तो इसलिए पिछली लहर ज्यादा खतरनाक हैं कोरोना की इस बार की लहर, इस रिपोर्ट को पढ़कर चौक जाएगे आप…
कोरोना वायरस के व्यवहार में बदलाव के चलते इस बार सात दिन के बाद मरीजों की हालत बिगड़ रही है, जबकि पिछली लहर में सात दिन में मरीज ठीक हो जाता था। कई मरीजों की हालत बिगड़ती भी 5 से 7 दिन के भीतर। इस बार 7 दिन तक मरीज ठीक रहता है। इसके बाद अचानक से उसका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगता है। 2 दिन में उसकी हालत अति गंभीर हो जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे कई मामले देखने को मिल रहे हैं। मरीज की हालत बिलकुल सामान्य दिखती है, जबकि सीटी स्कैन कराने पर 40 फीसद तक संक्रमण मिलता है। हालांकि, चिकित्सक यह भी कहते हैं कि मरीज एक तो जांच कराने के लिए देर से पहुंच रहे हैं। ऊपर से पॉजिटिव होने के बाद भी घर में ही रहकर इलाज करते हैं। अपने से लेकर दवाइयां खा रहे हैं। यह भी हालत बिगड़ने की एक बड़ी वजह है।
हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों और ओपीडी में आने वाले मरीजों को देखने से पता चल रहा है की वायरस की नई लहर में सात दिन बाद मरीज अचानक से गंभीर हो रहे हैं। सात दिन के पहले ना तो उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है ना ही अन्य कोई गंभीर समस्या। बुखार भी एक दो तीन दिन आकर ठीक हो जाता है। पहले करीब 70 फीसद लोगों को बुखार आता था अब बुखार वाले मरीज 20 से 30 फ़ीसदी ही है।
मरीज भी कर रहे हैं लापरवाही
राज्य सरकार के कोविड सलाहकार डॉक्टर लोकेंद्र दवे ने बताया कि यह सही बात है मरीजों की हालत सात दिन बाद बिगड़ रही है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि मरीज इस बार जांच कराने के लिए देरी से पहुंच रहे हैं। पिछली बार कोरोना की लोगों में दहशत ज्यादा थी। स्वास्थ विभाग भी संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों को पहचान कर जांच करा रहा था। मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से कांटेक्ट ट्रेसिंग बंद हो गई है। ऐसे में जब मरीजों की तकलीफ बढ़ती है तभी वह इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।