार हैं.
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