…तो इसलिए ममता ने पीएम उम्मीदवार बनने से किया इनकार
ममता का कहना था कि जब न तो चुनाव की घोषणा हुई है। न किन्हीं तारीखों का एलान हुआ और न ही कोई विपक्षी गठबंधन अभी अस्तित्व में आया है। ऐसे में इस गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर अटकलें लगाना ठीक नहीं है। अभी विपक्षी दलों के बीच इन मुद्दों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। यह काम तभी उचित होगा जब गठबंधन बने, साथ चुनाव लड़े और भाजपा को हरा दे। तब लगने वाले कयासों पर हमें कोई आपत्ति नहीं होगी।
इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने ममता की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि वे प्रदेश सरकार बहुत ही अच्छी तरह से चला रही हैं। उनके राज्य में जनता खुश है। हम चाहते हैं कि वे दिल्ली चलें और ऐसे ही वे देश की सरकार चलाएं जैसी वे अपने प्रदेश की चला रहीं हैं।
मायावती की आकांक्षा
भले ही बहुजन समाज पार्टी के पास लोकसभा में एक भी सांसद न हो लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाल रखी है। यही वजह है कि वे अपनी पार्टी को केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रखना चाहती हैं।
वे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ सम्मानजनक समझौता मांग रही है। बसपा सूत्रों के अनुसार, वे आम चुनाव में इन राज्यों के अलावा विपक्षी दलों की सीट बंटवारे की बातचीत में कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार में भी कुछ सीटें भी मांगेंगी।